जवाबी हमले के बाद भारतीय अफसरों ने तुरंत हस्तक्षेप किया और चीनी सैनिक अपनी लोकेशन पर वापस चले गए। 11 दिसंबर को दोनों देशों के लोकल कमांडर ने शांति व्यवस्था बहाल करने के लिए फ्लैग मीटिंग की और घटना के बारे में चर्चा की। दोनों देशों ने सीमा पर शांति व्यवस्था कायम रखने पर सहमति दी। भारत ने कूटनीतिक तौर पर भी इस मुद्दे को चीन के सामने उठाया है।
इससे पहले 15 जून 2020 को लद्दाख के गलवां घाटी में दोनों सेनाओं के बीच हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि चीन के 38 सैनिक मारे गए थे। हालांकि, चीन ने केवल चार सैनिक मारे जाने की बात ही कबूली थी। गलवां के बाद ये दूसरी बड़ी झड़प है। तवांग सेक्टर की बात करें तो इससे पहले यहां 1975 में भी विवाद हो चुका है। तब भी दोनों देशों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसमें चार भारतीय जवान शहीद हुए थे।
बार-बार ऐसा क्यों कर रहा है चीन?
डोकलाम, गलवां और अब तवांग। ये तीन घटनाएं हैं, जिसकी जानकारी सभी के पास है, लेकिन ऐसा नहीं है कि केवल तीन बार ही चीनी सेना ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की है और जवानों के साथ हाथापाई की है। कई ऐसे वीडियो सामने आ चुके हैं, जो 2020 और 2021 के बताए जा रहे हैं। मतलब साफ है कि चीन इस तरह की कई बार हरकतें कर चुका है और हर बार भारतीय सेना ने उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया है। अब सवाल उठता है कि चीन ऐसा कर क्यों रहा है? इसे समझने के लिए हमने रक्षा मामलों के जानकार रिटायर्ड कर्नल जाहिद सिद्दीकी से बात की। उन्होंने चीन की इस साजिश के पीछे दो बड़े कारण बताए।
1. भारत को उकसाने की कोशिश: ये चीन की बड़ी साजिश है। चीन जानता है कि भारत पहले चीन पर हमला नहीं करेगा। इसलिए अपने सैनिकों के जरिए वह बार-बार भारत को उकसाने की कोशिश कर रहा है। इसके जरिए वह भारत को अस्थिर करने की कोशिश करता है। ऐसा होने से भारत में आंतरिक राजनीतिक हलचल बढ़ जाती है। सरकार पर सवाल खड़े होने लगते हैं।
2. आंतरिक समस्याओं से ध्यान भटकाने का तरीका: चीन इस वक्त गृह युद्ध जैसे स्थिति से निपट रहा है। चीन के अंदर मौजूद शी जिनपिंग सरकार के खिलाफ विद्रोह के स्वर उठने लगे हैं। ताइवान और हॉन्गकॉन्ग में भी चीन को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में अब वह आंतरिक कलह से दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए भारतीय सीमा पर इस तरह की कोशिशें कर रहा है। चीन की कोशिश है कि ऐसा करके अंतरराष्ट्रीय मीडिया को भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर बात करने के लिए मजबूर कर देंगे और लोग चीन की आंतरिक मुद्दों पर चर्चा नहीं करेंगे।