नई दिल्ली : राज्यसभा में पेश हुआ यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल, विपक्ष ने किया विरोध

नई दिल्ली: ससंद का शीतकालीन सत्र चल रहा है। राज्यसभा में शुक्रवार को भारत में समान नागरिक संहिता लागू करने से जुड़ा प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया गया। इस बिल को बीजेपी सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने पेश किया। विपक्ष ने इस बिल का विरोध किया और सदन से वॉकआउट किया।

बिल को पेश करने के पक्ष में 63 वोट पड़े जबकि विपक्ष में 23 वोट डाले गए। बिल में मांग की गई है कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के लिए एक National Inspection & Investigation Commission बनाया जाए।

विपक्ष का वॉकआउट

कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, डीएमके,एनसीपी और टीएमसी समेत तमाम विपक्षी दलों ने बिल पेश करने का जोरदार विरोध किया। बिल का प्रस्ताव देते ही राज्यसभा में विपक्ष ने इसका कड़ा विरोध किया। सभापति विपक्ष के वर्ताव को लेकर नाराज भी हुए। सभापति ने उठकर कहा कि सदस्यों के पास बिल पेश करने का अधिकार है। अगर किसी को परेशानी है तो इसपर अपनी राय शांति से रखें।

बिल को पेश करने का विरोध करते हुए समाजवादी पार्टी सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि मुसलमान अपनी चचेरी बहन से शादी करना सही मानते हैं क्या हिंदू ऐसा कर सकते हैं। इसीलिए सभी धर्मों की अलग-अलग परंपरा है। सपा सांसद राम गोपालयादव ने कहा कि अगर कोई बात संविधान के अनुकूल है तो उसे रखने से कोई रोक नहीं सकता, लेकिन अगर अनुकूल नहीं है, तो इन्हें रोका जा सकता था और इन्हें ये बिल वापस ले लेना चाहिए था। बीजू जनता दल ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया और सदन से वॉकआउट किया।

कई दलों के कड़े विरोध के बाद, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने तर्क दिया कि किसी मुद्दे को उठाना एक सदस्य का वैध अधिकार है जो कि संविधान के निर्देशक सिद्धांतों के तहत है। उन्होंने कहा, “सदन में इस विषय पर चर्चा होने दीजिए..इस स्तर पर सरकार पर आक्षेप लगाना, विधेयक की आलोचना करने की कोशिश करना अनावश्यक है।”

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?

पिछले कई महीनों से लगातार देश में समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की मांग उठ रही है। गुजरात चुनाव को लेकर जारी किए बीजेपी के मेनिफेस्टो में भी समान नागरिक संहिता लागू करने की बात कही थी। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के बाद देश के सभी नागरिक पर एक जैसा कानून लागू होगा। सभी के विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेने और जमीन जायदाद के मामले में एक ही कानून का पालन किया जाएगा। सभी धर्म और जाति पर ये लागू होगा।

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