राजस्थान : राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले के मानटाउन थाने के सीआई फूल मोहम्मद को भीड़ ने जिंदा जला दिया था। 11 साल बाद अदालत ने इस मामले में बड़ा निर्णय लिया है। कोर्ट ने मामले में तत्कालीन डीएसपी महेंद्र सिंह कालबेलिया सहित 30 लोगों को दोषी माना है। हालांकि, अभी सजा फैसला नहीं सुनाया गया है। शुक्रवार को दोषी माने गए सभी 30 लोगों की सजा सुनाई जाएगी। चलिए अब इस मामले की पूरी कहानी जान लेते हैं…।
साल 2011 और दिन 17 मार्च, जिले के मानटाउन थाना इलाके के सूरवाल गांव में लोग प्रदर्शन कर रहे थे। यह विरोध-प्रदर्शन दाखा देवी के हत्यारों की गिरफ्तार और उसके परिजनों को मुआवजे की मांग के लिए किया जा रहा था। अचानक प्रदर्शनकारी दो लोग भड़क गए। बनवारी लाल मीणा और राजेश मीणा पेट्रोल से भरी बोतलें लेकर पानी की टंकी पर चढ़ गए। दोनों मांग पूरी नहीं होने पर आत्मदाह की धमकी देने लगे। काफी देर तक हंगामे के हालात रहे। लोगों ने समझाइश देकर पानी की टंकी पर चढ़े बनवारी को नीचे उतार लिया, लेकिन राजेश ने पेट्रोल छिड़कर खुद पर आग लगा ली। जिसके बाद वह टंकी से नीचे कूद गया।
इससे हालात बिगड़ गए, लोगों की भीड़ ने मौके पर तैनात मानटाउन थाने के अधिकारी फूल मोहम्मद और पुलिसकर्मियों पर पथराव शुरू कर दिया। लोगों की तादात के सामने पुलिसकर्मी कम थे। जान बचाने के लिए पुलिस जवान वहां से भागने लगे। सीआई फूल मोहम्मद ने भी अपनी जीप से भागने की कोशिश की, लेकिन लोगों की भीड़ उनके पीछे लग गई। आगे जाकर भीड़ ने उन्हें घेर लिया और जीप को आग के हवाले कर दिया। जिससे जीप में बैठे फूल मोहम्मद जिंदा जल गए।
सीआई को जिंदा जलाए जाने की घटना ने सभी को दहला दिया था। तत्कालीन सरकार ने फूल मोहम्मद को शहीद का दर्जा दिया और मामले की जांच सीबीआई के हवाले कर दी। इस हत्याकांड में सीबीआई ने 89 लोगों को आरोपी बनाया। जिनमें दो नाबालिग भी शामिल थे। पांच की मौत भी हो चुकी है। सबसे ज्यादा हैरानी की बात यह है कि मामले में तीन आरोपी अब भी फरार हैं।
बुधवार को विशिष्ट न्यायालय, एससी/एसटी प्रकरण सवाई माधोपुर ने इस मामले में सुनवाई की। कोर्ट ने हत्याकांड में तत्कालीन डीएसपी महेंद्र सिंह सहित 30 लोगों को दोषी माना है। बाकी अन्य 51 लोगों को बरी कर दिया गया है। शुक्रवार को सभी दोषियों को सजा सुनाई जाएगी।