स्वामी विवेकानंद और आज के युवा

स्वामी विवेकानंद ने 125 वर्ष पूर्व अमेरिका में लहराया था सनातन धर्म का परचम, लेकिन भारतीय युवा हो रहे हैं पाश्चात्य संस्कृति की ओर आकर्षित अभिभावकों के लिए है खतरे का बड़ा अलार्म, विवेकानंद संदेश यात्रा पहुंचनी चाहिए भारत के प्रत्येक कोने में दिल्ली में हुए दिल दहलाने वाले श्रद्धा हत्याकांड की वजह से न केवल पूरे भारतीयों का मन गुस्से एवं आक्रोश से भर दिया है, वहीं युवाओं को यह हत्याकांड एक बार फिर भारतीय सांस्कृतिक मूल्य पर सोचने को मजबूर कर रहा है। कि किस प्रकार पाश्चात्य संस्कृति के वशीभूत होकर आज के युवा भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को त्याग कर अपने जीवन का पथ भ्रष्ट कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में एक बार फिर हमें अपनी जड़ों की ओर लौटना होगा। विशेषकर अभिभावकों को इस और ध्यान देने की ज्यादा जरूरत है क्योंकि उनके लिए यह एक खतरे का बड़ा अलार्म है। अब ऐसा लगता है कि आज से करीब 125 वर्ष पुराना समय वापस लौट कर आने वाला है जिस प्रकार यूथ आइकन स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका के शिकागो में सुन्य पर बोलते हुए सबसे पहले कहा था ‘मेरे अमेरिकी भाइयों और बहनों” तो पूरा सदन तालियों से गूंज उठा था और स्वामी विवेकानंद ने अपना उद्बोधन देकर पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म का परचम लहराया था। आज भी कई देश ऐसे हैं जो स्वामी विवेकानंद को अपना आइकन मानते हैं और उनका अनुसरण करते हैं। भारत की ऐसी कई महान विभूतियां हुई है जिन्होंने स्वामी विवेकानंद से प्रेरणा लेकर भारत निर्माण में अपनी भूमिका निभाई और विश्व में अपनी पहचान बनाई। उसमें से पहला नाम आता है शहीद भगत सिंह का दूसरा नाम है पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और तीसरा नाम है अन्ना हजारे का।डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने तो स्वामी विवेकानंद पर अपनी कलम से एक पुस्तक ही लिख डाली तो वही पूरे विश्व में रामकृष्ण मिशन आश्रम युवाओं को स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रेरित कर उनका पथ प्रदर्शन कर रहा है और स्वामी विवेकानंद सूचना केंद्र कन्याकुमारी भी अपने सैकड़ों केंद्रों के माध्यम से युवाओं की शिक्षा और उनके मार्गदर्शन का कार्य कर रहा है। ऐसे में भारतीय युवाओं के लिए सबसे बड़ा प्रश्न यह उठता है कि क्यों अपनी भारतीय संस्कृति को छोड़कर पाश्चात्य संस्कृति की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। भारतीय संस्कृति सिखाती है कि कैसे संयुक्त रूप से पुराने समय में पूरे का पूरा परिवार रहता था। सैकड़ों लोगों का एक साथ एक ही चूल्हे पर भोजन बनता था और सभी एक साथ तीन पीढ़ी के लोग बैठकर भोजन करते थे। साथ ही आज के युवाओं के लिए यह भी जानना बहुत आवश्यक है कि जो दांपत्य जीवन का वैवाहिक रिश्ता है वह भी भारतीय संस्कृति का एक मजबूत आधार है ना कि पाश्चात्य संस्कृति का लिव इन रिलेशन में रहना।

अभिभावकों को पढ़ाई के साथ-साथ पढ़ाना चाहिए भारतीय संस्कृति जीवन के मूल्य का पाठ

जैसा की सर्वविदित है एक समय में भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था क्योंकि यहां की संस्कृति, यहां के देवी देवता, यहां की जीवन शैली कुछ ऐसी ही थी जिसकी वजह से पूरा विश्व अध्यात्म ज्ञान के लिए भारत की ओर देखता था। आज भी कई विदेशी भारत के देवी देवताओं और संस्कृति पर भारत आकर रिसर्च और अध्ययन कर रहे हैं। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण ईस्कान समूह है। ऐसे में अभिभावकों को खासतौर पर अपने बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ भारतीय संस्कृति भारतीय ,देवी-देवताओं एवं मंदिरों में ले जाकर भारतीय संस्कृति के जीवन मूल्यों का पाठ पढ़ाना चाहिए। उनको देवी-देवताओं रामायण गीता जैसे ग्रंथों का अध्ययन करवा कर भारतीय महापुरुषों की जीवनी के बारे में भी बताना चाहिए जिससे उनमें सकारात्मक विचारों की वृद्धि हो और वह बच्चे देश के विकास और प्रगति में अपनी भूमिका निभाए जिससे एक बार फिर भारत विश्व शक्ति की ओर अग्रसर हो सके।

युवाओं को पढ़नी चाहिए स्वामी विवेकानंद की लिखी पुस्तक “राष्ट्र को आह्वान”

आज के डिजिटल युग में जिस प्रकार भारतीय युवा पाश्चात्य संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे हैं ऐसे में उनको स्वामी विवेकानंद की लिखी पुस्तक “राष्ट्र को आह्वान” जरूर पढ़नी चाहिए क्योंकि जब 1975 में भारत पाकिस्तान युद्ध के बाद अन्ना हजारे ने अपने हताशा से भरे जीवन को समाप्त करने का निश्चिय कर लिया था। उस समय उन्हें रेलवे स्टेशन के बुक स्टॉल पर यही बुक दिखाई दी थी और इसे पढ़ने से उनका जीवन बदल गया। और उनके एक आंदोलन से पूरे देश का राजनीतिक एवं सांस्कृतिक समीकरण बदल गया।

खेतड़ी से आरंभ होने वाली विवेकानंद संदेश यात्रा पहुंचनी चाहिए देश के हर एक कोने में


भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय द्वारा व विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी द्वारा विवेकानंद संदेश यात्रा निकाली जा रही है जिसे भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ 19 नवंबर को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। इस यात्रा के माध्यम से युवाओं को स्वामी विवेकानंद के विचारों के बारे में बताया जाएगा और उन्हें उनके भविष्य निर्माण की प्रगति का रास्ता समझाया जाएगा। यह यात्रा राजस्थान के सभी 33 जिले का भ्रमण करेगी। लेकिन जहां एक तरफ युवा अपने दिमाग का संतुलन खोकर ऐसी दिल दहलाने वाली घटना से स्तब्ध हो गया है ऐसे में स्वामी विवेकानंद की यह संदेश यात्रा भारत के प्रत्येक कोने में पहुंचनी चाहिए। भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय, रामकृष्ण मिशन आश्रम व स्वामी विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी को इस और विशेष ध्यान देने की जरूरत है कि युवाओं को स्वामी विवेकानंद के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने भविष्य निर्माण करने का मार्ग बताएं और देश को एक बार फिर सोने की चिड़िया बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले युवाओं का मार्गदर्शन करें।

विवेकानंद ही है आज के युवाओं के सच्चे प्रेरणा स्रोत
शिक्षाविद अशोक सिंह शेखावत विवेकानंद शिक्षण संस्थान

स्वामी विवेकानंद ने देश के नाम संदेश दिया था “उठो जागो और लक्ष्य प्राप्ति तक मत रुको” आज के इस आधुनिक युग में उनका यह उद्घोष युवाओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। यदि युवा उनके जीवन से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ेंगे तो वे निश्चित ही अपने लक्ष्य की प्राप्ति करेंगे और भारत को विश्व गुरु बनने की कड़ी में अपना महत्वपूर्ण योगदान देंगे।

भारत की सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए स्वामी विवेकानंद को जानना है अत्यंत आवश्यक
डॉ स्वतंत्र शर्मा शिक्षाविद महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर


जब स्वामी विवेकानंद- बहन निवेदिता, रोमा रोला, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ,अन्ना हजारे जैसे महान हस्तियों का जीवन बदल सकते हैं तो देश विदेश के युवाओं को उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए ।यदि अपने जीवन में थोड़ा बहुत भी स्वामी विवेकानंद के बारे में जान पाए और उनको समझ कर उनकी लिखी पुस्तकों का अध्ययन कर पाए तो निश्चित ही अपनी जीवन शैली बदल कर भारतीय संस्कृति की ओर एक बार पुनः आकर्षित तो होंगे ही साथ ही हमारी सांस्कृतिक धरोहर को बचाने में भी अहम भूमिका निभाएंगे।

 

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