जयपुर : सीएम अशोक गहलोत ने इस बार चुनाव से दो महीने पहले कांग्रेस के टिकट तय करवाने की पैरवी की है। गहलोत ने यह भी माना है कि कई मौजूदा विधायक चुनाव हार रहे हैं।
यूथ कांग्रेस की बैठक में गहलोत ने कहा कि हमारे कुछ एमएलए खुद ही कहते हैं कि मैं नहींं जीत पा रहा हूं। हम उनको पूछेंगे कि आप किसे मौका देना चाहते हो। चुनाव में जीतना है तो केवल जीतने वाले उम्मीदवार को टिकट देना चाहिए तब हम जीतेंगे।
दरअसल, गुरुवार को इंदिरा गांधी पंचायती राज भवन में यूथ कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में सीएम ने विधानसभा चुनावों को लेकर भी चर्चा की।
वे बोले- दिल्ली में लंबी बैठकों का सिस्टम बंद होना चाहिए। दो महीने पहले टिकट फाइनल कर दें, जिसे टिकट मिलना है, उसे इशारा कर दें। वो लोग काम में लग जाएं। साधनों की कमी भी रहेगी, क्योंकि जिस तरह पाॅलिटिकल पार्टियों को टाइट कर रखा है।
गहलोत ने कहा- राहुल गांधी ने अभी मुझे दिल्ली में कहा कि खाली योजनाओं से काम नहीं चलता है, सब कुछ हुआ है, लेकिन विधायक नेताओं का कैसा व्यवहार है। क्षेत्र में जीतने की क्षमता है कि नहीं। 100 सीटों पर तो वैसे ही हम चुनाव हारे हुए हैं, वो खाली पड़ी है।
जिन्हें टिकट मिलना है वह दो महीने पहले ही तय हो जाएं
गहलोत ने कहा- यूथ कांग्रेस के नेताओं को चाहिए कि अभी से प्रयास शुरू कर दें। मैं इसके खिलाफ हूं कि चुनाव में जब टिकट तय करने बोर्ड बैठता है तो अध्यक्ष भी पर्ची भेजते हैं।
कोशिश करते हैं कि यूथ कांग्रेस को 10-12 टिकट मिलें, उसमें दो चार को मिलता है या नहीं मिलता है, वह नहीं होना चाहिए। हमने प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को भी कहा है, दो महीने पहले टिकट तय हो जाएं। जिन्हें टिकट मिलना है वह दो महीने पहले ही तय हो जाएं।
जो कुछ भी आपको फीडबैक मिले, जो एजेंसियां बनी हैं, सुनील करके कोई हैं जो एआईसीसी की तरफ से सर्वे कर रहे हैं, उनसे आप बात कर लीजिए। हम भी बात करेंगे।
टिकट के लिए दिल्ली की सड़कों पर घूमकर नेता-कार्यकर्ता थक जाते हैं
गहलोत ने कहा- सर्वे दो तीन तरह के होते हैं। जो जितना कार्यकर्ताओं के संपर्क में रहता है, सर्वे में उसी का कार्यकर्ता नाम लेते हैं। उसी के बारे में कार्यकर्ता बात करते हैं कि वह जीत सकता है। वो नाम अगर पहले आ जाएं, जैसे 25 नाम दे दिए, पहले ही उनको सर्वे में डलवा दीजिए।
हमें जब दो महीने पहले ही नाम पता लग जाएं, चुनाव में जब टिकटों के लिए दिल्ली की सड़कों पर घूमना पड़ता है तो नेता भी थक जाते हैं और कार्यकर्ता भी थक जाते हैं। फिर टिकट मिलते हैं तो थका हुआ क्या काम करेगा वहां पर।
नए सिरे से तय हो। मैं ये बातें गंभीरता से कह रहा हूं। भंवर जितेंद्र सिंह ने असम चुनावों में पहले टिकट तय करवाए। पहले संसदीय बोर्ड गुवाहाटी में ही बैठ गया, वहां तय करवा दिया।
दिल पर पत्थर रखकर राजनीति करना सीखें
गहलोत ने कहा- इस बार तैयारी भी करो, आगे बढ़ना है तो एक बात याद रखो। जिंदगी में एक बार पार्टी हाईकमान का फैसला आ जाए, दुख तो होता है जब टिकट नहीं मिला और इच्छा पूरी नहीं हुई। उस वक्त दिल पर पत्थर रखकर राजनीति होनी चाहिए। दिल कितना कोमल होता है, उस पर पत्थर रखो। जो दिल पर पत्थर रखकर राजनीति कर लेगा वह कामयाब होगा।
चुनाव में जीतने के लिए दिल जीतने पड़ते हैं
बैठक में सीएम ने चंदे की चर्चा करते हुए कहा कि चुनाव के लिए केवल चंदा ही काफी नहीं लोगों के दिल जीतने होते हैं। राजस्थान में जिस तरह का माहौल बना है मैं और अध्यक्ष 28 जिलों में जा चुके हैं। इस बार उन लोगों का रुझान भी कांग्रेस की तरफ है, जिन्होंने पहले कांग्रेस को वोट नहीं दिया।
गहलोत ने कहा- यूथ कांग्रेस नेताओं को टिकटों पर अपना अधिकार जताना चाहिए। आपका अलग तरह का महत्व है, जब सीट खाली है तो अपना महत्व बताना चाहिए। सीनियर चाहे जगह खाली नहीं करें तो भी दावेदारी से पीछे नहीं रहना चाहिए।
कांग्रेस और यूथ कांग्रेस के बीच दूरी बना दी गई
यूथ कांग्रेस की बैठक में गहलोत ने कहा है कि एक वक्त ऐसा आया जब कांग्रेस और यूथ कांग्रेस के बीच दूरी बन गई। दूरी बन गई या बना दी गई, लेकिन वह प्रयोग बहुत गलत साबित हुआ। हम जब यूथ कांग्रेस में थे तो केंद्रीय मंत्री हमारी मीटिंग में आते थे। शाम को वह डिनर देते थे।
कभी-कभी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी आती थी। यह एक तरह का मोटिवेशन होता था। आप तो राहुल गांधी से बात करें, आप दिमाग में रखें बड़े नेताओं को बैठक में बुलाएं। एक वक्त ऐसा आया था कि दूरियां बढ़ गईं। आज मैं देखता हूं कि वापस संबंध बने हैं।
कांग्रेस में अभी कठिन वक्त, इस समय किया काम आगे डिविडेंट पे करेगा
गहलोत ने कहा- अभी यह कांग्रेस के लिए बहुत काफी कठिन वक्त है। इस कठिन वक्त में किया हुआ काम आपके लिए डिविडेंड पे करेगा। कर्नाटक चुनाव में सब बजरंगबली पर आ गए, लेकिन उन्हें जनता ने जवाब दे दिया।
मैंने कहा था कि प्रधानमंत्री की कैंपेन पर रोक लगानी चाहिए। धर्म के नाम पर आप इस तरह से नहीं बोलते हैं तो गलत है। अगर कोई उम्मीदवार चुनाव में धर्म के आधार पर वोट मांग ले तो उसका चुनाव खारिज हो जाता है। बीजेपी वाले कुछ भी कर सकते हैं। चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
गहलोत ने कहा कि सोनिया गांधी ने एक बार कहा था कि सभी को एक साथ पद मिल नहीं सकता, लेकिन जो मेहनत से पार्टी में काम करता है उसको एक न एक दिन सम्मान पद जरूर मिलता है। केवल जीतने वाले उम्मीदवार को टिकट देंगे तब कामयाब होंगे।