हरियाणा-सोनीपत : सांसद बृजभूषण सिंह के खिलाफ न्याय मांग रहे पहलवानों ने अब आखिरी दांव लगाने की तैयारी कर ली है। अब तक पंचायत-पंचायत खेल रहे किसान संगठनों को एकजुट नहीं होते देख पहलवानों ने अब खुद महापंचायत करने का निर्णय लिया है। ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया ने हरियाणा के सोनीपत के गोहाना के मुंडलाना में किसान यूनियन के चढूनी ग्रुप की हुई पंचायत में साफ कह दिया कि लड़ाई को मुकाम तक ले जाया जाएगा।
पहलवानों की लड़ाई में किसान संगठनों व नेताओं ने आगे आकर समर्थन तो दिया, लेकिन लड़ाई अब तक निर्णायक मोड़ तक नहीं पहुंच सके। यहां तक की किसान नेता पंचायत भी अलग-अलग कर समर्थन का दंभ भरते दिखाई दिए, लेकिन एकजुट नहीं हो सके। ऐसे में अलग-अलग मंच पर निर्णय तो लिए, लेकिन बड़ा निर्णय नहीं ले सके।
मुंडलाना की आयोजित समर्थन पंचायत में पहुंचे बजरंग पूनिया ने मंच से कह दिया कि अब पंचायत हम यानी पहलवान बुलाएंगे, जिसमें सभी संगठनों को आमंत्रित करेंगे। इसी पंचायत में बड़ा निर्णय लिया जाएगा। माना जा रहा है कि पहलवान किसान गुटों की खींचतान को आंदोलन से दूर रखना चाहते हैं। किसान आंदोलन में ही किसान टिकैत गुट व चढूनी गुट में बंटे नजर आए थे। ऐसे में अब पहलवान नहीं चाहते कि उनके आंदोलन पर इसका कोई असर पड़े। ऐसे में उन्होंने अपनी अगुवाई में महापंचायत करने का निर्णय सुनाया है।
बजरंग के निर्णय ने पहले चौकाया, फिर लोगों ने सराहा
बजरंग पूनिया ने जब मंच संभाला तो अपने साढ़े तीन मिनट के भाषण में सबसे पहले उन्होंने एक ही बात कही कि अभी समर्थन पंचायत में कोई बड़ा निर्णय न लिया जाए। उनके यह कहते ही सभी चौंक गए। पहले ही कहा गया था कि मुंडलाना की पंचायत में कोई बड़ा फैसला हो सकता है। ऐसे में बजरंग की बात पर सभी अचंभित रह गए।
हालांकि जब उन्होंने कहा कि सभी एकजुट होकर पहलवानों की महापंचायत में आएं। वहां पर भी सभी मिलकर एकमत से बड़ा फैसला लेंगे। अलग-अलग रहकर लड़ाई नहीं जीत सकते। यह इज्जत और मान-सम्मान की लड़ाई है। इसके बाद सभी ने उनके निर्णय को सराहा। साथ ही आश्वासन दिया कि पहलवान जो भी कहेंगे, उसे माना जाएगा। पहलवानों की लड़ाई में उनका पूरा साथ है। उनके निर्णय के अनुसार वह चलेंगे।
विनेश व साक्षी पूरे घटनाक्रम में टूटी, परिवार को रखनी पड़ रही निगरानी
ओलंपियन बजरंग पूनिया ने मंच से कहा कि साक्षी मलिक व विनेश फोगाट पर 28 मई व 30 मई के घटनाक्रम का बुरा असर पड़ा है। पूरी तरह टूट चुकी बेटियों को परिवार की निगरानी रखनी पड़ रही है। परिवार का एक सदस्य सदैव उनके साथ रहता है। उन्हें लगातार हौसला दिया जा रहा है।