नई दिल्ली : नई संसद में लगे अखंड-भारत म्यूरल पर विवाद:केंद्रीय मंत्री ने कहा था- संकल्प स्पष्ट; नेपाल के पूर्व PM ने मंशा पर सवाल उठाए

नई दिल्ली : नई संसद की आर्ट गैलरी में लगा अखंड भारत म्यूरल आर्ट विवादों में घिर गया है। पहले संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने इसकी फोटो ट‌्वीट करते हुए लिखा था- संकल्प स्पष्ट है। अब नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्‌टराई ने इस पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है कि भारत अपनी मंशा जाहिर करे और हमें स्पष्टीकरण भेजे।

लुंबिनी बौद्धों का तीर्थ स्थल है। कपिलवस्तु शाक्य शासकों की राजधानी थी, जो भगवान बुद्ध की जन्मस्थली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन किया।

अब पढ़ें नेपाल के पूर्व PM भट्‌टराई ने क्या कहा…
नेपाल सोशलिस्ट पार्टी के नेता बाबूराम भट्टराई ने एक ट्वीट में चेतावनी दी है कि यह म्यूरल आर्ट भारत के पड़ोसी देशों के बीच गैरजरूरी और नुकसानदायक टकराव बढ़ा सकता है। इनके बीच पहले से ही आपसी संबंधों में विश्वास की कमी है, जो और बढ़ सकती है। इसलिए भारतीय राजनीतिक नेता अपनी मंशा स्पष्ट करें।

नेपाल के पूर्व पीएम भट्‌टाराई का ट्वीट।
नेपाल के पूर्व पीएम भट्‌टाराई का ट्वीट।

वहीं नेपाल के एक और पूर्व PM केपी ओली ने भी इस म्यूरल पर सवाल उठाए हैं। ओली ने कहा- प्रधानमंत्री दहल भारत जा रहे हैं। उन्हें इस गलती को सुधारने के लिए भारत सरकार से बात करनी चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो भारत जाने का कोई मतलब नहीं है।

ओली ने कहा- भारत जैसा देश जो खुद को एक प्राचीन और मजबूत देश के रूप में देखता है और लोकतंत्र के एक मॉडल के रूप में नेपाली क्षेत्रों को अपने नक्शे में रखता है और नक्शे को संसद में लटकाता है, इसे उचित नहीं कहा जा सकता है।

अब जानिए इस म्यूरल आर्ट में क्या है?

अखंड भारत म्यूरल में प्राचीन भारत का नक्शा दिखाया गया है, जिस पर भारतीय राज्यों के नाम लिखे हुए हैं। मुख्य रूप से यह अफगानिस्तान, पाकिस्तान, मालदीव, श्रीलंका, म्यांमार, बांग्लादेश और भारत को एक राष्ट्र के रूप में दिखा रहा है। उत्तर में मानसहरी तक्षशिला से लेकर, नॉर्थ वेस्ट में पुरुषपुर और नॉर्थ ईस्ट में कामरूप तक अखंड भारत दिखा रहा है।

इनमें से आज कई हिस्से पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल और भूटान बन चुके हैं।

पहले भी हुआ नेपाल से सीमा विवाद
2020 में केपी ओली सरकार के दौरान नेपाल का एक राजनीतिक मानचित्र प्रकाशित किया गया था। जिसके बाद सीमाओं को लेकर विवाद शुरू हुआ था। यह कहा गया था कि कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख- सभी नेपाली क्षेत्र हैं, जो भारत के नियंत्रण में हैं।

यह नक्शा चीन के साथ सीमा पर सामरिक क्षेत्र के लिए भारत की तरफ से नई सड़क बनाने के बाद जारी किया गया था। यह विवाद कई महीनों तक दोनों देशों के बीच रिश्तों में दरार की वजह बना रहा। भारतीय अधिकारियों की काठमांडू की यात्रा के बाद ही रिश्ते सुधरे थे।

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