हरियाणा-चरखी दादरी(बलाली) : हरियाणा के चरखी दादरी जिला मुख्यालय से 17 किलोमीटर दूर स्थित बलाली गांव में पहलवानों के आंदोलन को लेकर ही अब चर्चा है। फिर चाहे घरों में चल रही बैठकों की बात हो या फिर गांव के मुख्य चौक व चौपाल की। हर जगह ये ही चर्चा है कि जिन बेटियों ने खेलों में देश का मान बढ़ाया वो आज अपने सम्मान की लड़ाई लड़ने को विवश हैं। मंगलवार रात ग्रामीणों ने 11 बजे आपात बैठक भी की।
गांव बलाली का प्रवेश द्वार।
गांव के मुख्य चौक पर ताश खेलते और हुक्का गुड़गुड़ाते समय पहलवानों के आंदोलन पर चर्चा करते ग्रामीण। संवाद
दुखद है बेटियों का गंगा में मेडल बहाने का फैसला
बलाली के मौजिज लोगों का कहना है कि हमने गीता, बबीता, विनेश और रितू को अपनी मेहनत के बलबूते मुकाम हासिल करते देखा है। इन बेटियों ने बलाली गांव और दादरी जिले का ही नहीं, बल्कि भारत का विश्वस्तर पर स्वाभिमान से सिर ऊंचा किया है। आज वो बेटियां अपने सालों की मेहनत गंगा में बहाने का फैसला लेने को विवश हैं। ये सब काफी दुखद है।
पहलवानों से बात होते ही उठाएंगे अगला कदम
ग्रामीणों का कहना है कि खापें अपनी पंचायत कर जल्द ही कोई ठोस निर्णय लेंगी। अब आंदोलन को हर वर्ग का समर्थन भी मिलेगा। ग्रामीणों ने बताया कि विनेश, संगीता, बजरंग और साक्षी से हुई बातचीत के आधार पर कोई अगला फैसला लिया जाएगा।