नागौर : संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने मंगलवार को सिविल सेवा परीक्षा 2022 का फाइनल परिणाम जारी कर दिया। सिविल सेवा परीक्षा में नागौर की मूण्डवा तहसील के खुडख़ुड़ा कलां निवासी मैना खुडख़ुडिय़ा ने 610वीं रैंक प्राप्त कर परिवार व क्षेत्र का नाम रोशन किया है। शुरू से ही पढ़ाई में अव्वल रहने वाली मैना के पिता रामनिवास खुडख़ुडिय़ा साधारण किसान हैं और माता गृहणी है। मैना ने वर्ष 2013 में दसवीं बोर्ड परीक्षा में प्रदेश में दसवां तथा नागौर जिले में पहला स्थान प्राप्त किया था और उसी समय उसने आईएएस बनने का लक्ष्य तय कर लिया था। 12वीं तक गांव के निजी विद्यालय में पढऩे के बाद मैना ने अकेले जयपुर में रहकर स्नातक की पढ़ाई पूरी की और पिछले पांच साल से आईएएस की तैयारी कर रही थी। इस दौरान मैना के बड़े भाई व स्कूल व्याख्याता नथूराम खुडख़ुडिय़ा का मार्गदर्शन लगातार उसे मिलता रहा। मंगलवार को भारतीय सिविल सेवा परीक्षा 2022 का परिणाम आया तो खुडख़ुड़ा कलां व खुडख़ुड़ा खुर्द में खुशी का माहौल हो गया। इस मौके पर मैना से जनमानस शेखावटी ने विशेष बातचीत की।
मैना : मेरी सफलता के पीछे 3सी का फॉर्मूला है, जिसमें पहला कंसंट्रेशन (एकाग्रता), दूसरा कंटिन्यूटी (निरंतरता) एवं तीसरा कॉन्फिडेंस (आत्मविश्वास) है।
रिपोर्टर : आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या है?
मैना : सामान्य किसान परिवार से सम्बन्ध रखती हूं, पिता किसान हैं और मां गृहणी है।
मैना : आईएएस परीक्षा की तैयारी पिछले पांच साल से कर रही थी। यह मेरा चौथा प्रयास था, जिसमें सफल हुई। इससे पहले तीन बार मैन्स में पहुंची तथा दो बार इंटरव्यू तक।
मैना : सफलता का श्रेय मेरे परिवार को और भगवान देना चाहती हूं। साथ ही उन मार्गदर्शकों का भी योगदान है, जिन्होंने मुझे किसी न किसी रूप में सपोर्ट किया।
मैना : स्कूली शिक्षा गांव के निजी स्कूल डीडी सांदू स्मृति गुरुकुल विद्यालय से करने के बाद जयपुर से पढ़ाई की।
रिपोर्टर : : आईएएस बनने के बाद ऐसा कौनसा काम है, जो करना चाहती हैं?
मैना : ग्रामीण क्षेत्र में महिला सशक्तीकरण और आत्मनिर्भर ग्राम बनाने में सहयोग करना चाहती हूं।
मैना : असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो। क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो। मेरे निरंतर प्रयासों के बाद मुझे यह सफलता मिली है, इसलिए अपना शत-प्रतिशत दें।
मैना : मैं अभिभावकों से यही कहना चाहती हूं कि वे एक बार अपनी बेटियों पर विश्वास करके उन्हें आगे बढऩे दें। आगे चलकर लडक़ी अपके लिए जिम्मेदारी नहीं बल्कि आपका नाम रोशन करेगी। मैं कहना चाहूंगी कि उन्हें उडऩे के लिए पंख दें, ताकि वे इस सीलन को तोड़ सकें।