खेतड़ी : खेतड़ी उपखंड के मीनावाली ढाणी मे शुक्रवार को पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के युद्ध में भाग लेने वाले तहसील के दो योद्धाओं का सम्मान किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुरेंद्र सिंह फौजी थे,जबकि अध्यक्षता भगवान सिंह ने की। सुरेंद्र सिंह फौजी ने बताया कि मीनावाली ढाणी के भगवान सिंह पुत्र मूंग सिंह ने 1965 व 1971 की लड़ाई में अपने अदम्य साहस का परिचय दिया। उन्होंने बताया कि वह सेना की अट्ठारह राजपूताना रेजिमेंट में 1963 में भर्ती हुए थे। ट्रेनिंग के तुरंत बाद ही वह 1965 की लड़ाई में भाग लेने के लिए चले गए और उन्हें उसके बाद 71 की लड़ाई में देश सेवा करने का मौका मिला। उन पर गोलियों के छर्रे लगे थे, लेकिन हार नहीं मानी। उस समय वे पाकिस्तान के पूर्वी क्षेत्र में तैनात थे।
इसके अलावा आशाकाला वाली ढाणी के नायब सूबेदार सुमेर सिंह पुत्र सुगंन सिंह ने बताया कि वह 1968 में भारतीय सेना की 14 ग्रेनेडियर में सिपाही के रूप में भर्ती हुए थे। 1971 में राजोरी सेक्टर मे कंपनी के आदेशानुसार उन्होंने पाकिस्तान की दूर्चीयां पोस्ट पर अटैक किया और आमने-सामने की बैनेट मुठभेड़ में उन्होंने पाकिस्तान के अनेक जवानों को मौत के घाट उतारा और उनकी पोस्ट पर कब्जा कर लिया। उन्होंने बताया कि 1971 के युद्ध के दौरान उन्होंने 17 दिन तक कुछ नहीं खाया तथा सर्दी अधिक होने के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा,लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आगे बढ़ते रहे। दोनों जवानों की बहादुरी पर भारतीय सेना की ओर से भगवान सिंह को अति विशिष्ट सेवा मेडल,रक्षा मेडल सहित एक दर्जन मेडल मिले हुए हैं। वही नायब सूबेदार सुमेर सिंह को पश्चिमी स्टार, संग्राम मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, गुड कंसल्टर लांग सर्विस मेडल सहित 10 मेडल मिले हुए हैं। देश सेवा में सर्वाधिक सैनिक देने का गौरव झुंझुनू जिले को है। वहीं सबसे ज्यादा शहादत देने वाले जवान भी झुंझुनू जिले के ही है।
इस मौके पर मंगल सिंह, रणवीर सिंह, विक्रम सिंह, जगदीश सिंह, अमर सिंह, नवल चौधरी, अंकित सिंह, राजवीर सिंह, सुनील कुमार, देबू सिंह, संतोष कंवर, रेशम कंवर सहित अनेक लोग मौजूद थे।