भरतपुर : राजस्थान के भरतपुर जिले के कुम्हेर कस्बे में पांचवें आदर्श सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन संत रविदास सेवा विकास समिति द्वारा करवाया गया। सम्मेलन में 11 जोड़ों की शादी करवाई गई। जिसके बाद सभी ने हिन्दू देवी-देवताओं नहीं मानने और उनकी पूजा नहीं करने की भी शपथ दिलवाई गई।
इस दौरान उन्होंने शपथ ली कि ईश्वर ने अवतार लिया है, इसलिए ईश्वर में मेरा विश्वास नहीं है। कहा जा रहा है कि इस सम्मेलन की जानकारी प्रशासन के अधिकारियों को भी नहीं थी। संत रविदास सेवा विकास समिति ने पांचवें सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन एक निजी मैरिज होम में करवाया था। इसमें डीग के अधिकारी भी मौजूद रहे, लेकिन उनके जाने के बाद आयोजकों ने 11 जोड़ों को 22 शपथ दिलवाई।
पहली शपथ दिलाई कि मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश को कभी ईश्वर नहीं मानूंगा और न ही इनकी पूजा करूंगा। दूसरी शपथ थी कि मैं राम को ईश्वर नहीं मानूंगा, और उनकी पूजा नहीं करूंगा, तीसरी- मैं गौरी गणपति आदि हिंदू धर्म के किसी भी देवी देवता को ईश्वर नहीं मानूंगा। मैं बुद्ध की पूजा करूंगा, ईश्वर ने अवतार लिया है, जिस पर मेरा विश्वास नहीं है। मैं ऐसा कभी नहीं कहूंगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार हैं। मैं ऐसी प्रथा को पागलपन और झूठा समझता हूं। मैं कभी पिंडदान नहीं करूंगा, मैं बुद्ध धर्म के विरोध में कभी कोई बात नहीं करूंगा। इसी तरह की कुल 22 शपथ जोड़ों को दिलाईं गईं।
लालचंद तैनगुरिया ने बताया कि सामूहिक विवाह सम्मेलन में वर-वधु को 11 हजार रुपये का रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। बाकी का अन्य खर्चा संत रविदास सेवा समिति द्वारा किया जाता है जिसमें फ्रीज, बर्तन, कपड़े, कुर्सी और डबल बेड आदि सामान कन्या दान के रूप में दिया जाता है। शंकर लाल बौद्ध ने बताया कि बाबा भीमराव आंबेडकर द्वारा दोहराई गई 22 प्रतिज्ञा को वर-वधु दिलाकर विवाह विवाह संपन्न कराया।