चूरू : सात बहनों का श्राप, इस गांव में नहीं निकलता मीठा पानी

चूरू : जिले में पुराने समय ऐसी कई घटनाएं है जिसे सुनने के बाद दिल दहल जाता है, एक ऐसी ही घटना जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर पर करीब 500 साल पहले हुई। इस घटना को गांव की गुवाड़ में बताते वक्त आज भी बुजुर्गों का दिल कांप उठता है। सात बहनों के श्राप के कारण आज भी यहां का पानी खारा है, मीठे पानी की आस में लोगों ने नए बोरिंग खुदवाए लेकिन हमेशा खारा पानी ही निकला।

जिले में कई क्षेत्र ऐसे भी थे, जहां पर लूटपाट का भय रहा करता था। दूधवाखारा के बुजुर्ग फूलाराम बताते हैं कि उस समय जनसंख्या व संसाधन काफी कम हुआ करते थे। ऐसे में बारात बैलगाड़ी, ऊंटगाड़ी व हाथियों पर निकला करती थी। अक्सर जिस गांव से बारात आती-जाती थी तो लोग उनके लिए नाश्ते आदि की व्यवस्था किया करते थे। लोक मान्यता है कि करीब 500 साल पहले रामगढ़ की सात बहनों की शादी हिसार के युवकों से हुई थी। सात बहनों को ससुराल पक्ष के लोग कुछ दिन बाद रामगढ़ से वापस हिसार ले जा रहे थे, इसमें सभी के दूल्हे व बाराती भी शामिल थे।

दूधवाखारा में बारात को रोका था

लोक मान्यताओं के अनुसार उस वक्त क्षेत्र में लूटपाट की घटनाएं हो जाया करती थी। दूधवाखारा से बारात लौटते वक्त ग्रामीणों ने नाश्ता कर जाने का आग्रह किया। इस पर बाराती मैदान में ठहर गए। बताया जाता है कि उस समय लूट के इरादे से लुटेरों के एक दल ने अचानक हमला कर मारकाट मचा दी। लुटेरे सातों दूल्हों व बारातियों की हत्या कर सोना-चांदी आदि लूट ले गए। इधर, सात बहनों को दूल्हों की हत्या की सूचना मिलने पर कोहराम मच गया। बताया जाता है कि सातों बहनों ने एक साथ आत्मदाह कर लिया। इससे पहले उन्होंने गांव वालों को श्राप दिया कि इस गांव में कभी मीठा पानी नहीं पी सकेंगे। किवदंती है कि सात बहनों के आत्मदाह के बाद जमीन से सात अलग-अलग तरह पत्थर निकले।

ग्रामीणों ने बनवाए शक्ति मंदिर

लोगों ने बताया कि घटना के बाद में सातों बहनों के शक्ति मंदिर गांव में बनवाए गए। उन्होंने बताया कि आज भी किसी के घर में शादी समारोह होता है तो पहले शक्ति मंदिरों में चूड़ा व चूंदड़ी चढ़ाई जाती है। इसके अलावा हर साल मेला भी भरता है, जहां पर श्रद्धालु धोक लगाने के लिए पहुंचते हैं।

आज भी है हाथी, घोड़ों के पदचिन्ह
ग्रामीण बताते है कि जिस जगह बारात ठहरी थी, वहां पर किसी वक्त एक नदी भी बहा करती थी। लेकिन बाद में वह नदी विलुप्त प्राय: हो गई। जिस जगह पर लुटरों ने बारातियों के साथ-साथ बैल, ऊंट व हाथियों की हत्या की थी। उस जगह

Web sitesi için Hava Tahmini widget