झुंझुनूं (खेतड़ी) : झुंझुनूं के खेतड़ी में बन रहा वन अभयारण्य अब पर्यटकों के लिए एक बेहतर स्थल बनने जा रहा है। सरकार व प्रशासन वन्य अभयारण्य में सफारी कराने को लेकर तैयारी कर रहे हैं ताकि 2023 में इसमें सैलानियों को भ्रमण करवाया जा सकें।
वन्य अभयारण्य में वन विभाग द्वारा अनेक स्थलों को देखने के लिए वॉच टावर भी बनाए जा रहे हैं। अरावली की पहाड़ियों में हरियाली का नजारा देखते ही बनता है। ऐसे में इस समय वन्य जीवों का प्रजनन काल भी शुरू हो जाता है। खेतड़ी की पहाड़ियों में बने बांसियाल वन्य अभयारण्य में पैंथर का कुनबा बढ़ने लगा है।
वन विभाग के अधिकारियों की गणना के अनुसार देखा जाए तो मादा पैंथर ने दो अलग-अलग जगह दो शावकों को को जन्म दिया है जो अक्सर अपनी मां के साथ घूमते हुए दिखाई देते हैं। इन दिनों एक मादा पैंथर के साथ दो शावक खेतड़ी उपखंड के रामकुमारपुरा पानोता भैंरूजी धाम के पास बने पुराने एनीकट के पास पहाड़ियों में दिखाई देते है।
शावकों के साथ दिखाई दिया पैंथर जोड़ा
क्षेत्रीय वन अधिकारी विजय कुमार फगेड़िया ने बताया कि डीएफओ झुंझुनूं राजेंद्र कुमार हुड्डा के निर्देशानुसार सभी पैंथर की लोकेशन समय-समय पर ट्रेस की जाती है और उन पर निगरानी रखी जाती है ताकि वे आबादी क्षेत्र में आकर आमजन को नुकसान नहीं पहुंचाए।
रेंजर विजय कुमार ने बताया कि इन दिनों रामकुमार पूरा के पानोता धाम के पास एक पैंथर जोड़े की लोकेशन अपने दो बच्चों के साथ दिखाई दे रही है। वहीं ग्रामीणों की सूचना पर बागोर ग्राम में भी एक पैंथर का जोड़ा अपने दो शावकों के साथ विचरण कर रहा है, जिसकी वन विभाग की टीम द्वारा निगरानी रखी जा रही है।
अधिकारी कर रहे लगातार निगरानी
उन्होंने बताया कि खेतड़ी वन्य अभ्यारण में चार नर पैंथर, चार मादा पैंथर तथा दो अलग-अलग जगह उनके साथ दो- दो शावक भी है। इस प्रकार कुल एक दर्जन पैंथर खेतड़ी वन्य अभयारण्य में विचरण कर रहे हैं।
अक्सर इनकी लोकेशन उसरिया की ढाणी, तिहाड़ा, खरखड़ा, जसरापुर, बाडलवास, बीलवा में रहती है इसके साथ कई बार स्टेट हाईवे पर भी वह रात्रि को वाहनों की रोशनी में विचरण करते हुए सड़क पर दिखाई दे जाते हैं। लगातार जनप्रतिनिधि व वन विभाग के बड़े अधिकारी क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। इस वन्य अभयारण्य को उत्तर भारत का सबसे बड़ा वन्य अभयारण्य बनाने पर केंद्र व राज्य सरकार अपनी भरपूर कोशिश कर रही है। आने वाले समय में यह पर्यटकों के लिए एक बहुत बड़ा आकर्षण का केंद्र होगा, जहां शेरों की दहाड़ भी सुनाई देगी।
पुराने एनिकटों की करवाई मरम्मत
वन्य अभ्यारण में अक्सर वन्यजीव रहने तो लग जाते हैं, लेकिन उनका जीवनयापन बड़ा ही दुर्लभ हो जाता है। क्योंकि उनके अनुकूल वातावरण व खाने पीने की व्यवस्था नहीं हो तो वह वहां से कुच कर जाते हैं। रेंजर विजय कुमार ने बताया कि खेतड़ी वन्य अभयारण्य में पैंथर के लिए अलग से कई वाटर हाल, एनीकट, नाडिया तैयार की गई है।
जिनमें टैंकरों द्वारा पानी भरवाया जाता है। कई पुराने एनीकट ऐसे हैं जिनकी मरम्मत करवाकर उनमें पानी की व्यवस्था करवाई जाती है। पैंथर के खाने के लिए नीलगाय, चिंकारा, सियार, गीदड़, जंगली, सूअर छोड़े जाते हैं, जिससे वह अपना रहन सहन अच्छे ढंग से कर सकें।
समदेड़ा तालाब से अजीत सागर बांध तक बन रहा है पेट्रोंग पथ
क्षेत्रीय वन अधिकारी विजय कुमार ने बताया कि सरिस्का की तर्ज पर खेतड़ी वन्य अभ्यारण को डेवलप किया जा रहा है। यहां पर्यटकों के घूमने के लिए पेट्रोंग पथ का निर्माण किया जा रहा है।यह कई किलोमीटर एरिया में बनाया जाएगा।
प्रथम चरण में समदेड़ा तलाब से अजीत सागर बांध तक बनाया जाएगा। जिससे आने वाले सैलानी हॉर्स राइडिंग भी कर सकेंगे तथा निजी वाहनों से भी आवागमन सुगम होगा और पर्यटक वन्य अभ्यारण के रमणीक दृश्य देख पाएंगे।
पोटाश गन के धमाके से आबादी क्षेत्र से दूर हटाए जाएंगे पैंथर
पैंथर एक वन्य जीव है यह कहीं भी विचरण कर सकता है कई बार यह आबादी क्षेत्र में भी आ जाते हैं, जिससे गांव में रहने वाले किसानों के पशुधन को वह मार गिराते हैं और किसानों को काफी नुकसान होता है। ऐसे में क्षेत्रीय वन अधिकारी विजय कुमार ने स्पेशल पंजाब से पोटास गन मंगवाई है, जिसके बड़े धमाके के साथ आबादी क्षेत्र से पैंथर को दूर हटाया जाएगा। जिससे ग्रामीणों को खासी राहत मिलेगी।
स्पेशल वॉच टावर व व्यू पॉइंट
वाइल्ड एनिमल को अक्सर स्कूली बच्चे किताबों और टीवी पर ही देखते हैं। ऐसे में खेतड़ी का वन्य अभयारण्य बच्चों के लिए एक वरदान साबित होगा। स्कूली बच्चे और पर्यटक नजदीक से वाइल्ड एनिमल को देख पाएंगे ऐसे में उनकी सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए वन विभाग ने अभयारण्य के डेवलपमेंट के तहत दो वॉच टावर तथा 13 अलग-अलग जगह पॉइंट बनाए हैं। जहां से पैंथर व अन्य जंगली जानवरों की अठखेलियां को करीब से पर्यटक देख पाएंगे।