झुंझुनूं : देश सहित संगीत व लोकगीतों से विश्व में पहचान बनाने वाले राजस्थान में संगीत के बेरोजगार युवाओं का भविष्य अंधकार में हैं। संगीत विषय में डिग्री व डिप्लोमा कोर्स कर हर साल हजारों विद्यार्थी रोजगार की तलाश में निकल रहे हैं।
प्रदेश के कॉलेज व विश्वविद्यालयों के साथ संस्थान संगीत का ज्ञान व संगीत विषय में डिग्री व डिप्लोमा दे रही हैं। लेकिन राज्य सरकार इन बेरोजगार युवाओं के भविष्य पर ध्यान नहीं दे रही हैं। प्रदेश में 13 पद शेष है। हर साल संगीत के 500 से अधिक विद्यार्थी निकलते हैं, लेकिन उनका भविष्य अंधकार में है।
विषय के प्रति भेदभाव
स्कूल कॉलेजों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को रूचि के अनुसार विषय लेने की छूट दी जाती हैं। प्रदेश के सैकड़ों कॉलेज व विश्वविद्यालयों में डिग्री व डिप्लोमा भी जारी हो रहा हैं। लेकिन सरकार विद्यार्थियों के रूचि के विषयों में भी भेदभाव कर रही हैं। अगर स्कूल कॉलेजों में विषय का ज्ञान विद्यार्थियों को मिल रहा हैं, तो उन विषयों में रोजगार देने का काम सरकार का हैं। वर्ष 1992 के बाद स्कूलों में तृतीय श्रेणी शिक्षकों के पद खत्म कर दिए गए। व्याख्याता के पदों की हालात सबके सामने हैं। संगीत व कला में अपना भविष्य संवारने वाले युवाओं की आस तोड़ने का काम सरकार कर रही है।
इन आंकड़ों से समझें गणित
पोस्ट व्याख्याता व्याख्याता व्याख्याता
विषय भूगोल संगीत कला
स्वीकृत पद 6070 43 446
पुरूष 3859 3 153
महिला 1165 15 82
कार्यरत 5024 18 235
रिक्त पद 1046 25 211