उत्तर प्रदेश सरकार की नीति को दरकिनार करके हमीरपुर जनपद में तकनीकी सहायक कर रहे भुगतान। कम काम की ज्यादा एमबी लगा कर सरकार से कर रहे करोड़ो की चोरी। तकनीकी सहायक ग्राम प्रधान व सचिव से मिलकर भ्रष्टाचार को देता है बढ़ावा। दरअसल, एक ओर मुखमंत्री जीरो टारलेंस में काम करने का आदेश देते है तो वहीं हमीरपुर जनपद के मौदहा विकास खंड में तैनात संतभवन सिंह, दिलीप शुक्ला, अजय दिवेदी, आदिल, नरेंद्र पाल, शिवनाथ, हरिओम, राजेंद्र नामदेव तकनीकी सहायक शासन की महत्वपूर्ण योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में तकनीकी सहायकों द्वारा बिना कार्यस्थल में जाए फर्जी तरीके से एस्टीमेट बनाकर और फिर बिना कार्य स्थल का मापांकन किए एमबी की जा रही है। जिससे भारी भ्रष्टाचार हो रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, विगत दिनों में मुख्य विकास अधिकारी महोदय द्वारा कुछ ग्राम पंचायतों का निरीक्षण कर तकनीकी सहायकों की कार्य प्रणाली पर रोष प्रकट किया गया। किन्तु तकनीकी सहायकों द्वारा अपनी कार्य प्रणाली में कोई सुधार नहीं किया जा रहा है।
शासन की महत्वपूर्ण योजना बनी लूट खसोट का शिकार
आपको बता दें कि अधिकांश तकनीकी सहायक अपने गृह विकास खंड या अपने मूल निवास स्थान के समीप ही कार्यरत हैं। जिससे स्थानीय निवासी होने का लाभ उठाकर मनमानी करते हैं। अगर अधिकारियो की बात करे तो कार्यवाही के नाम में खाना पूर्ति करते है। सूत्रों की माने तो कुछ तकनीकी सहायक के स्कूल या जेसीबी भी चलते है। अगर प्रशासन इनकी आय और व्यय की जांच करा ले तो एक बड़े पैमाने में भ्रटाचार का खुलासा हो सकता है और आय से अधिक संपत्ति की जांच हो जाए तो सिंडीकेट का खुलासा हो सकता है।
हैरानी की बात ये है कि सिंडीकेट का खुलासा घर बैठ ही एमबी कर देते है मौके में जाना उचित नहीं समझते है। बीडीओ से सांठ गांठ करके करते है मनमानी ढंग से एमबी और प्रधान सचिव से लेते है मोटी रकम। ज्ञातब हो की इन लोगों का मानदेय मासिक वेतन मात्र 15000 रुपए है। बल्कि इनकी संपत्ति करोड़ों में बताई जा रही है इनके आलीशान भवनों का नजर कुछ यूं है।