हरियाणा-कुरुक्षेत्र : श्रम विभाग में सहायक श्रम आयुक्त (सीनियर)/ उप-श्रमायुक्त (DLC) के खाली पड़े पद को तुरंत भरे जाने की मांग को लेकर जिला उपायुक्त की सुपरिटेंडेंट गीता सैनी के माध्यम से जिला उपायुक्त के नाम एक ज्ञापन सौंपा

हरियाणा-कुरुक्षेत्र : निर्माणकार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन, मनरेगा मजदूर यूनियन और जन संघर्ष मंच हरियाणा के राज्य पदाधिकारियों के एक प्रतिनिधिमण्डल ने जिला कुरुक्षेत्र में श्रम विभाग में सहायक श्रम आयुक्त (सीनियर)/ उप-श्रमायुक्त (DLC) के खाली पड़े पद को तुरंत भरे जाने की मांग को लेकर जिला उपायुक्त की सुपरिटेंडेंट गीता सैनी के माध्यम से जिला उपायुक्त के नाम एक ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधमंडल में निर्माणकार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन के राज्य प्रधान करनैल सिंह व महासचिव सुरेश कुमार, मनरेगा मजदूर यूनियन के राज्य प्रधान नरेश कुमार व महासचिव सोमनाथ और जन संघर्ष मंच हरियाणा की महासचिव सुदेश कुमारी एडवोकेट शामिल रहीं। सीएम विंडो कुरुक्षेत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार तथा रजिस्टर्ड पोस्ट द्वारा श्रमायुक्त हरियाणा के नाम भेजे गए ज्ञापन में भी यही मांग की गई है।

मीडिया के नाम जारी संदेश में सुदेश कुमारी एडवोकेट तथा मजदूर नेताओं करनैल सिंह, सुरेश कुमार, नरेश कुमार व सोमनाथ ने बताया कि जिला कुरुक्षेत्र में पिछले लंबे समय से, 30 अप्रैल 2023 से सहायक श्रम आयुक्त (सीनियर)/उप श्रम आयुक्त का पद खाली पड़ा है जिसकी वजह से मजदूरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उक्त श्रम अधिकारी का पद खाली होने की वजह से जिन मजदूर कर्मचारियों की मजदूरी या वेतन मालिक देते नहीं हैं वे ‘मजदूरी संदाय अधिनियम-1936 के न्याय प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। कर्मचारी प्रतिकार अधिनियम-1923, न्यूनतम वेतन अधिनियम-1948’ आदि कानूनों के तहत मामले लंबित पड़े हैं। बेरोजगारी भत्ता से संबंधित मनरेगा मजदूरों के पुराने मामले पिछले 12-12 साल से लटके पड़े है, जिनमें पहले ही मजदूरों को न्याय लेने के लिए अपने जीवन का बहुमूल्य समय और पैसा गंवाना पड़ रहा है। उपरोक्त अधिकारी की नियुक्ति न होने की वजह से यह प्रक्रिया और भी दुखदायी और असहनीय हो गई है। हरियाणा सरकार कुरुक्षेत्र में सहायक श्रम आयुक्त (सीनियर)/उप श्रम आयुक्त की नियुक्ति न करके मजदूरों के साथ सरासर धोखा कर रही है और अपने चहेते मालिकों को लाभ पहुंचा रही है।

अनेक मजदूरों के अति आवश्यक मामले नए सिरे से दायर होने हैं, वे भी दायर नहीं हो पा रहे हैं। अधिकारी की नियुक्ति के बिना कार्यालय के कर्मचारी भी मामले की फाइल को दर्ज नहीं कर सकते हैं। ये मामले अवधि-बाधित होने के कारण समय-सीमा से बाहर चले जाएंगे तथा मजदूर और कर्मचारियों को राहत नहीं मिलेगी। श्रम कानूनों का उल्लंघन करने वाले और मजदूर का शोषण करने वाले व्यक्ति किसी भी प्रकार का प्रतिकार, वेतन, न्यूनतम वेतन, हरजाना आदि देने से बच जाएंगे। यह मजदूरों के लिए प्राकृतिक न्याय के नियमों के विरुद्ध है। न्याय का देरी से मिलना, न मिलने के समान है।

आज हमने सरकार और प्रशासन से उपरोक्त पद पर सक्षम श्रम अधिकारी की नियुक्ति किए जाने की मांग की है यदि शीघ्र ही सक्षम श्रम अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गई तो जिला के मजदूर आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।

सुरेश कुमार. महासचिव निर्माणकार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन
सोमनाथ महासचिव
सुदेश कुमारी महासचिव, जन संघर्ष मंच हरियाणा

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