अलवर-बानसूर : उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने कहा कि कोरोना काल में छोटे-छोटे उद्योग धंधों बंद हो गए थे और कुछ उद्योग धंधे बंद होने के कगार पर आ गए थे। राजस्थान के कुछ पारंपरिक उद्योग धंधे भी काफी प्रभावित हुए थे। ऐसे में उनकी पुनर्स्थापना के लिए युवाओं को लोन दिए जाने की योजना और हर ऋण की राशि पर अलग-अलग स्लैब के आधार पर अनुदान राशि दी जाती है। उन्होंने बताया कि दलित और आदिवासी उद्यम प्रोत्साहन योजना के तहत विशेष छूट दी जाती है। रीको भी फैक्ट्री और उद्यम लगाने के प्लॉट पर 50 पर्सेंट छूट देती है।
अपने विधानसभा क्षेत्र बानसूर में विकास कार्यों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मेरी किसी से नाराजगी नहीं है और राजनीति में राजी और नाराजगी कोई बात नहीं होती। हर व्यक्ति को अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता होती है। प्रधानों से उनका कोई विवाद नहीं है और भी लोग एमएलए का चुनाव लड़ें। क्योंकि हर आदमी जब राजनीति में होता है तो उन्हें आगे बढ़ने की लालसा रहती है। अवैध खनन के आरोप पर मंत्री ने कहा कि इस मामले की जांच करा लें और आरोप लगाना राजनीति में आसान है। जिस खान की बात की जा रही है, वह काफी बरसों से चल रही है और वहां किसी भी तरीके का अवैध खनन नहीं है।
विकास के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि पूर्व मंत्री रोहिताश शर्मा ने अपने कार्यकाल में कोई काम नहीं किया। इन मुख्यमंत्री के कार्यकाल में कॉलेज, उपाधीक्षक कार्यालय, पुलिस चौकी, बस स्टैंड बालिका, कॉलेज, उद्योग-धंधे जिला अस्पताल खुल गए हैं। बानसूर में उद्योग धंधे के सवाल पर उद्योग मंत्री बोलीं कि दिल्ली के एनसीआर से बाहर निकाला जाए, तभी बानसूर में उद्योग धंधे स्थापित हो सकते हैं। क्योंकि एनसीआर में आने के कारण जिस तरह भिवाड़ी इलाका प्रभावित है। उसी तरह फिर यह इलाका प्रभावित हो जाएगा। क्योंकि प्रदूषण के नाम पर केंद्र सरकार भिवाड़ी इलाके के उद्योग धंधों को बंद कर देती है।
उन्होंने कहा कि यह जरूरी नहीं कि फैक्ट्री ही प्रदूषण फैलाती हैं। धूल और मिट्टी के कारण भी प्रदूषण होता है। उन्होंने भारत सरकार को भी पत्र लिखकर एनसीआर से बाहर निकालने की मांग की है, जिससे बानसूर इलाके में उद्योग धंधे स्थापित हो सकें। क्योंकि यहां उद्योगपति इसलिए उद्योग नहीं लगा पा रहे क्योंकि उन्हें पता है कि प्रदूषण के नाम पर केंद्र सरकार यहां पर रोक लगा देगी।