भारत में टायर बनाने वाली सबसे बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी MRF यानी मद्रास रबर फैक्ट्री के शेयर्स ने इतिहास रच दिया है। MRF के स्टॉक ने आज (13 जून) कारोबारी सत्र में एक लाख रुपए का रिकॉर्ड आंकड़ा पार कर लिया। ऐसा करने वाली MRF भारत की पहली कंपनी बन गई है।
स्टॉक ने 1,00,439.95 रुपए का इंट्राडे हाई बनाया
स्टॉक ने ट्रेडिंग सेशन के दौरान 1,00,439.95 रुपए का इंट्राडे और 52 वीक हाई भी बनाया। हालांकि MRF का शेयर 931.45 रुपए यानी 0.94% की बढ़त के साथ 99,900 रुपए पर बंद हुआ। कारोबारी सत्र की शुरुआत में इसका शेयर 99,150 रुपए पर ओपन हुआ था।
एक साल में MRF का स्टॉक 46% चढ़ा
एक दिन पहले यानी सोमवार (12 जून) को MRF का शेयर 98,939.70 रुपए पर बंद हुआ था। पिछले एक साल में इस शेयर में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है। एक साल में यह स्टॉक 46% चढ़ा है। MRF के शेयर्स ने 17 जून 2022 को BSE पर 65,900.05 के अपने 52-हफ्ते के निचले स्तर को छुआ था।
42 हजार करोड़ रुपए का है MRF का मार्केट कैप
MRF कंपनी के टोटल 42,41,143 शेयर्स हैं, जिनमें से 30,60,312 शेयर पब्लिक शेयर होल्डर्स के पास हैं। वहीं 11,80,831 शेयर कंपनी के प्रमोटर्स के पास हैं। इस कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन 42.37 हजार करोड़ रुपए है।
Q4FY23 में MRF का प्रॉफिट 162% बढ़ा
Q4FY23 यानी चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में MRF के नतीजे शानदार रहे। मार्च तिमाही में MRF का स्टैंडअलोन प्रॉफिट 162% बढ़कर 410.66 करोड़ रुपए रहा। चौथी तिमाही में कंपनी का ऑपरेटिंग परफॉर्मेंस मजबूत हुआ है।
कंपनी का ऑपरेशन से होने वाला स्टैंडअलोन रेवेन्यू सालाना आधार पर 10% बढ़कर 5,725.4 करोड़ रुपए रहा। इतना ही नहीं, कंपनी ने अपने निवेशकों को 169 रुपए प्रति शेयर डिविडेंड देने का ऐलान भी किया है।
2016 में 50,000 रु का था MRF का शेयर
MRF का शेयर साल 2000 में 1000 रुपए का था। वहीं 2012 में ये 10,000 रुपए के स्तर पर पहुंचा। इसके बाद 2014 में इस स्टॉक (शेयर) ने 25,000 रुपए का आंकड़ा छुआ था। फिर ये 2016 में 50,000 रुपए पर पहुंचा। साल 2018 में 75,000 और अब MRF का स्टॉक 1 लाख रुपए के आंकड़े को पार कर चुका है।
MRF का स्टॉक आखिर इतना महंगा क्यों है?
इसके पीछे की वजह है कंपनी के शेयर्स का कभी स्प्लिट ना करना। एंजल वन के मुताबिक, 1975 के बाद से ही MRF ने अभी तक अपने शेयर्स को कभी स्प्लिट नहीं किया है। वहीं, साल 1970 में 1:2 और 1975 में 3:10 के रेश्यो में MRF ने बोनस शेयर इश्यू किए थे।
MRF दुनिया के 75 से ज्यादा देशों में एक्सपोर्ट करती है
भारत में टायर इंडस्ट्री का मार्केट करीब 60,000 करोड़ रुपए का है। जेके टायर एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड और सिएट टायर्स MRF के कॉम्पिटिटर हैं। MRF के भारत में 2,500 से ज्यादा डिस्ट्रीब्यूटर्स हैं। इतना ही नहीं, ये कंपनी दुनिया के 75 से ज्यादा देशों में एक्सपोर्ट भी करती है।
MRF की टॉय-बैलून बनाने से हुई थी शुरुआत
चेन्नई बेस्ड MRF कंपनी का पूरा नाम मद्रास रबर फैक्ट्री है। इस कंपनी की शुरुआत 1946 में टॉय बैलून बनाने से हुई थी। 1960 के बाद से कंपनी ने टायर बनाना शुरू कर दिया था। अब यह कंपनी भारत में टायर की सबसे बड़ी मैन्युफैक्चरर है।
- के. एम मैमन मापिल्लई MRF के फाउंडर हैं। वे पहले गुब्बारा बेचते थे। केरल में एक ईसाई परिवार में जन्मे मापिल्लई के पिता स्वतंत्रता सेनानी थे। आजादी की लड़ाई के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।
- पिता के जेल जाने के बाद घर की पूरी जिम्मेदारी मापिल्लई के कंधों पर आ गई, उनके 8 भाई-बहन थे। परिवार चलाने के लिए उन्होंने सड़कों पर गुब्बारे बेचने का काम शुरू किया। 6 साल तक गुब्बारे बेचने के बाद 1946 में उन्होंने रबर का बिजनेस करने का फैसला किया।
- मापिल्लई ने इसके बाद बच्चों के लिए खिलौने बनाने का काम शुरू किया। साल 1956 आते-आते उनकी कंपनी रबर के कारोबार की बड़ी कंपनी बन चुकी थी। धीरे-धीरे उनका झुकाव टायर इंडस्ट्री की ओर बढ़ा।
- साल 1960 में उन्होंने रबर और टायरों की एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई। बाद में कारोबार बढ़ाने के लिए उन्होंने अमेरिका की मैन्सफील्ड टायर एंड रबर कंपनी के साथ समझौता किया।
- साल 1979 तक कंपनी का कारोबार देश-विदेश में फैल चुका था। इसके बाद अमेरिकी कंपनी मैन्सफील्ड ने MRF में अपनी हिस्सेदारी बेच दी और कंपनी का नाम MRF लिमिटेड कर दिया गया।
- साल 2003 में 80 साल की उम्र में मापिल्लई का निधन हो गया। मापिल्लई के निधन के बाद उनके बेटों ने बिजनेस संभाला और जल्द ही उनकी कंपनी नंबर-1 बन गई। टायर बनाने वाली कंपनी ने स्पोर्ट्स में भी काफी रुचि दिखाई।
- MRF रेसिंग फॉर्मूला 1, फॉर्मूला कार, MRF मोटोक्रॉस जैसे सेक्टर में कंपनी नंबर-1 बनी। देश-विदेश में बिजनेस करने वाली इस कंपनी की ज्यादातर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट केरल, पुडुचेरी, गोवा और तमिलनाडु में है।
- MRF कंपनी टायर, ट्रेड्स, ट्यूब्स, कन्वेयर बेल्ट्स, पेंट्स, खिलौने के अलावा स्पोर्ट्स गुड्स बनाती है। साल 2007 में कंपनी ने 1 अरब डॉलर के टर्नओवर को पार कर लिया था।