कोटा : कोटा में साधु के वेश में परिवार को लूटने का मामला सामने आया है। आरोपी बदमाश कोटा में पड़े बेटे को ठीक करने के नाम पर परिवार से 16 लाख के गहने लेकर भाग गया। परिवार के सामने हुई घटना का उन्हें अंदाजा भी नहीं लगा। घर में मौजूद महिला बार-बार परिवार को गहने का पर्स गायब होने के बारे में बताती रही, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। साधू के वेश में आए युवक को महिला का पति खुद वापस छोड़कर आया, लेकिन लूट का एहसास नहीं हुआ। आखिर गहने गायब मिले तो मामला दर्ज करवाया।
दरअसल, गत शनिवार को कुन्हाड़ी थाना इलाके के आदर्श नगर में रहने वाले आकाशवाणी में प्रोग्राम अधिकारी के पद पर कार्यरत हरिओम मीणा के परिवार के परिवार में ठगी की वारदात हुई। हरिओम मीणा ने बताया- मेरा बेटा कोमा में है। टेंशन में रहता हूं, कुछ समझ नहीं आता है। मंदिरों और संतो के पास भी जाकर आशीर्वाद लेता हूं। कोई संत मिलता है तो सोचता हूं कि शायद इसके आशीर्वाद से बच्चा ठीक हो जाए। उस दिन भी यही हुआ।
हरिओम ने बताया- मुझे कुछ पता नहीं कि मेरे साथ क्या होता रहा। शनिवार सुबह 8 बजे सब्जी लेने गया था। रास्ते में बाबा ने हाथ दिया। पहले तो स्टैंड पर छोड़ने को कहा। फिर घर की चाय पीने की बात कही। मैने सोचा कि क्या पता संत के कदम घर में पड़ जाए तो आशीर्वाद मिल जाए। यही सोच कर घर ले गया। यहां तक तो मैं होश में था। घर जैसे ही लेकर गया, उसने अंदर जाने से पहले कहा कि तुम्हारे घर में बहुत परेशानी है। इसके बाद वह घर के अंदर पहुंचा। मैने पत्नी से कहकर उसके लिए आसन लगवाया। वह आसन पर बैठ गया। मैंने चाय बनाने के लिए कहा। आसन उस कमरे के पास लगाया था जहां मेरा बेटा रहता है, वह कोमा में है।
बाबा को 100 रूपए भेंट दिए। बाबा ने लिए और वापस दे दिए। इसके बाद उसने कहा- आपका बेटा परेशानी में है। मुझे पता नहीं क्या हुआ, मैं उसकी हर बात मानने लगा। आखिर तक मैं उसकी बातों में आता रहा। यहां तक कि जब मेरी पत्नी ने कहा- गहनों का पर्स गायब है तो भी मैने विश्वास नही किया। मैं पत्नी को चुप कराता रहा। बाबा को वापस छोड़ आया। मेरा दिमाग काम ही नहीं कर रहा था, जैसे मैं सम्मोहन में था।
पहले कहा कि एक लाख रूपए हैं क्या, फिर गहने मंगवाए
हरिओम की पत्नी हंसो मीणा ने बताया- मुझे हर बात याद रहती है, लेकिन उस समय के दो ढाई मिनट ऐसे थे कि क्या हुआ मुझे अब भी याद नहीं आ रहा। मैं रातभर सोचती हूं कि क्या हुआ। उस बाबा ने जरूर कोई टोटका कर सम्मोहित किया, लेकिन मैं जल्द होश में आ गई थी। हंसो मीणा ने बताया- जैसे ही बाबा अंदर आया। आसन पर बैठते ही उसने कहा कि यहां मंदिर गलत दिशा में बना हुआ है। इस दौरान भतीजे की बहू सुप्रिया चाय लेकर आई, लेकिन बाबा ने पीने से मना किया। हमें पास में बैठा लिया।
बाबा ने कहा- सिर्फ चार लोग ही यहां बैठेंगे। इसमें हरिओम, उसकी पत्नी हंसो, हरिओम के छोटे भाई की पत्नी सांगती और भतीजे की बहू सुप्रिया थी। चारों को बैठाकर उसने कहा- यहां अब कोई नहीं आना चाहिए। इसके बाद वह उठकर बेटे के पास गया। कहा- इसे ठीक कर देंगे एक लाख दे दोगे। इस पर हंसो ने कहा- किस बात के एक लाख रुपए देंगे। यह ठीक हो जाएगा तब दे देंगे, लेकिन पहले कुछ नहीं देंगे। इस पर बाबा ने कहा- मुझे कुछ नहीं चाहिए मैं तो बस देख रहा था कि बेटे के लिए क्या कर सकते हो।
इसके बाद उसने चावल के दाने मंगवाए और मुट्ठी में बंद कर लिए। इसके बाद मुट्ठी खोली तो उसमें चावल और गेहूं के दाने थे। उसने कहा- इनमें से कुछ पर्स में रख लेना, एक दाना बेटे को पीसकर खिला देना। बाकी के मंदिर में रख देना। इसके बाद उसने कहा कि जेब में कितने रुपए रखे है।
चारों ने अपने पास रखे रुपयों की जानकारी दे दी। फिर सबकी सैलरी के बारे में पूछा। बाद में कहा- मुझे क्या दे सकते हो लड़के को ठीक कर दूं तो। इस दौरान उसने एक सौ का नोट हाथ में लिया। उसे मुट्ठी में से पानी की कुछ बौछार मेरे हाथ पर गिराई। हंसो मीणा ने बताया- इसके बाद मेरा भी दिमाग काम करना बंद कर दिया।
गहने मंगवाए और ढ़ाई मिनट तक कुछ याद नही रहा
हंसो ने बताया- उसके बाद हम बाबा जो कह रहा था उसकी बात मानने लगे। उसने हमसे कहा- गहने लेकर आओ। हम गहने लेकर आए। चारों के मिलाकर 300 ग्राम से ज्यादा के गहने थे। इनकी कीमत करीब 16 लाख रुपए थी। उसने गहने रखने के लिए पर्स मंगवाया। इसके बाद पर्स में गहने भरे और मेरे दुपट्टे में पोटली बनाकर रख दिए। इसके बाद वह पोटली मेरे बेटे के ऊपर से पांच बार फिरवाई। इसके बाद करीब ढाई मिनट तक मुझे पता ही नहीं है कि मेरे साथ क्या हुआ। सब कुछ भूल गई। बाबा ने कहा- पोटली को अलमारी में ले जाकर रख दो और शाम को सवा पांच बजे खोलना।
इस दौरान बाबा ने कहा- मुझे छोड़ दो। मैं पोटली रखने गई तब होश में आ गई। मैंने कहा- इसमें तो गहनों का पर्स ही नहीं है। मैंने आकर बाबा से कहा तो उसने कहा कि तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है क्या? मुझ पर शक मत करो। मैंने कहा- शक की क्या बात है, पोटली में पर्स नहीं है। उसने भगवान की मूर्ति पर हाथ रखकर कसम खाई कि पर्स पोटली में है। मैने दुपट्टा दिखाकर कहा पर्स कहां है। उसने कहा कि मुझ पर शक करेगी तो तेरा बेटा नहीं बचेगा। मैंने कहा कि शक नहीं सच है कि पर्स नहीं है। इस दौरान न तो मेरे पति और न ही अन्य लोगों ने मेरी बात सुनी। मैं कहती रही कि पर्स गायब है, लेकिन वह बाबा के वश में थे तो उन्होंने कहा कि तुम चुप करो तुम्हें ऐसे ही शक हो रहा है।
इसके बाद मेरे पति उसे वापस ले गए। चौराहे पर ही छोड़ दिया। जैसे ही वह बाबा घर से बाहर गया तो मैने फिर भतीजे को कहा कि पर्स नहीं है। तब वह भी होश में आया। उसने पर्स देखा, लेकिन नहीं था। तब मैं सीधा थाने गई। पुलिस को घटना बताई। पुलिस वाले मेरे साथ ही घर आए थे। हमने जाकर चौराहे और बस स्टैंड देखा, लेकिन वहां कोई नहीं मिला। मैंने पति को फोन कर वापस घर बुलाया तब जाकर उन्हें विश्वास हुआ कि पर्स गायब था।
13 साल पहले बेटे का एक्सीडेंट हुआ था, करीब पांच साल से कोमा में
हरिओम ने बताया- उनके बेटे विकास का साल 2010 में कार एक्सीडेंट हुआ था। उदयपुर नाथद्वारा के बीच कार पलट गई थी। तब उसे गंभीर चोट सिर और स्पाइनल कोड में आई थी। तब लंबे समय तक उसका इलाज चला। उसका एम्स में ऑपरेशन भी हुआ। वह कुछ ठीक हुआ, व्हीलचेयर पर आ गया था। साल 2017 में वह कोमा में चला गया। तब से ही वह कोमा में है। घर पर ही बेड पर है, घर पर ही उसका इलाज चलता है। बेटे को लेकर हमेशा तनाव रहता है। वह कैसे भी ठीक हो जाए, बस यही सोचते रहते हैं। इसलिए मंदिरों, संतो के पास भी जाते हैं। लेकिन पता नही था कि इतनी बड़ी वारदात हो जाएगी।
एएसआई रणधीर सिंह ने बताया- मामला दर्ज कर लिया गया है। घर में लगे सीसीटीवी खंगाले है। जहां से बाबा को ले गए और आगे जाने के संभावित स्थानों के सीसीटीवी देख रहे है। मामले में जांच की जा रही है, कोशिश है जल्द आरोपी गिरफ्तार हो।