नई दिल्ली : भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मुकदमा सांसदों और विधायकों के मामले देख रही अदालत या फिर यौन अपराध से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पोक्सो अधिनियम) के तहत अपराध की सुनवाई करने वाली अदालत में चलेगा। पहलवानों ने इस मुद्दे को लेकर याचिका दायर की है। हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर हाईकोर्ट रजिस्ट्रार और दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
राउज एवेन्यू कोर्ट में दो याचिकाएं दायर कर की है पहलवानों ने ये मांग
वर्तमान में राउज एवेन्यू कोर्ट सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों को देखता है। हालांकि यौन अपराध से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पोक्सो अधिनियम) के तहत अपराध के लिए प्रासंगिक अधिकार क्षेत्र वाली अदालत पटियाला हाउस कोर्ट है। पहलवानों ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 156 (3) के तहत राउज एवेन्यू कोर्ट के समक्ष दो याचिकाएं दायर कर अदालत की निगरानी में जांच की मांग की थी। इनमें से एक दलील 18 साल से ऊपर के पहलवानों के समूह की थी, जबकि दूसरी नाबालिग पहलवानों की थी।
वर्तमान में राउज एवेन्यू कोर्ट सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों को देखता है। हालांकि यौन अपराध से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पोक्सो अधिनियम) के तहत अपराध के लिए प्रासंगिक अधिकार क्षेत्र वाली अदालत पटियाला हाउस कोर्ट है। पहलवानों ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 156 (3) के तहत राउज एवेन्यू कोर्ट के समक्ष दो याचिकाएं दायर कर अदालत की निगरानी में जांच की मांग की थी। इनमें से एक दलील 18 साल से ऊपर के पहलवानों के समूह की थी, जबकि दूसरी नाबालिग पहलवानों की थी।
कोर्ट ने पहलवानों को जारी किया नोटिस
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने जहां प्रमुख पहलवानों की याचिका पर नोटिस जारी किया, वहीं उन्होंने अन्य मामले को हाईकोर्ट में भेज दिया। हाईकोर्ट के जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने मंगलवार को इस मामले की सुनवाई की और रजिस्ट्रार जनरल और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है। अदालत ने प्रतिवादियों को छह जुलाई तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने जहां प्रमुख पहलवानों की याचिका पर नोटिस जारी किया, वहीं उन्होंने अन्य मामले को हाईकोर्ट में भेज दिया। हाईकोर्ट के जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने मंगलवार को इस मामले की सुनवाई की और रजिस्ट्रार जनरल और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है। अदालत ने प्रतिवादियों को छह जुलाई तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।