झुंझुनूं : धुआ हो रही इंसान की जिंदगी व धरती की हरियाली साथियों ध्यान करना क्यों हो रही है

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : नीलेश मुदगल 

झुंझुनूं : इस साल 31 मई को हम 36 वा विश्व तंबाकू दिवस मनाएंगे, 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के आह्वान पर यह दिवस मनाया जाना शुरू हुआ था, निसंदेह तब से अब तक दुनिया में तंबाखू को लेकर जागरूकता तो काफी बड़ी है लेकिन इस जागरुकता का जो फायदा होना चाहिए था, वह पूरी तरह से नहीं मिल रहा है क्योंकि तमाम कोशिशों के बावजूद भी तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों की संख्या में कोई प्रभावशाली कमी नहीं आ रही है और इसके नुकसान हर गुजरते दिन के साथ बढ़ रहे हैं, विश्व स्वास्थ संगठन का मानना है कि हर साल तंबाकू के विभिन्न उत्पादों के कई तरह से सेवन करने से चलते करीब 80लाख लोग अपनी जान गवा देते हैं, निश्चित रूप में ये सभी सिर्फ तंबाकू के जहर के चलते ही जान नहीं गवाते बल्कि तंबाकू का यह जहर जिसमें 4000 से ज्यादा जहरीले केमिकल होते हैं, सैकड़ों ऐसी वजहो कि बुनियादी बुनियाद तैयार करते हैं जिससे इंसान का स्वास्थ्य प्रभावित होता है।

लगातार तंबाकू के नुकसानो पर हो रहे विभिन्न शोधों से पता चला है कि तंबाकू सिर्फ इंसानों के लिए ही खतरनाक नहीं है बल्कि यह समूचे वातावरण के लिए जानलेवा है जिसमें इंसान सुखी सुरक्षित रहना चाहता है, मसलन तंबाकू के चलते हमारा यह पर्यावरण बुरी तरह से जहरीला हो रहा है जिसमें हमें हम जीते हैं और सांस लेते हैं, तंबाकू के चलते हर साल 39 लाख हेक्टेयर जमीन नष्ट हो जाती है क्योंकि जिस जमीन में तंबाखू उगाई जाती है, वह इसके तमाम सारे जहरीले तत्वों के कारण अनु उपजाऊपन्न हो जाती है, हालांकि जमीन का यह अनुउपजाऊ जमीन को खाली छोड़ दिए जाने के बाद कुछ सालों में फिर लौट आता है लेकिन दुनिया के कई देशों में तंबाकू के जो चोरी-छिपे या आंतकी गतिविधियों के चलते लाखों हेक्टेयर के जंगलों को काट कर खेती की जाती है ताकि उसे बेचकर मुनाफा कमाया जा सके, इससे भी धरती का गंभीर पर्यावरणीय नुकसान हो रहा है।

यदि गहराई से देखें तो तंबाकू के ने इंसान के जीवन को ही नहीं बल्कि इंसान जिस वातावरण में जीवित रहता है उसे भी बहुत बुरी तरह से प्रभावित किया है।

धरती का बदल रहा है डीएनए

तंबाकू उद्योग के कारण हर साल अरबों टन कचरा पैदा होता है और इससे बड़े पैमाने पर धरती जहरीली हो रही है, तंबाकू उद्योग का कचरा और उसके उत्पादों की पैकिंग के लिए जो पेकजिंग मेटेरिमलल बनता है, उससे पर्यावरण का भारी नुकसान होता है, विशेषज्ञों का अनुमान है सिगरेट को तैयार करने के लिए हर साल दुनिया से 60 करोड़ से ज्यादा पेड़ काटे जाते हैं। 2,200 करोड़ साफ पीने का पानी सिगरेट उद्योग उद्योग की भेंट चढ़ जाता है। सिगरेट के विभिन्न उत्पादों से हर साल वातावरण में 8, 40 करोड टन कार्बन डाइऑक्साइड जमा होती है, यह तीनों चीजें पर्यावरण के विनाश की भयावह तस्वीर पेश करती है ,यह सब तंबाकू के विभिन्न उत्पादनो के कारण होता है।

30 परसेंट लोग हर साल धूम्रपान जनित कैंसर से मरते हैं।
तंबाकू के उपभोग से इंसानों का श्वसन तंत्र फेल हो रहा है, हृदय भयानक रूप से कमजोर हो रहा है, पाचन तंत्र और तंत्रिका तंत्र संबंधी रोगो का भी कारण यही तंबाकू है। इसलिए सर्व समाज के पदाधिकारियों से मेरा निवेदन है ज्यादा से ज्यादा यह समाचार हर ग्रुप में भेजें ,जिससे लोगों को समझ में आए की तंबाकू एक बहुत ही जहरीला और पर्यावरण नष्ट करने वाला धुम्रपान है।

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