विश्व रक्तचाप दिवस (17 मई) : सर्वप्रथम World hypertension League (WHL)द्वारा 2005 में पूरे विश्वभर में world hypertension day 17 मई को शुरू किया गया था
उद्देश्य:- आम जन में उच्च रक्तचाप के प्रति जागरूकता बढ़ाना है
Theme of world hypertension Day 2023: ब्लड प्रेशर को सही नापें, नियंत्रित करें एवं लम्बे जिये
भारत में 29.8%जनसंख्या उच्च रक्तचाप से पीड़ित है शहरी क्षेत्रों में 33.8 percent जनसंख्या व ग्रामीण क्षेत्रों में 14.8% percent जनसंख्या उच्च रक्तचाप से पीड़ित है शहरी क्षत्रों में उच्च रक्त चाप ज़्यादा होने का मुख्य कारण आधुनिक जीवनशैली है। उच्च रक्तचाप की जागरूकता के अभाव के कारण व BP नहीं नपाने के कारण बहुत से उच्च रक्तचाप के रोगी अपनी उच्चरक्तचाप की बीमारी से अनजान है।
उच्च रक्तचाप (hypertension):
एक वयस्क जिसकी उम्र 18 वर्ष से ज़्यादा हों में blood pressure 140/90से ज़्यादा हो तो उसे उच्च रक्तचाप कहा जाता है। blood pressure नापने का सही तरीक़ा है पहला measurement सुबह लेवे( दवाई या खाना खाने से पहले )
दूसरा measurement साँयकालीन लेवे, हर बार ब्लडप्रेशर दो या तीन बार नापे।
ब्लडप्रेशर नापने की वर्तमान में दो तरह की device उपलब्ध है
1.मर्करी सफिगमोमनोमीटर sphygmomanometer(पारा सहित ): सरल व सही मशीन
2. Automated Sphigmomanometer (पारा रहित) : इसमें मरीज़ व मरीज़ के रिश्तेदार द्वारा ब्लड प्रेशर नापने हेतु कम training की आवश्यकता पड़ती है।
उच्च रक्तचाप की चार स्तर (level )होती है
1. Normal :- ब्लडप्रेशर 120/80 से कम
2. pre hypertension:- ब्लडप्रेशर 120-139/80-89 के मध्य, यह उच्च रक्तचाप स्तर बीमारी नहीं है इसमें दवाई की ज़रूरत नहीं होती है इसमें सिर्फ़ lifestyle modification की ज़रूरत होती है।
3.Stage 1:- ब्लडप्रेशर 140-159/90-99 के मध्य होता है।
4.Stage 2 :-ब्लडप्रेशर 160/100 से ज़्यादा होता है
स्टेज 1 व स्टेज 2 में लाइफ़स्टाइल मॉडिफ़िकेशन के साथ दवाई की ज़रूरत होती हैं
उच्च रक्तचाप के दो प्रकार होते हैं
1. प्राइमरी primary (essential ) :-मुख्य रूप से यही होता है इसका मुख्य कारण आनुवंशिक होता है
2. सैकेंडरी (secondary) :-इसमें उच्च रक्तचाप किसी बीमारी या दवाइयाँ लेने के कारण होता है
उक्त रक्तचाप के कारण :
1. आनुवांशिक
2. बदलती जीवनशैली
3. तम्बाकू एवं मदिरा का सेवन
4. मोटापा,व्यायाम न करना,ज्यादा नमक का सेवन
5. थायराइड की बीमारी, एड्रीनल ग्रन्थि की बीमारी, डायबिटीज की बीमारी
6. शरीर में वसा की अधिक मात्रा
7. वृद्धावस्था, गुर्दे की खराबी
उक्त रक्तचाप के लक्षण :
1. सिर दर्द होना, चक्कर आना
2. धूंधला दिखाई देना
3. दिल का दौरा (हद्याघात)
4. गुर्दे की खराबी
5. लकवा
6. रक्तवाहिनी का कठोर होना
7. नाक से खून आना
8. जी मिचलना , उल्टी होना
उच्च रक्तचाप से शरीर के निम्न अंगों को ख़तरा होता है
1.ह्रदय – ह्रदयघात होना
2.मस्तिष्क – लक़वा होना ,दिमाग़ का कमज़ोर होना
3.गुर्दे – गुर्दे का ख़राब होना
4. शरीर की रक्तवाहिनी -उस हिस्से में खून का बहाव कम होना ,दर्द होना ,शरीर के उस हिस्से का काला पड़ना
5. आँख -आँख के परदे का ख़राब होना आँखों में रक्त का ज़मना, अंधापन
उच्चरक्तचाप से बचाव एवं उपचार के तरीक़े
1. नमक का सेवन कम करें :
• प्रतिदिन नमक का सेवन 5gm (एक चम्मच से कम करें)
• कभी भी पके हुए भोजन में नमक न डालें
• सैंधा नमक/समुंद्री नमक का उपयोग ना करें
• भोजन पकाते समय व पकाने के बाद भोजन में नमक न डालें
• नमक की जगह काली मिर्च/लहसुन/निम्बू/अदरक/सिरका का उपयोग करें
• अचार/पापड़/पैकट नमकीन/ब्रेड/चिप्स/पैकट फ़ूड/रेडीमेड सूप/पिज़्ज़ा/ चाइनीज फ़ूड/बैकरी उत्पाद से परहेज करें
2. ज्यादा पोटेशियम वाली चीजें खायें :
• ताज़ा फल – केला, अंगूर, संतरा, मौसमी, चेरी, बेर
• दालें – मसूर, सेम, बाकला
• सब्जी- मशरूम, पालक, फूल गोभी, पतागोभी, आलू, टमाटर, शलजम, गाजर
3.भोजन का तरीका बदलें / हेल्थ डाइट चार्ट :
• वसा की मात्रा कम लेवें, अधिक रेशे वाले खाद्य पदार्थ खायें
• कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फ़ूड खायें
• फलों का अधिक सेवन करें
• हरी सब्जियां व दालों का सेवन करें
• कम वसा वाले डेयरी उत्पाद खावें
4. फल एवं सब्जियों का सेवन करें :
• प्रतिदिन पांच बार फल का सेवन करें
• प्रतिदिन हरी सब्जियों व दालों का सेवन करें
5. शराब का सेवन ना करें :
• बियर, रम, विहस्की
6. नियमित व्यायाम करें :
• कम से कम 30 से 60 मिनट नियमित व्यायाम करें
.नियमित व्यायाम के बेहतर तरीके – तेज चलना, नृत्य करना, दौड़ना, साइकिल चलाना, तैराकी करना, बागवानी, घरेलु कामकाज, सक्रिय खेल खेलना, एरोबिक व्यायाम करना
7. तनाव से बचे या कम करें :
• योग करें
• प्रतिदिन 7-8 घंटे सोएं
8. वजन कम करें
.मोटापा कम करें (विशेष तोर पर पेट का मोटापा)
Ideal BMI 18.5 – 25 Kg/m2
डॉक्टर कैलाश राहड़ के अनुसार नियमित रूप से रक्तचाप (Blood Pressure) की जाँच करवायें व चिकित्सक की सलाह के अनुसार दवाइयां लेवे तथा उच्च रक्तचाप मरीज़ प्रत्येक छह माह से निम्न जाँचे चिकित्सक की सलाह के अनुसार करवाए ।
1.ब्लड शुगर की जाँच
2.कोलेस्ट्रोल की जाँच
3. गुर्दे की जाँच (RFT))
4. ह्रदय की जाँच (ECG ,ECHO )
5.लिवर की जाँच ( LFT)
6. इलेक्ट्रोलायट (Na , k )
विशेषज्ञ :-डॉक्टर कैलाश राहड़, सीनियर फिजिशियन एवं मेडिसिन विभागाध्यक्ष