भरतपुर : जयपुर-आगरा नेशनल हाईवे-21 पर पिछले 12 दिनों से चल रहा सैनी आरक्षण आंदोलन मंगलवार को स्थगित कर दिया गया। आंदोलन के चलते हाईवे पिछले 12 दिनाें से बंद था। उधर, आंदोलन स्थगित होने के बाद नेशनल हाईवे अथाॅरिटी ऑफ इंडिया ने हाईवे की सफाई शुरू कर दी।
सैनी आरक्षण आंदोलन को स्थगित करने की घोषणा के एक घंटे बाद ही NHAI (नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) ने जयपुर-आगरा नेशनल हाईवे-21 की सफाई शुरू कर दी। ट्रैक्टर और जेसीबी की मदद से हाईवे पर एक किलोमीटर तक पड़ा मलबा हटाने का काम शुरू हुआ।
सैनी आरक्षण आंदोलन के कारण नेशनल हाईवे 12 दिन से बंद था। वाहनों को भुसावर और नगर होते हुए डायवर्ट किया गया था। इससे जयपुर से आगरा या आगरा से जयपुर जाने वालों को 25 किलोमीटर का एक्ट्रा चक्कर लगाना पड़ रहा था। 21 अप्रैल से नदबई तहसील के अरोदा गांव में हाईवे पर आंदोलनकारी डटे थे।
इससे पहले दोपहर 12 बजे के करीब भरतपुर जिले के नदबई तहसील में आंदोलन स्थल अरोदा पहुंचकर फुले आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक मुरारी लाल सैनी ने आंदोलन स्थगित करने की घोषणा कर दी। घोषणा करने के तुरंत बाद मुरारी लाल सैनी आंदोलन स्थल से चले गए।
सैनी ने घोषणा करते हुए कहा- 21 अप्रैल से माली, सैनी, शाक्य, मौर्य समाज को 12 परसेंट आरक्षण अलग से देने की मांग करते हुए आंदोलन चल रहा था। सरकार से कई स्तर पर बात हुई। सीएम गहलोत ने ओबीसी आयोग को चिट्ठी लिखी। यह तय किया कि 1 मई को समाज की ओबीसी आयोग के साथ मीटिंग होगी। यह मीटिंग सोमवार 1 मई को दोपहर 1 बजे जयपुर में हुई।
मीटिंग में ओबीसी आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि हम 6 महीने में जिलों से रिपोर्ट मंगवाएंगे। हमने कहा कि 10 दिन में ही रिपोर्ट मंगवाइये और 1 महीने में सर्वे करा कर सरकार को रिपोर्ट भेजिए ताकि चुनाव से पहले हम आरक्षण का फैसला करा सकें।
ओबीसी आयोग ने कलेक्टरों को 10 दिन में रिपोर्ट देने को कहा है और एक महीने में सर्वे करा कर सरकार को भेजने की बात कही है। इसलिए आज धरना स्थगित कर रहे हैं। सरकार से ये भी अपील की है कि 21 अप्रैल के बाद और उससे पहले आंदोलनकारियों पर लगे मुकदमे सरकार वापस ले, इस पर भी आश्वासन मिला है।
आंदोलन स्थल पर आंदोलनकारियों के सुर तीखे
आंदोलन स्थगित करने के बाद मुरारी लाल सैनी अरोदा से दोपहर 12.10 बजे रवाना हो गए। भीड़ में से किसी आंदोलनकारी ने कहा कि- मुरारी जी तो पतली गली से निकल गए। हाईवे पर बैठी महिलाओं से हमने बात की। आंदोलन स्थगित की घोषणा के बाद दोपहर 12.15 बजे हाईवे पर जमी महिला आंदोलनकारी सावित्री अरोरा ने कहा- गहलोतजी ने समाज का आरक्षण दे दिया क्या? कोई कागज जारी कर दिया क्या?
हमसे बात कौन करेगा। जब तक आरक्षण नहीं मिलेगा हम धरना स्थल (अरोदा) पर ही रहेंगे। चाहे मर जाएंगे चाहे कुछ भी कर लेंगे। नेता ने यूं कहा था कि मुरारी लाल के हम हैं और हमारे पीछे जनता है। मुरारी तो पतली गली से निकल गया।
दस दिन से हम समाज के लोग धूप में भूखे प्यासे पड़े हैं। यहां आकर कोई हमसे तो बात करता। हम तो रोड खाली नहीं करेंगे, हमारे पास क्या कागज हैं। पिछले साल से हम संघर्ष कर रहे हैं। जनता पागल थोड़े है, समाज पागल थोडे ही है। ये लोग (आंदोलन के नेता) माइक में बार बार बोलते हैं अब लॉलीपॉप नहीं लेंगे, अब लॉलीपॉप नहीं लेंगे।
नेताओं ने तो चलो जनता को पागल समझ रखा है। लेकिन मुरारी लालजी भी समाज को पागल बनाकर चले गए।
आंदोलन स्थल पर मौजूद आंदोलनकारी युवती ने कहा- आंदोलन स्थगित करने को लेकर समाज में आक्रोश नहीं है, समाज को विश्वास था कि जो कमेटी उनकी तरफ से ओबीसी आयोग से वार्ता करने जयपुर गई थी, वह सकारात्मक परिणाम लेकर लौटेगी और धरना स्थल पर समाज की मौजूदगी में फैसला करेगी।
आंदोलन स्थल पर बैठे समाज के लोगों को आज दोपहर 12 बजे का समय दिया था, लेकिन इससे पहले ही आंदोलन समाप्त करने का ऐलान करके समाज के नेता भाग गए। समाज इकट्ठा होता तब शाम 5 बजे समाज के सामने बात रखते, समाज का इंतजार ही नहीं किया, समाज और धरना स्थल छोड़कर भाग गए। अब धरना जारी रहेगा।
एक आंदोलनकारी युवा ने कहा- यदि धरना समाप्त करना था तो जनता को संतुष्ट करना चाहिए था। ऐसे नेताओं को समाज जूते मारेगा।
आंदोलनकारी महिलाओं के साथ धरना स्थल पर बैठे आंदोलनकारी ने कहा- हम जब जेल में थे तब हमारी मुक्ति के लिए हमारी माताओं बहनों ने सड़क पर संघर्ष किया। क्या आज हम अपनी माताओं बहनों को अब सड़क पर छोड़कर चले जाएं? हमारी माता-बहनों को छोड़कर हम नहीं जाएंगे, चाहे सरकार हमें गोली से उड़ा दे।
पुलिस ने आंदोलनकारियों से समझाइश की तो खाली किया हाईवे
आंदोलन समाप्ति की घोषणा होने के करीब एक घंटे बाद तक आंदोलनकारी दोपहर 1.15 बजे तक हंगामा करते रहे। इसके बाद पुलिस ने उन्हें समझाया तो आंदोलनकारियों को लीड कर रहे कुछ लोग सामने आए और कहा कि हम वार्ता से संतुष्ट हैं।
गुस्सा इस बात को लेकर था कि हमारे नेताओं ने हमें विश्वास में नहीं लिया। अब जो चीजें सामने आई हैं उससे हम संतुष्ट हैं। 10 दिन के लिए नेशनल हाईवे खाली कर रहे हैं। 10 दिन में जिला कलेक्टरों से रिपोर्ट मांगी गई है। अगर इसे डिले किया गया तो हम व्यापक स्तर पर फिर आंदोलन करेंगे।
इसके बाद नेशनल हाईवे से आंदोलनकारियों ने टेंट खोलना शुरू कर दिया। साथ ही NHAI की टीम ने ट्रैक्टरों व जेसीबी से रास्ते पर पड़ा मलबा हटाना शुरू कर दिया। नेशनल हाईवे 12 दिन बाद आम जनता के लिए खुल गया है।
सोमवार को हुई थी ओबीसी आयोग से वार्ता
सोमवार को जयपुर में 21 सदस्यीय कमेटी की ओबीसी आयोग से चर्चा हुई थी। यह वार्ता सकारात्मक रही थी।
12 परसेंट आरक्षण की मांग को लेकर माली, सैनी, शाक्य, मौर्य, कुशवाह, काछी समाज के लोग 21 अप्रैल से हाईवे पर कब्जा जमा कर बैठे हैं। चक्का जाम का ऐलान फुले आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक मुरारी लाल सैनी ने किया था।
इसके बाद प्रशासन ने मुरारी लाल सैनी सहित 26 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। 21 अप्रैल को समाज के लोग बिना किसी नेतृत्व के हाईवे पर आ गए और मुरारी लाल सैनी सहित समाज के सभी लोगों की रिहाई की मांग की। सैनी सहित सभी 26 लोगों को 24 अप्रैल को रिहा कर दिया गया।
सीएम ने आश्वासन दिया था-1 मई को ओबीसी आयोग से सकारात्मक रुख मिला
25 अप्रैल को फुले आरक्षण संघर्ष समिति के लोगों की सीएम आए वार्ता हुई जिसमें सीएम की तरफ से आश्वाशन दिया गया कि, 1 मई को दोपहर 1 बजे ओबीसी आयोग से वार्ता की जाएगी। वहीं राज्य सरकार ने मांग रखी कि जब तक वह हाईवे को खाली कर दें।
दूसरी तरफ 25 अप्रैल को आंदोलनकारी मोहन सिंह का शव सुबह 6 बजे आंदोलन स्थल से 150 सौ मीटर की दूरी पर एक पेड़ से लटका मिला। जिसके बाद समाज के लोगों ने पहली मांग रखी कि, अब मोहन सिंह के परिवार को 1 करोड़ रुपए, शहीद का दर्जा और एक सरकारी नौकरी नहीं देंगे, जब तक मोहन सिंह का शव नहीं लिया जाएगा। मोहन सिंह के शव लेने को लेकर आंदोलनकारी और प्रशासन के साथ कई बार वार्ता हुई। जिसके बाद दे रात करीब 11 बजकर 30 मिनट पर मोहन के गांव में उसके शव का अंतिम संस्कार किया गया।
आंदोलनकारियों ने कहा था कि 1 मई को ओबीसी आयोग से वार्ता के बाद ही हाईवे को छोड़ने को लेकर रणनीति तय करेंगे।
बेनतीजा रही वार्ता
उल्लेखनीय है कि 21 अप्रैल से 12 फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर माली, सैनी, शाक्य, मौर्य समाज आंदोलन कर रहा था। इस दौरान सरकार से कई बार वार्ता हुई, लेकिन हर बार वार्ता बेनतीजा रही। इसके बाद ओबीसी आयोग के साथ आंदोलनकारियों की मीटिंग हुई। मीटिंग के बाद फुले आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक मुरारी लाल सैनी ने आंदोलन स्थगित करने की घोषणा कर दी।
चुनाव से पहले आरक्षण पर फैसला लें सरकार
मुरारी लाल सैनी ने आंदोलन स्थगित करते हुए कहा कि 21 अप्रैल से 12 फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन चल रहा था। सरकार से कई बार वार्ता हुई। इसके बाद ओबीसी आयोग से कल वार्ता हुई। ओबीसी आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि हम 6 महीने में जिलों से रिपोर्ट मंगवाएंगे।
हमने आयोग से 10 दिन में रिपोर्ट मंगवाने को कहा है। ताकि चुनाव से पहले आरक्षण पर फैसला किया जा सके। इसके अलावा 21 अप्रैल के बाद और उससे पहले आंदोलनकारियों पर लगे मुकदमे सरकार वापस ले, इस पर भी आश्वासन मिला है।