भरतपुर : राजस्थान में आरक्षण की मांग को लेकर एक बार फिर आंदोलन चल रहा है। भरतपुर में जयपुर-आगरा हाईवे जाम है। सड़क पर आंदोलनकारियों ने टेंट में रात गुजारीं। रविवार को दिनभर बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग हाथों में लाठियां लेकर हाईवे पर बैठे रहे।
माली, सैनी, कुशवाह, शाक्य, मौर्य और काछी समाज के लोगों ने 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर अरोदा और बेरी गांव के बीच हाईवे को बंद कर रखा है। संभागीय आयुक्त सांवर मल वर्मा ने नेटबंदी रविवार रात 12 बजे तक बढ़ा दी।
उधर, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देर शाम आंदोलन कर रहे लोगों से नेशनल हाईवे खाली करने की अपील करते हुए भरतपुर कलेक्टर को मांग पत्र सौंपने की बात कही। इसके बाद शाम 6 बजे माली-सैनी समाज का एक प्रतिनिधि मंडल जिला कलेक्टर आलोक रंजन के पास ज्ञापन लेकर पहुंचा।
फिलहाल प्रतिनिधि मंडल से हाईवे खाली करने को लेकर बात चल रही है। प्रतिनिधि मंडल ने आंदोलन के नेता मुरारी लाल सैनी समेत 26 लोगों को रिहा करने की मांग दोहराई है।
अरोदा में हाईवे पर डटे हैं आंदोलनकारी
एक तरफ भरतपुर कलेक्ट्रेट में प्रतिनिधि मंडल से जिला कलेक्टर की मौजूदगी में वार्ता चल रही है तो दूसरी तरफ शाम 7 बजे तक नेशनल हाईवे-21 पर अरोदा गांव के पास बड़ी संख्या में समाज की महिलाएं, युवा और बुजुर्ग हाथों में लाठियां लेकर डटे हैं। जयपुर या आगरा की ओर से आने वाले किसी भी वाहन को अरोदा गांव से नहीं निकलने दिया जा रहा है।
जयपुर से आगरा की तरफ जाने वाले वाहनों को नगर-भरतपुर होते हुए निकाला जा रहा है। वहीं आगरा से जयपुर जाने वाले वाहनों को उच्चैन तिराहे और डेहरा मोड़ से डायवर्ट किया गया है।
रविवार रात 12 बजे तक नेटबंदी
आंदोलन को देखते हुए नेटबंदी रविवार रात 12 बजे तक के लिए बढ़ा दी गई। नदबई, वैर और भुसावर में नेटबंदी होने के कारण स्टूडेंट्स को काफी परेशानी हो रही है। रविवार दिन भर स्टूडेंट्स की भीड़ ई-मित्रों पर लगी रही। इसके अलावा व्यापारी भी परेशान हैं। ऑनलाइन ट्रांजेक्शन बंद होने के कारण इलाके में व्यापार भी ठप है।
आसपास के गांवों से आ रहा खाना
हाईवे पर डटे आंदोलनकारियों ने नेशनल हाईवे पर धूप से बचने के लिए टेंट गाड़ रखा है। रविवार को दिन में धूलभरी आंधी और बूंदाबांदी के बावजूद लोग हाईवे पर डटे थे। सुबह के नाश्ते से लेकर दोपहर का खाना और रात का भोजन भी हाईवे पर ही हो रहा है।
इससे पहले शनिवार की रात लगभग 500 आंदोलनकारी टेंट में सड़क पर ही सोये। जिन प्रदर्शनकारियों के घर आसपास हैं वे भोजन करने घर जाते हैं और खाना खाकर लौट आते हैं।
बाकी प्रदर्शनकारियों के खाने का इंतजाम आसपास के गांव वाले ही कर रहे हैं। पीने के लिए हाईवे पर ही पानी का टैंकर खड़ा किया गया है। कोई अशांति न फैले इसलिए आंदोलन स्थल से करीब 1 किलोमीटर दूर पुलिस का भारी जाब्ता तैनात है।
जब तक मांगे नहीं मानी जाएगी, तब तक हाईवे से नहीं हटेंगे
फुले आरक्षण संघर्ष समिति सह संयोजक पप्पू भाई प्रधान ने रविवार को बताया कि संभागीय आयुक्त सांवरमल वर्मा और कलेक्टर आलोक रंजन सहित कई अधिकारियों को हमारी मांगों को लेकर बता दिया है।
पहले प्रशासन फुले आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक मुरारी लाल सैनी को रिहा किया जाए। इसके बाद प्रशासन से वार्ता करेंगे। तब सहमति बनेगी तो नेशनल हाईवे-21 से हटेंगे। पप्पू भाई प्रधान ने बताया कि प्रशासन की ओर से कहा जा रहा है कि पहले नेशनल हाईवे से हटिए, इसके बाद मुरारी लाल सैनी को छोड़ा जाएगा।
वर्मा से भास्कर ने बात की तो कहा कि इस मामले को कलेक्टर देख रहे हैं, वही इसके बारे में बताएंगे। हालांकि सांवरमल खुद शनिवार को हुई वार्ता में शामिल थे।
कलेक्टर बोले- नोटिस पर हाजिर नहीं हुए थे मुरारी लाल
कलेक्टर आलोक रंजन से फोन पर बात हुई। कलेक्टर ने कहा कि आंदोलन के ऐलान के मद्देनजर 26 लोगों को नोटिस भेजा गया था, इनमें मुरारी लाल सैनी भी शामिल थे। वे हाजिर नहीं हुए तो उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
कलेक्टर ने कहा कि बीते साल सैनी समाज के लोगों ने मुरारी लाल सैनी के नेतृत्व में चक्का जाम किया था। सरकार से बात हुई और उनकी काफी मांगें मान ली गई थी। उस दौरान हुए प्रदर्शन में जिन आंदोलनकारियों के खिलाफ मामले दर्ज हुए थे, उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया था। फुले कल्याण बोर्ड का गठन भी किया गया।
मुरारी लाल नोटिस पर हाजिर नहीं हुए तो वारंट जारी कर प्रिवेंट अरेस्ट किया गया है। सरकार के नुमाइंदे आंदोलन कर रहे लोगों से बात कर रहे हैं और समझा रहे हैं कि पहले आंदोलन खत्म कर दें, राष्ट्रीय राजमार्ग खोल दें ताकि सरकार से बात हो सके और वार्ता सकारात्मक रास्ते पर आगे बढ़ सके।
पहले दौर की वार्ता में नहीं बनी सहमति
इससे पहले फुले आरक्षण संघर्ष समिति के पदाधिकारियों से शनिवार को प्रशासन ने संभागीय आयुक्त कार्यालय में बातचीत की थी। हालांकि बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला था।
गुरुवार 20 अप्रैल को मुरारी लाल सैनी ने चक्काजाम की घोषणा की थी, जिसके बाद भरतपुर पुलिस ने सैनी समेत 6 लोगों को गोवर्धन से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इसके बाद शुक्रवार 21 अप्रैल से आंदोलन भड़क गया और समाज के लोग हाईवे पर आकर बैठ गए।
ये हैं समाज की प्रमुख मांगें
अब आंदोलनकारियों की मुख्य मांग है कि फुले आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक मुरारी लाल सैनी सहित सभी लोगों को छोड़ा जाए। एडवाइजरी बोर्ड के बजाए लवकुश बोर्ड गठित किया जाए, जिसमें अध्यक्ष, मेंबर और डेवलपमेंट के लिए फंड हो, समाज के लिए 12 प्रतिशत आरक्षण दिया, क्योंकि प्रदेश में समाज की जनसंख्या 12 प्रतिशत से ज्यादा है। रोहिणी कमीशन के जरिए समाज का सर्वे करवाया जाए।