जयपुर : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने डेढ़ महीने पहले राजस्थान में 19 नए जिले व 3 नए संभाग बनाने की घोषणा की थी। अब राज्य स्तरीय कमेटी, राजस्व विभाग और मुख्यमंत्री कार्यालय के स्तर पर जिलों की सीमा निर्धारित करने का काम चल रहा है। लगभग तय हो गया है कि किस संभाग में कौन से जिले होंगे और किस जिले में कौन से इलाके शामिल किए जाएंगे।
कमेटी में शामिल लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सभी 19 जिले एक साथ अस्तित्व में नहीं आएंगे। 19 जिले 2 फेज में बनाएं जाएंगे। पहले फेज में 11 और दूसरे फेज में बचे हुए 8 जिलों का सीमांकन का काम पूरा किया जाएगा। ये 8 जिले वो हैं, जिनमें स्थानीय लोगों, संगठनों व जन प्रतिनिधियों का विरोध सामने आ रहा है।
सीमांकन का काम सीधे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मॉनिटर कर रहे हैं। वे इसके लिए तकनीकी अधिकारियों के साथ ही क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों (विधायक, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद) के सुझावों पर को भी प्राथमिकता दे रहे हैं। 30 अप्रैल तक सीएमओ के स्तर पर एक रिपोर्ट बनाए जाने की संभावना है, जिसे राजस्व विभाग को भेजा जाएगा। उसके बाद राजस्व विभाग के स्तर पर जिलों के सीमांकन का ऑफिशियल अनाउंसमेंट किया जाएगा।
सबसे पहले पढ़िए- किस जिले में कौन से इलाके शामिल होंगे…
- ब्यावर : ब्यावर, रायपुर, बदनोर, मांगलियावास, रास, बर, भीम, जवाजा, मसूदा, जैतारण, टॉडगढ़
- केकड़ी : केकड़ी, टोडारायसिंह-मालपुरा का कुछ इलाका, सावर, सरवाड़, विजयनगर, भिनाय, अरांई
- सांचौर : सांचौर, चितलवाड़ा, रानीवाड़ा, चौहटन, भीनमाल, झाब, सरवाना, गुढ़ामालानी का कुछ इलाका
- कुचामन-डीडवाना : कुचामन, डीडवाना, नावां, परबतसर, लाडनूं, मकराना,
- दूदू : दूदू, रेनवाल, जोबनेर, महलां, फुलेरा, नरेना, फागी, रूपनगढ़, पचेवर व मालपुरा का कुछ इलाका
- कोटपूतली-बहरोड़ : कोटपूतली, बहरोड़, विराट नगर, बानसूर, नीमराणा, शाहपुरा
- नीमकाथाना : नीमकाथाना, खंडेला, उदयपुरवाटी, श्रीमाधोपुर
- शाहपुरा : शाहपुरा, बनेड़ा, कोटड़ी, जहाजपुर, गुलाबपुरा, मांडलगढ़, बिजौलिया
- फलौदी : फलौदी, लोहावट, लोख व खींवसर का कुछ इलाका
- अनूपगढ़ : अनूपगढ़, रायसिंहनगर, खाजूवाला, लूणकरणसर व छत्तरगढ़
- बालोतरा : बालोतरा, पचपदरा, खाड़ला, मंडली, सिवाना
इन जिलों के लिए तय नहीं हो पा रहा सीमांकन
जयपुर उत्तर व दक्षिण : झेलना पड़ रहा है विरोध
जयपुर उत्तर व जयपुर दक्षिण नाम से दो जिले बनाने की घोषणा तो सरकार ने कर दी, लेकिन अभी तक इन जिलों के क्षेत्र तय नहीं किए जा सके हैं। जयपुर में चूंकि जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) और नगर निगम के अपने विशिष्ट क्षेत्र हैं। साथ ही जयपुर प्रदेश की राजधानी भी है। ऐसे में इसके क्षेत्रों का सीमांकन सरकार के लिए इतना आसान नहीं है।
जयपुर में हाल ही नागरिक संगठनों ने रैली निकाली है। विभिन्न संगठनों ने जयपुर दक्षिण व जयपुर उत्तर नाम से जिले बनाने का विरोध किया है। संगठनों के अनुसार जयपुर प्रदेश की राजधानी है। इसके अलग-अलग भौगोलिक टुकड़े नहीं किए जाने चाहिए। भाजपा नेता और पूर्व केबिनेट मंत्री डॉ. अरुण चतुर्वेदी इन संगठनों का नेतृत्व कर रहे हैं।
डॉ. चतुर्वेदी ने भास्कर को बताया कि जयपुर का प्रशासनिक व राजधानी संबंधी महत्व अति विशिष्ट है। ऐसे में हमारी सरकार से मांग है कि सांगानेर से आमेर के बीच बसे जयपुर शहर को जयपुर जिला ही रखा जाए। वर्तमान जिले के शेष हिस्से में जयपुर उत्तर या दक्षिण बनाया जा सकता है। उधर, सिविल लाइंस क्षेत्र से विधायक और रसद मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास भी अपनी ही सरकार का विरोध जता चुके हैं। खाचरियावास के अनुसार जयपुर के दो हिस्से नहीं किए जा सकते।
जोधपुर पूर्व व पश्चिम : सरकार के स्तर पर चल रहा मंथन
जयपुर व जोधपुर को बड़ी आबादी (क्रमश: 50 व 25 लाख) होने के कारण प्रशासनिक सुविधा के लिए सरकार दो हिस्सों में बांटना चाहती है। जोधपुर में भी जयपुर की ही तरह विकास प्राधिकरण व नगर निगम के क्षेत्रों की समस्या है। एक शहर को दो जिलों में कैसे बांटा जाए। इस संबंध में सरकार के स्तर पर मंथन चल रहा है। हालांकि जयपुर की तरह फिलहाल जोधपुर में नागरिक संगठनों द्वारा कोई विरोध नहीं किया जा रहा है।
खैरथल : एक जिले के भीतर 3 जिले तय करना चुनौती
वर्तमान अलवर जिले में बहरोड़ को जिला बना दिया गया है और खैरथल की भी घोषणा की गई है। इसी जिले का क्षेत्र भिवाड़ी पहले से ही पुलिस जिला (एसपी-कार्यक्षेत्र) बनाया जा चुका है। भिवाड़ी के विधायक संदीप यादव भिवाड़ी का प्रशासनिक जिला भी बनाने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में एक ही जिले अलवर के भीतर से तीन जिलों का क्षेत्र तय करना बहुत बड़ी चुनौती बन गया है।
डीग : जनप्रतिनिधि और सरकार के स्तर पर वार्ता
भरतपुर जिले में डीग अपने जल महलों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन यहां डीग से बड़े बयाना, नदबई, कामां और वैर कस्बे हैं। उन्हें जिला नहीं बनाया गया है। अब उन्हें डीग में मिलाए जाने की कवायद चल रही है। वहां कोई विरोध नहीं हो, इसके लिए जनप्रतिनिधियों से सरकार के स्तर पर बातचीत की जा रही है।
सलुंबर : तय नहीं हाे पा रहे क्षेत्र
इस जिले में उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जिलों के कुछ हिस्सों को लेना है। यह जिले पहले ही बहुत छोटे हैं। ऐसे में कौन-कौन से क्षेत्रों को लेकर सलुंबर बनाया जाए यह अभी तक तय नहीं हो पाया है।
गंगापुर सिटी : छोटे जिले होने से परेशानी
गंगापुर सिटी के साथ भी सलुंबर जैसी ही स्थिति बनी हुई है। वर्तमान जिला सवाईमाधोपुर भी छोटा सा जिला है और पड़ोस में करौली व दौसा जिले भी आकार में छोटे जिले हैं। ऐसे में एक और नए जिले गंगापुर सिटी को कौन-कौन से क्षेत्र दिए जाएं इसका फैसला नहीं हो पाया है।
10 नए जिले व तीन नए संभाग भी आएंगे सामने
राजस्थान में 10 जिले व तीन संभाग और बनाए जा सकते हैं। प्रदेश भर में विभिन्न शहर-कस्बों में हो रहे प्रदर्शनों और स्थानीय जन प्रतिनिधियों से मिले फीडबैक के बाद राज्य सरकार ने नए जिलों के संबंध में गठित प्रदेश स्तरीय कमेटी से कुछ और जिलों व संभाग के बारे में रिपोर्ट मांगी थी।
जिलों के गठन को देख रहे राजस्व विभाग के मंत्री रामलाल जाट ने भी गत दिनों सीएम गहलोत से मिलकर अपने गृह जिले भीलवाड़ा को संभाग बनाने की मांग की है। सूत्रों का कहना है कि तीन शहरों को संभाग मुख्यालय और 8 से 10 उपखंड मुख्यालयों को जिले के रूप में जल्द ही घोषित किया जा सकता है। साथ ही बहरोड़-कोटपूतली और डीडवाणा-कुचामन को एसपी-कलेक्टर ऑफिस के रूप में एक-एक जिला कार्यालय सौंपे जाएंगे, ताकि दोनों शहर-कस्बे बराबर हिसाब से जिले बनाए जा सकें।
इनमें से बन सकते हैं 3 नए संभाग
प्रदेश में अभी तक जयपुर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर, बीकानेर, अजमेर व भरतपुर सहित 7 संभाग थे। पाली, बांसवाड़ा व सीकर को तीन नए संभागों के रूप में घोषित किया गया है। इनके अलावा अब भीलवाड़ा, नागौर, बाड़मेर, सवाईमाधोपुर और चित्तौड़गढ़ में से कोई तीन नए संभाग के रूप में घोषित किए जा सकते हैं।
संभावित 10 नए जिले
सांभर, फुलेरा, मालपुरा, लाडनूं, सुजानगढ़, भीनमाल, गुढ़ामालानी, खाजुवाला, सोजत, निम्बाहेड़ा, जैतारण, खेतड़ी, भिवाड़ी, उदयपुरवाटी और सूरतगढ़ में से कोई 10 जिले और बनाए जा सकते हैं। इन सभी स्थानों पर क्षेत्रीय जन प्रतिनिधि और नागरिक संगठन पिछले एक-डेढ़ महीने से आंदोलनरत हैं। ऐसे में पिछले दिनों सीएम गहलोत से कई जन प्रतिनिधियों ने मुलाकात भी की है। सीएम गहलोत इन क्षेत्रों को भी जिले बनाए जाने की संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं।
अब सीमांकन और घोषणा बाकी
राज्य स्तरीय कमेटी के चैयरमेन रामलुभाया (पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव) ने भास्कर को बताया कि वे अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को दे चुके हैं। अब कमेटी के स्तर पर कोई काम शेष नहीं है। सरकार के स्तर पर ही सीमांकन और घोषणा का काम किया जाएगा।
नए जिलों की घोषणा के बाद राजस्व मंत्री रामलाल जाट, सरकारी मुख्य उप सचेतक महेंद्र चौधरी, पूर्व चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा, विधायक मदन प्रजापत आदि सैकड़ों लोगों के साथ सीएम गहलोत से मिल कर उन्हें फीडबैक दे चुके हैं।
विधानसभा में मुख्य उप सचेतक चौधरी ने भास्कर को बताया कि जल्द ही कुछ जिलों का सीमांकन लोगों के सामने आ जाएगा। पूर्व में घोषित 19 जिलों के अलावा कुछ नए जिले भी सामने आ सकते हैं, क्योंकि सीएम गहलोत उनकी मांगों पर भी संवेदनशीलता से विचार कर रहे हैं। यह अवश्य है कि कुछ जिलों के सीमांकन का कार्य फिलहाल पूरा नहीं हो पाया तो उन्हें अगले चरण में घोषित किया जाएगा।