झुंझुनूं-इस्लामपुर : हजार महीनों की इबादत से भी अफजल है आज की रात,शबे-कद्र आज, होगी विशेष इबादत

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद आरिफ चंदेल

झुंझुनूं-इस्लामपुर : शबे कद्र को लेकर मुस्लिम भाइयों में बेहद उत्साह नजर आ रहा है। मुस्लिम भाई शबे कद्र की तैयारियों में जुट गए हैं। मस्जिदों को सजाया जा रहा है। मंगलवार रात को तमाम घरों व मस्जिदों में शबे कद्र मनाई जाएगी। मुस्लिम भाई रात को अपने-अपने घरों और मस्जिदों में जागकर अल्लाह की इबादत करेंगे और अपने अहलो-अयाल के लिए दुआएं मगफिरत करेंगे।

मस्जिद के इमामों ने सभी मुस्लिम भाइयों से अपील की है कि सभी अपने घरों व मस्जिदों में रातभर जागकर रब की इबादत करें। युवा रात को बेवजह बाजारों में न घूमें और कोई भी गरीब भूखा न रहे इसलिए जरूरतमंदों की ज्यादा-ज्यादा से मदद करें।

शबे कद्र मुकद्दस महीने रमजान में आने वाली बड़ी मुबारक रात है। कुरान करीम में पूरी एक सूरत इसी की फजीलत में नाजिल हुई है जिसमें शबे कद्र की रात को एक हजार रातों से अफजल करार दिया गया है। बुखारी व मुस्लिम शरीफ पुस्तक में हजरत अबू हुरैरा रजि. से रिवायत है कि रसूल अल्लाह स.अ.व ने फरमाया कि जो शख्स शबे कद्र में इबादत के लिए ईमान व अखलास के साथ खड़ा रहा उसके तमाम पिछले गुनाह माफ हो गए।

एक रिवायत में है कि सरकारे दो आलम स.अ.व ने इरशाद फरमाया कि जब शबे कद्र आती है तो जिब्रईल अले. मलाईका (फरिश्ते) की एक जमात के साथ उतरते है और उन सभी लोगों के लिए रहमत की दुआ करते है जो इस रात में खड़े हुए या बैठे हुए अल्लाह के जिक्र में लगे हुए है।

एक हदीस में यह भी है कि सरकारे दो आलम स.अ.व ने फरमाया कि जब शबे कद्र होती है तो अल्लाह तआला जिब्रईल अले. को हुक्म देते है कि वह फरिश्तों के झुरमुट में जमीन पर उतरते है और फरिश्ते हर उस बंदे को सलाम करते है और उनकी दुआओं पर आमीन कहते है जो इबादत में मशगूल होते हैं। यहां तक कि सुबह हो जाती है इसके बाद जिब्रईल फिर उन फरिश्तों से कहते है कि बस अब चलो, फरिश्ते पूछते है कि अल्लाह तआला ने मोमिनों के बारे में क्या फैसला फरमाया तो जिब्रईल कहते है कि अल्लाह तआला ने उन्हें अपनी रहमत से माफ कर दिया है सिवाय चार शख्सों के एक वो जो आदतन शराब पीता है, दूसरा वह जो मां-बाप की नाफरमानी करते है, तीसरा कता रहमी (तअल्लुक तोडऩे) वाला तथा चैथा वह जो किसी से किनाह (द्वेष) रखता हो।

शबे कद्र किस रात में है

यह निर्धारित है कि शबे कद्र रमजानुल मुबारक के महीने में आती है लेकिन किस रात में है यह निर्धारित नहीं है। इस सिलसिले में साहबे तफसीर मजहरी ने लिखा है कि सही बात यह है कि शबे कद्र रमजान मुबारक के आखिरी अशरे (आखिरी दस दिन) में होती है लेकिन आखिरी अशरे की कोई विशेष तिथि निर्धारित नहीं है। आखिरी दस रातों में से खास ताक रातों यानी 21,23,25,27,29वीं शब में अहादीस सहीहा में होने की अधिक उम्मीद है।

सही बुखारी में हजरत आयशा सिद्दीका रजि. की रिवायत है कि सरकारे दो आलम स.अ.व ने इरशाद फरमाया शबे कद्र को रमजान के आखिरी अशरे में तलाश किया करो। सही मुस्लिम में हजरत सुफियान बिन एैनिया रजि. की रिवायत में है कि सरकारे दो आलम स.अ.व ने इरशाद फरमाया कि शबे कद्र को रमजान के अशरा-ए-आखिर की ताक रात में तलाश करो।

आज मुकम्मल होगी कुरआन की तिलावत

हाफिजों व मुस्लिम भाइयों की ओर से आज की रात कुरआन की तिलावत मुकम्मल की जाएगी। तिलावत मुकम्मल होने पर हाफिजों को नजराना व तोहफे दिए जाएंगे।

शबे-कद्र की फजिलत

रमजान की 27वीं रात के बारे में आम तौर पर मशहूर है कि यही रात शबे कद्र की है इसलिए इंसान को रातभर जागकर खुदा की इबादत कर अपने गुनाहों की माफी मांगनी चाहिए। अल्लाह के रसूल ने फरमाया कि रमजान के आखरी असरे की ताक रातों यानि 21, 23, 25, 27 व 29वीं रात में शबे कद्र को तलाश करो। अकसर उलमा ने 27वीं रात को ही शबे कद्र बताया है इसलिए रमजान के मुकद्दस महीने की 27वीं रात को शबे कद्र कहा जाता है। हदीसों में इस रात की बड़ी फजिलत बयान की गई है और बताया गया है कि शबे कद्र की रात हजार महीनों की इबादत से भी अफजल है। जामा मस्जिद के इमाम मौलाना अकबर अली ने बताया कि आज रात को जितना हो सके जागकर तिलावते जिक्र और रब की इबादत की जाए। खाली जागकर और टाईम पास करने से कोई फैज हासिल होने वाला नहीं। शबे कद्र इन्तिहाई रहमत व बरकत वाली रात है। इस रात में सालभर के अहकाम जारी किए जाते हैं और फरिश्ते अगले साल होने वाले मामलात लिखते हैं। रातभर रब की इबादत कर इस रात की रहमतों व बरकतों से फायदा उठाएं और इस रात को फिजूल काम व गफलत में हरगिज न गुजारें।

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