जनमानस शेखावाटी संवाददाता : नीलेश मुदगल
झुंझुनूं : कानूनी तौर पर बाल विवाह अपराध होने के बावजूद देश के विभिन्न राज्यों में इस कुप्रथा का अभी प्रचलन है, किसी धर्म समाज एवं जाति से नहीं जोड़कर बाल विवाह मुक्त झुंझुनू जिला को संस्कारी बनाने का संकल्प लेना चाहिए।
रामचंद्र तुलसीयान एक सरकारी बच्चों की स्कूल में मुख्य अतिथि के तौर बोलते हुए कहा केवल राजस्थान नहीं ,मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ ,आंध्र प्रदेश तथा अन्य राज्यों में बाल विवाह की कुप्रथा थी । बड़ी संख्या में बाल विवाह हो रहा है वह चिंता का विषय है, इसकी रोकथाम के लिए चाइल्ड मैरिज एक्ट 2006 बनाया गया इस एक्ट के तहत कठोर एवं सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, उन्होंने कहा कि बाल विवाह की रोकथाम के लिए पीपल पूर्णिमा एवं अक्षय तृतीया जैसे एबुज सावो पर क्षेत्र में जनप्रतिनिधि ,स्वयंसेवी संगठन एवं न्यायिक अधिकारी विशेष निगरानी रखें ,ताकि समाज मे बाल विवाह की रोकथाम के लिए वातावरण बनाने कीआवश्यकता है।
अब प्रश्न उठता है कि जब कानून के मुताबिक 18 वर्ष से कम आयु की लड़की का विवाह मना है तो कानून के रखवाले क्या करते हैं, पुलिस ऐसे मामलों में हस्तक्षेप कर शादी रुकवा सकती है, लेकिन न जाने क्यों सक्रियता नहीं दिखाती, राजस्थान में तो वोट बैंक के खातिर कुछ राजनेता सामूहिक तौर पर होने वाले बाल विवाह में अतिथि के रूप में मौजूद भी रहते हैं ,यह तो इस कुप्रथा को प्रोत्साहन देना हो गया।
वैदिक काल में नारियों को स्वतंत्रता थी ,लेकिन विदेशी आक्रमण बढ़ने के बाद माता-पिता कम उम्र में ही अपनी बेटियों का विवाह करने लगे ब्रिटिश शासन काल में राजा राममोहन राय के प्रयासों से नर्शस सती प्रथा पर कानून रोक लगी लेकिन वह बाल विवाह फिर भी जारी रहे, कच्ची उम्र में शादी के अनेक दुष्परिणाम होते हैं ,नाबालिक लड़की शरीर और मन से विवाहित जीवन के लिए तैयार नहीं होती ,उसके खाने खेलने और पढ़ने लिखने की उम्र में मातृत्व का बोझ आ जाता है, इसे संतान भी निर्बल होती है तथा प्रसव के दौरान मृत्यु तथा बाल मृत्यु के मामले बढ़ जाते हैं।
गरीब लोग भी लड़की की जल्दी शादी कर देते हैं क्योंकि वे बेटी के पालन पोषण पढ़ाई का खर्च नहीं उठा सकते और दकियानुसी सोच रखने रखते हुए उसे जल्दी विदा करना चाहते हैं निरक्षरता अशिक्षा की बड़ी वजह अलपायु में लड़कियों की शादी कर देना शीशु और माता का स्वास्थ्य सही रखना है तो बाल विवाह की कुप्रथा को रोकना होगा। समाज में जागृति फैले इसके लिए बाल विवाह से बच्चों के भविष्य पर पड़ने कुप्रभाव आदि के बारे में व्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार किया जाना चाहिए। कानून तो अपनी जगह है लेकिन इस संबंध में जनजागृति सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है।