जनमानस शेखावाटी संवाददाता : नीलेश मुदगल
झुंझुनूं : 1 लाख युवक जान गवा देते हैं हर साल लापरवाही ड्राइविंग के कारण आप सोचिए 25 साल लगते हैं एक बच्चे को पाल पोस कर बड़ा करने में और 25 सेकंड में एक लापरवाही ड्राइविंग के कारण वह लाश में बदल जाता है। क्या बीतती होगी उस मां पर जाते हुए बेटे की पीठ देखती है और आते हुए बेटे का मुंह नहीं देखती । आप क्या सोचते हैं अगर आप अपना पावर दिखाना चाहते हैं तो मिल्खा सिंह की तरह तेज दोडीऐ, नीरज चोपड़ा, देवेंद्र झाझरिया की तरह तेज भाला फेंकिए। मोटरसाइकिल का कान मोड़ने से और तेज गति से कार भगाने में कोई बहादुरी नहीं होती है । अगर आप सोचते हैं की आप तेज गाड़ी चलाने में हैंडसम दिखते हैं। आप ड्रेसिंग हैंडसेट नहीं दिखते, आप लापरवाह दिखते हैं आप बेपरवाह दिखते हैं आप बेवकूफ दिखते हैं । इसलिए आप सड़क पर गाड़ी चलाएं तो ध्यान से चलाएं। आपकी जिंदगी आपके माता-पिता की जिंदगी है।
एक छोटी सी चीज और कहना चाहूंगा हमारे बुजुर्ग हमें पालते हैं बच्चों को पढ़ाते भी हैं l
जो लोग छोटी आमदनी में बच्चों को पढ़ाते हैं उनकी पूरी उम्र खप जाती है अपने बच्चों की जिंदगी बनाने में और उसके पास दुख का विषय है वह बड़ा पीड़ादायक है ।एक मां-बाप मेहनत करते हुए अपने हाथों में आइटम पड़ जाते हैं एड़िया फट जाती है ।कपड़े फट जाते हैं और उसके बाद जब बेटे को पढ़ा लिखा कर तैयार करते हैं। उसके बाद बड़े घर की पढ़ी लिखी गोरी बेटी आ जाती है तो मां-बाप की तरफ ध्यान नहीं देती। आज हमारे 60 से 70% घरों में हालत यह है बुजुर्गों को रोटी तो मिल रही है परंतु इज्जत से रोटी नहीं मिल रही है ।यह चीज को बदलने की जरूरत है।
मैं आपसे कहना चाहताहूं मां बाप की जैसी भी परिस्थिति होती है आपके माता-पिता आपको राजकुमार की तरह पालते हैं। अब आप की भी ड्यूटी है जैसी आपकी हैसियत है बुढ़ापे में उनको बादशाहों की तरह से रखिए उनकी सेवा कीजिए उनका सम्मान कीजिए ।इस तरह से माता-पिता की सेवा कीजिए जैसेअपनी जिंदगी आपके लिए कुर्बान कर देते हैं।
माताएं बहने बैठी है मैं एक छोटी सी इसी बात मैं कह रह हूं । बेटियों को समझदार बनाइए, बेटियों को बेटा मत बनाइए ।बेटा लापरवाह होते हैं ।बेटियों को समझदार बेटियां मनाइए । जब वे घर से बाहर जाती है तब उसको समझाइए वो घर की इज्जत ले करके बाहर जाती है। बेटियों को समझाइए कैसे कैसे लोग मीठी मीठी बातों का जाल लेकर शिकारियों की तरह से घूमते हैं और अपनी बेटियों को संस्कार दीजिए। वह जिस घर में जाए अपने सास-ससुर की सेवा करें, आजकल मैंने नया फ्रेंड देखा है । बेटियां मां बाप की तो बहुत चिंता करती है लेकिन सास की चिंता नहीं करती है ।यह गलत चीज है औरत घर की dhuri होती हैl यदि हम वृद्ध लोगों की चिंता नहीं करेंगे तो हमारे वृद्ध लोगों को सुरक्षा कैसे मिलेगी उनको सम्मान कैसे मिलेगा इनकी जिंदगी खुश कैसे होगी इसलिए कोई भी कॉम तभी आगे बढ़ती है जब वह संस्कारवान हो जब वह मेहनती हो और शिक्षावान हो।