जयपुर : राजस्थान में 10 नए जिले व तीन संभाग और बनाए जा सकते हैं। जिन कस्बों को जिला घोषित नहीं किया गया, वहां की जनता और जनप्रतिनिधियों की नाराजगी दूर करने के लिए सरकार ये कदम उठा सकती है। नए जिलों के संबंध में गठित रामलुभाया कमेटी से सरकार ने कुछ और जिलों व संभाग के बारे में रिपोर्ट मांगी है। इस बारे में एक महत्वपूर्ण बैठक भी सीएम अशोक गहलोत और राजस्व मंत्री रामलाल जाट के बीच गुरुवार को जयपुर में होने वाली है।
क्या 19 जिलों और 3 संभाग की घोषणा के बाद फिर से नए जिलों-संभागों के घोषित होने की संभावना है, इसको लेकर भास्कर ने उन क्षेत्रों के प्रभावशाली नेताओं से बातचीत की, जिन्होंने खुद मुख्यमंत्री के सामने ये मांग उठाई है। साथ ही रिटायर्ड आईएएस और नए जिलों के लिए बनी कमेटी के अध्यक्ष रामलुभाया से भी बातचीत की…
रामलुभाया कमेटी अपनी अंतरिम रिपोर्ट दे चुकी है, जिसके आधार पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा में 19 नए जिलों व 3 नए संभागों की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद उन शहर-कस्बों में तो लोगों ने खुशी व्यक्त की, जिन्हें जिले या संभाग का उपहार मिला, लेकिन उन स्थानों पर तब से लेकर अब तक धरना-प्रदर्शन जारी है, जिन्हें बहुत सी विशेषताओं के बावजूद जिला या संभाग घोषित नहीं किया गया।
यहां तक कि राजधानी जयपुर को उत्तर व दक्षिण दो जिलों में बांटने का प्रदेश के खाद्य व आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी विरोध किया है।
सूत्रों की मानें तो तीन शहरों को संभाग मुख्यालय और 8 से 10 उपखंड मुख्यालयों को जिले बनाने पर सरकार विचार कर रही है। इसके अलावा बहरोड़-कोटपूतली और डीडवाना-कुचामन में से जिला मुख्यालय का काम कैसे बांटा जाए, इसे लेकर भी स्थिति क्लियर की जाएगी। एक फॉर्मूले के मुताबिक एसपी-कलेक्टर ऑफिस के रूप में एक-एक जिला कार्यालय सौंपे जाएंगे, ताकि दोनों शहर-कस्बे बराबर हिसाब से जिले बनाए जा सकें।
सरकार पर निर्भर, जब चाहे कर सकती है घोषणा : रामलुभाया
सरकार की कमेटी के अध्यक्ष रिटायर्ड आईएएस रामलुभाया अमेरिका से वापस जयपुर लौट चुके हैं। इस संबंध में रामलुभाया ने बुधवार को भास्कर को बताया कि सब कुछ सरकार पर निर्भर करता है कि वो किस शहर-कस्बे को जिला बनाए। हमारा काम तय मापदंडों के हिसाब से जिलों की सिफारिश करने का था।
रामलुभाया ने कहा कि करीब 60 उपखंड मुख्यालयों को जिला बनाने के प्रस्ताव मिले थे, जिनमें से सरकार ने 19 को जिला बनाया। अब कुछ और जिलों के बारे में भी सरकार ने जानकारी मांगी है, वो भी जल्द ही सरकार को दे देंगे। अंतिम निर्णय सरकार ही करेगी। उसके बाद राजस्व विभाग के स्तर पर जिलों का सीमांकन आदि की प्रक्रिया तय की जाएगी।
इन 5 जिला मुख्यालयों में तीन को पदोन्नत कर बना सकते हैं 3 नए संभाग
प्रदेश में अभी तक जयपुर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर, बीकानेर, अजमेर व भरतपुर सहित 7 संभाग थे। हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पाली, बांसवाड़ा व सीकर को तीन नए संभागों के रूप में घोषित किया है। अब भीलवाड़ा, नागौर, बाड़मेर, सवाईमाधोपुर और चित्तौड़गढ़ में से संभाग मुख्यालय बनाए जाने की मांग तेज हो गई है। इन सभी जगहों पर कांग्रेस सरकार में प्रभावशाली विधायक-मंत्री हैं और वे अपने राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए संभाग की घोषणा करवा सकते हैं।
एक संभाग मुख्यालय में 3 से 5 जिले, 3 से 4 लोकसभा और करीब 20-25 विधानसभा सीटों का कार्यक्षेत्र होता है। एक्सपर्ट की मानें तो इन सीटों पर सीधा राजनीतिक असर पड़ेगा। तीन संभागों की घोषणा अगर राज्य सरकार करती है, तो राजनीतिक तौर पर कांग्रेस उनके प्रशासनिक क्षेत्र में आने वाली विधानसभा-लोकसभा सीटों पर मनोवैज्ञानिक बढ़त ले सकती है।
भीलवाड़ा क्यों?
राजस्व मंत्री रामलाल जाट खुद इसी जिले से हैं। यह जिला प्रदेश में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले 5 जिलों में शामिल है। इसके एक उपखंड शाहपुरा को जिला बनाने से इसका आकार अब छोटा होने वाला है। आबादी के हिसाब से प्रदेश का सातवां सबसे बड़ा शहर भी भीलवाड़ा है। यह कोटा, उदयपुर और अजमेर संभागों के बीच में लगभग 135 से 175 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ऐसे में इसे संभाग बनाया जा सकता है।
नागौर क्यों?
यह जिला भौगोलिक और प्रशासनिक हिसाब से प्रदेश के सबसे बड़े जिलों में से एक है। इसमें 11 विधानसभा सीटें शामिल हैं। अब डीडवाना-कुचामन को जिला घोषित किया गया है। यह बीकानेर, अजमेर, जोधपुर व जयपुर संभागों के बीच स्थित है। ऐसे में इसे संभाग बनाया जा सकता है।
नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल कई बार छोटे-छोटे जिले व संभाग मुख्यालय बनाने की पैरवी कर चुके हैं। इस जिले से सीएम गहलोत के करीबी सरकारी उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी अपने निर्वाचन क्षेत्र कुचामन को जिला बनाने में कामयाब हो चुके हैं। अब संभवत: नागौर संभाग भी बन सकता है।
बाड़मेर क्यों?
राजनीतिक, भौगोलिक व प्रशासनिक हिसाब से देश के सबसे बड़े 10 जिलों में शामिल है। जोधपुर व उदयपुर संभागों के बीच स्थित है। अब इसके पड़ोसी जिले पाली को भी संभाग बना दिया गया है। इसी जिले के एक बड़े उपखंड बालोतरा को जिला बनाया गया है। ऐसे में बाड़मेर को अब संभाग मुख्यालय बनाया जा सकता है।
जिले से हेमाराम चौधरी और हरीश चौधरी जैसे दिग्गज राजनेता हैं। बालोतरा के जिला बनने के साथ ही बाड़मेर को संभाग बनाने की मांग सामने आई है। इसे संभाग बनाने का सीधा फायदा कांग्रेस को मिल सकता है।
चित्तौड़गढ़ क्यों?
सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना चित्तौड़गढ़ को संभाग बनाने के लिए प्रयासरत हैं। उदयपुर, अजमेर और कोटा संभागों के बीच स्थित है। बांसवाड़ा को भी संभाग बना दिया गया है। चित्तौड़गढ़ जिले के कई इलाके ऐसे हैं, जो संभाग मुख्यालय उदयपुर से लगभग 150-200 किलोमीटर है।
इसे संभाग बनाया जा सकता है, ताकि प्रशासनिक काम-काज में आसानी हो सके। चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा के बीच मात्र 55 किलोमीटर की दूरी है। ऐसे में इन दोनों में से कोई एक ही संभाग मुख्यालय बनने की संभावना है।
सवाई माधोपुर क्यों?
यह जिला कोटा, अजमेर, भरतपुर, जयपुर संभागों के बीच स्थित है। जिला अत्यंत पिछड़ा हुआ है। जिले के कई स्थानों से संभाग मुख्यालय 150-200 किलोमीटर दूर है। रेल-सड़क की पूरी सुविधाएं यहां हैं। यहां से कांग्रेस विधायक दानिश अबरार मुख्यमंत्री गहलोत के सलाहकार भी हैं। सार्वजनिक मंच से सीएम गहलोत दानिश की तारीफ भी कर चुके हैं।
भीलवाड़ा को संभाग बनाने का किया निवेदन : रामलाल जाट
राजस्व मंत्री रामलाल जाट ने भास्कर को बताया कि जिलों के सीमांकन का काम जल्द शुरू होगा और डेढ़-दो महीनों में पूरा कर लिया जाएगा। कुछ जगहों-स्थानों से जो सुझाव-रुझान मिल रहे हैं, उनका अध्ययन भी किया जा रहा है। जिलों के सीमांकन के लिए रामलुभाया कमेटी की सिफारिशों पर काम चल रहा है। सीएम अशोक गहलोत से मैंने भीलवाड़ा को संभाग मुख्यालय बनाने का निवेदन किया है।
जाट ने कहा कि शाहपुरा के जिला बनने से भीलवाड़ा जिले का एक बड़ा हिस्सा अलग हो जाएगा, ऐसे में संभाग मुख्यालय बनाकर भीलवाड़ा का राजनीतिक, प्रशासनिक, औद्योगिक महत्व बरकरार रखा जा सकता है। भीलवाड़ा एक विश्व स्तरीय औद्योगिक केंद्र है।
कौनसे उपखंड बन सकते हैं 10 नए जिले
एक्सपर्ट से विशषेलण और सूत्रों से मिली जानकारी के बाद भास्कर ने उन क्षेत्रों की डिटेल निकाली है, जहां नए जिलों को लेकर संभावनाएं ज्यादा हैं।
1. सांभर 2. फुलेरा 3. मालपुरा 4. सुजानगढ़ 5. भीनमाल 6. रावतभाटा 7. खाजूवाला 8. सुमेरपुर 9. निम्बाहेड़ा 10. जैतारण 11. खेतड़ी 12. कोटा दक्षिण व उत्तर 13. भिवाड़ी 14. सूरतगढ़ 15. झालरापाटन
जयपुर उत्तर-दक्षिण पर मंत्री एक मत नहीं
राज्य सरकार जयपुर को उत्तर-दक्षिण दो जिलों में बांटने की घोषणा पर भी फिर से विचार कर सकती है। सूत्रों का कहना है कि चूंकि इसकी किसी ने मांग नहीं की थी और अब जयपुर शहर में इसका विरोध भी शुरू हो गया है।
भाजपा इसे मुद्दा भी बना रही है। सिविल लाइंस से पूर्व विधायक और मंत्री रह चुके डॉ. अरुण चतुर्वेदी ने भास्कर को बताया कि जयपुर केवल राजस्थान की राजधानी ही नहीं बल्कि अपने आप में एक संपूर्ण सांस्कृतिक-धार्मिक पहचान भी है। पूरा शहर वास्तुकला के सिद्धांतों पर बसा हुआ है। एक छोटा सा गुंबद भी यहां बदला नहीं जा सकता। लोग एकजुट हो रहे हैं।
अरुण चतुर्वेदी ने बताया कि सरकार तक हमारी बात पहुंच चुकी है। आमेर से सांगानेर तक जयपुर एक ही रहेगा। यही हमारी मुख्य मांग है। विधानसभा-सचिवालय जैसे शीर्ष राजनीतिक-प्रशासनिक संस्थाएं भी जयपुर में स्थित हैं। ऐसे में जयपुर को दो हिस्सों में बांटना निरर्थक है। जयपुर उत्तर-दक्षिण का विचार ही उचित नहीं। हां, शेष जिले को जयपुर ग्रामीण, ग्रेटर, विस्तार आदि कुछ नाम दे सकते हैं।
जयपुर को दो भागों में बांटने पर सरकार के मंत्री भी नाराज
इसी बीच खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास जयपुर उत्तर-दक्षिण को लेकर अपनी नाराजगी जता चुके हैं। उनका कहना है कि अभी घोषणा ही तो हुई है। सीएम गहलोत से बात करके इसका हल निकाला जाएगा।
हालांकि जयपुर से ही कांग्रेस विधायक और जलदाय मंत्री डॉ. महेश जोशी के मुताबिक कहीं कोई विवाद नहीं है। फिर भी जयपुर उत्तर-दक्षिण का लेकर कोई प्रबल जन भावना सामने आएगी, तो सीएम गहलोत को उससे अवगत करवाया जाएगा। अंतिम निर्णय तो उन्हीं के हाथों में है।
6 लोकसभा और 20 विधानसभा सीटों वाला जयपुर चुनावों में रहेगा सबसे अहम
जयपुर उत्तर, जयपुर दक्षिण, कोटपूतली, दूदू और बहरोड़ को जिला बनाने की घोषणा हाल ही हुई है। इनमें से दूदू अजमेर, चौमूं सीकर और बहरोड़ अलवर लोकसभा क्षेत्र में आते हैं। इनके अलावा जमवा रामगढ़, झोटवाड़ा, आमेर, विराटनगर, कोटपूतली, शाहपुरा, फुलेरा और बगरू जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र में आते हैं।
सिविल लाइंस, मालवीय नगर, आदर्श नगर, हवामहल, सांगानेर, विद्याधर नगर, किशनपोल जयपुर शहर लोकसभा में आते हैं। दूसरी ओर बस्सी विधानसभा क्षेत्र दौसा लोकसभा क्षेत्र में हैं। ऐसे में जयपुर उत्तर-दक्षिण, कोटपूतली, दूदू, बहरोड़ के जिले आगामी विधानसभा-लोकसभा चुनावों के हिसाब से बहुत अहम हैं। सूत्रों के अनुसार जयपुर उत्तर व दक्षिण सहित इनमें कोई नया परिवर्तन भी संभव है।
19 कस्बों में खुशी तो 41 में नाराजगी
रामलुभाया कमेटी में 60 कस्बों ने जिला मुख्यालय बनाने की मांग की थी, लेकिन 19 को जिला बनाने की घोषणा हुई है। ऐसे में जो शहर-कस्बे जिले नहीं बनाए गए हैं, वहां इन दिनों बहुत से संगठनों की ओर से धरने-प्रदर्शन जारी हैं।
सांभर, सुजानगढ़ और मालपुरा जैसे कस्बों में ब्रिटिश राज के जमाने से जिला बनने योग्य सरकारी कार्यालय, कचहरी, कारखाने, सड़क-रेल, व्यापार आदि की सुविधाएं हैं। वहां लगातार धरने-प्रदर्शन, आमरण अनशन आदि चल रहे हैं। अलवर जिले के भिवाड़ी को पुलिस अधीक्षक के रूप में एक अलग जिला पहले ही घोषित किया जा चुका है। वहां पुलिस अधीक्षक (एसपी) अलवर से अलग है, लेकिन उसे जिला घोषित नहीं किया गया है।
इसी तरह से सांचौर से बड़ा कस्बा होने के बावजूद भीनमाल को जिला (दोनों जालोर जिले में) घोषित नहीं किया गया है। इसी तरह से भीलवाड़ा जो प्रदेश में आबादी के हिसाब से सातवां बड़ा शहर है उसे संभाग घोषित नहीं किया गया है, जबकि भरतपुर संभाग बन चुका है और सीकर, बांसवाड़ा व पाली की घोषणा हो चुकी है।
जिला मुख्यालयों-उपखंड मुख्यालयों के बीच आज भी 200-250 किलोमीटर की दूरी वाले जिला मुख्यालय बाड़मेर को भी संभाग घोषित नहीं किया गया है। ऐसे में सभी जगहों पर लोग व संगठन अपने जन प्रतिनिधियों के माध्यम से सीएम अशोक गहलोत तक अपनी मांग पहुंचा रहे हैं, लेकिन इस बीच कुछ संगठन और लोग न्यायालय की शरण भी ले सकते हैं।