झुंझुनूं-पिलानी : पसीने छूटें या पाला पड़े, 75 साल से आंकड़े सटीक:BITS पिलानी का मौसम केंद्र; बिरला परिवार ने 1948 में किया स्थापित

झुंझुनूं-पिलानी : झुंझुनूं जिला के बिट्स पिलानी (बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस) स्थित वैदर लैब में वायु की शुष्कता व आर्द्रता जापानी बैरोमीटर से मापी जाती है। यह एक सामान्य से दिखने वाला यंत्र है जो 1948 में यहां स्थापित किया गया था।

मौसम का हाल जानने के लिए यहां कोई बड़ी मशीनरी या आधुनिक उपकरण नहीं लगे हैं। इस बैरोमीटर के सहारे ही वायुदाब मापी तापमान एवं वायुदाब मापी पाठ्यक्रम की सहायता से वायु की नमी एवं शुष्कता मापी जाती है।

बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, पिलानी (झुंझुनूं)
बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, पिलानी (झुंझुनूं)

हवा में नमी या शुष्कता का आकलन कर मौसम का अनुमान तैयार कर वर्षा आदि की संभावना जताई जाती है। पिलानी बिट्स मौसम केंद्र से तैयार किए जाने वाले आंकडे़ रोजाना भारतीय मौसम केन्द्र दिल्ली और जयपुर को भेजे जाते हैं।

ऐसे लेते हैं मौसम की जानकारी

बिट्स संस्थान में फिजिक्स के विभागाध्यक्ष राकेश चौबीसा बताते हैं बिट्स कैम्पस में खुले में एक स्टैण्ड बना कर दो तापमापी स्थापित किए गए हैं। एक में अधिकतम और दूसरी में न्यूनतम तापमान देखा जाता है। इस तापमापी में पारा भरा है। जब दिन का तापमान बढ़ता है तो पारा भी गर्मी के साथ-साथ बढ़ता है।

उच्चतम और न्यूनतम तापमान जानने के लिए लगाया गया बैरोमीटर यंत्र।
उच्चतम और न्यूनतम तापमान जानने के लिए लगाया गया बैरोमीटर यंत्र।

सर्वाधिक ऊंचाई पर पहुंचने के बाद पारा स्थिर हो जाता है। तापमापी में पारे के सर्वाधिक ऊंचाई का प्रतिदिन शाम 5.30 बजे मापन किया जाता है। जबकि दूसरे तापमापी में न्यूनतम तापमान का मापन किया जाता है। जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती है और तापमान में गिरावट आती है तो पारा नीचे लुढ़कता है। सर्वाधिक नीचे पहुंचने वाले स्थान का अंकन प्रतिदिन सुबह 8.30 बजे किया जाता है।

अधिकतम तापमान और न्यूनतम तापमान की जानकारी के लिए खास तापमान मापन यंत्र।
अधिकतम तापमान और न्यूनतम तापमान की जानकारी के लिए खास तापमान मापन यंत्र।

बादलों के अध्ययन से निकालते हैं निष्कर्ष

मौसम परीक्षण में बादलों के अध्ययन का विश्लेषण महत्वपूर्ण होता है। बिट्स के मौसम केन्द्र में रोजाना बादलों का अध्ययन किया जाता है। केन्द्र के सुभाष कुमार बताते हैं कि प्रतिदिन बादलों के आकार, रंग, रफ्तार, गर्जना तथा बादलों की मोटाई आदि का बारीकी से अध्ययन किया जाता है। उन्होंने बताया कि बादलों के अध्ययन से विभिन्न प्रकार के आंकडे़ तैयार किए जाते हैं।

हवा की रफ्तार जानने वाला एनीमोमीटर यंत्र।
हवा की रफ्तार जानने वाला एनीमोमीटर यंत्र।

वायु की दिशा एवं रफ्तार करते हैं दर्ज

वायु की रफ्तार एवं दिशा का अध्ययन करने के लिए मौसम केन्द्र पर विशेष प्रकार के उपकरण स्थापित कर रखे हैं। उपकरणों को केन्द्र के ऊंचाई वाले स्थानों पर स्थापित किया गया है। जब वायु की रफ्तार बढ़ती है तो उपकरण रफ्तार को दर्ज कर लेता है। उपकरण के पास में रखी स्केल पर उपकरण की रफ्तार दर्ज होती रहती है।

वर्षामापी यंत्र।
वर्षामापी यंत्र।

वर्षा का ऐसे करते हैं मापन

मौसम केन्द्र में खुले में एक जार को जमीन में गाड़ कर बरसात मापने का उपकरण तैयार किया गया है। वर्षा होती है तब इस जार में बरसात का पानी एकत्र होता रहता है। एक निर्धारित समय पर स्केल के सहारे जमा पानी का मापन किया जाता है।

हवा की दिशा बताने वाला विंड डायरेक्शन यंत्र।
हवा की दिशा बताने वाला विंड डायरेक्शन यंत्र।

इसलिए मंगवाए विदेशों से उपकरण

झुंझुनूं जिले के पिलानी में अत्यधिक सर्दी और गर्मी पड़ती है। ऐसे में यहां के प्रसिद्ध उद्योगपति बिरला परिवार ने आजादी के समय एक मौसम केंद्र की स्थापना की। इस मौसम केंद्र के लिए उस समय विदेशों से तापमापी उपकरण मंगवाए गए, जो आज भी बिट्स के मौसम केंद्र में मौजूद हैं।

इन उपकरणों से ही यहां प्रतिदिन मौसम के आंकडे़ तैयार किए जाते हैं। मौसम केन्द्र में तैयार किए जाने वाले आंकडे़ रोजाना भारतीय मौसम केन्द्र दिल्ली और जयपुर को भेजे जाते हैं।

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