झुंझुनूं : युवक ने दम तोड़ा:डॉक्टरों की हड़ताल, तीन अस्पतालों में न इलाज मिला, न वेंटिलेटर

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : नीलेश मुदगल

झुंझुनूं : प्रदेशभर में चल रही निजी चिकित्सकों की हड़ताल के कारण समय पर वेंटिलेटर नहीं मिलने पर एक युवक की मौत हो गई। गंभीर हालत में चिड़ावा के प्राइवेट हॉस्पिटल में लेकर आए, लेकिन वहां डॉक्टर नहीं मिले। इसके बाद हालत गंभीर होने पर चिड़ावा के सरकारी अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन इस दौरान युवक ने दम तोड़ दिया।

जानकारी के अनुसार घरडू निवासी सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक देवकरण भड़िया के 36 वर्षीय पुत्र नगेश का हाल ही में दिल्ली के मैक्स अस्पताल में लीवर ट्रांसप्लांट हुआ था। मंगलवार की शाम उसे श्वांस लेने में दिक्कत हुई। इस पर परिजनों ने मैक्स अस्पताल के डॉक्टर को इसकी जानकारी दी।

डॉक्टर ने तत्काल नगेश को वेंटिलेटर पर लेने की सलाह दी। इस पर परिजन उसे लेकर चिड़ावा पहुंचे। वहां के निजी अस्पतालों में चक्कर लगाते रहे, मगर हड़ताल के चलते किसी भी अस्पताल में न चिकित्सक मिला और न ही वेंटिलेटर उपलब्ध कराया। चिड़ावा सीएचसी में भी इलाज नहीं मिला न डॉक्टर थे न वेंटिलेटर डॉक्टर आए तब तक सांसे खत्म हो गई थी।

दो प्राइवेट अस्पतालों मैं लेकर पहुंचे परिजन

परिजन साढ़े सात बजे चिड़ावा के केडीएम अस्पताल पहुचे तो वह बंद मिला। इसके बाद परिजन पौने आठ बजे डीवीएम अस्पताल पहुचे वहां पर भी चिकित्सक नहीं मिले। निजी अस्पतालों में सुविधा नहीं मिलने पर करीब सवा आठ बजे नगेश को लेकर चिड़ावा सीएचसी पहुंचे। लेकिन दुर्भाग्य से वहां भी डॉक्टर नहीं मिले। वेंटिलेटर सुविधा भी नहीं मिली। सूचना करने पर करीब 15 मिनट बाद साढ़े आठ बजे चिकित्सक ने सीएचसी में आकर उसे देखा। तब तक नगेश दम तोड़ चुका था।

दिल्ली में हुआ था लीवर ट्रांसप्लांट

घरडू के नगेश के परिजनों का कहना है कि नगेश का दिल्ली के मैक्स अस्पताल में लाखों रुपए खर्च कर ढाई माह पहले लीवर ट्रांसप्लांट करवाया गया था। ढाई माह पूर्व डिस्चार्ज के बाद यहां गांव लेकर आए थे और उसकी हालत में निरंतर सुधार हो रहा था। लेकिन मंगलवार की शाम करीब सवा सात बजे तबीयत बिगड़ी।

CHC पर तुरंत देखा था डाक्टर ने

CMHO डाक्टर राजकुमार डंगी का कहना है कि

रात को करीब साढ़े आठ बजे मरीज को लेकर आए थे। मरीज अस्पताल के बाहर गाड़ी में ही था। स्टाफ को बताने पर ऑनकॉल डॉक्टर को बुलाया गया था। पहले डॉ. विकास बेनीवाल आए और उसके बाद डॉ. नरेंद्र तेतरवाल ने मौके पर पहुंचकर मरीज की जांच की, लेकिन तब वह मृत था। सीएचसी में वेंटिलेटर की सुविधा नहीं है।

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