अलवर : अलवर में 2017 का सबसे चर्चित हत्याकांड जब एक महिला ने अपने प्रेमी और उसके साथियों के साथ मिलकर अपने पति, 3 बेटों और 1 भतीजे की हत्या कर दी। आरोपी महिला के सामने ही उसके परिवार के 5 सदस्यों की जानवरों को काटने वाले छुरे से गला काटकर हत्या कर दी और वो बेशर्म खड़ी सबकुछ देखती रही। इतना ही नहीं महिला रातभर अपने ही परिवार के 5 सदस्यों की गले कटी लाशों के पास बैठी रही।
हत्या की वजह- उसके अफेयर में पति और बड़ा बेटा रोड़ा बन रहे थे। पति और बड़े बेटे के मर्डर का प्लान था, लेकिन बॉयफ्रेंड ने पूरे परिवार को खत्म कर दिया। पूरे मामले में महिला, उसके बॉयफ्रेंड समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया। 6 साल बाद कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाते हुए सभी को दोषी माना है। मंगलवार को दोषियों को सजा सुनाई जाएगी।
भास्कर ने इस शर्मनाक हत्याकांड की तह तक जाने के लिए केस से जुड़े सरकारी वकील सुनील कुमार से बातचीत की। उन्होंने केस से जुड़े कई चौंकाने वाले तथ्यों का खुलासा किया।
पढ़िए रिश्तों के कत्ल की खौफनाक कहानी…
15 साल तक खुशहाल जिंदगी…
कठूमर के गारू गांव की रहने वाली ताइक्वांडो कोच संतोष शर्मा उर्फ संध्या की शादी 1999 में अलवर के शिवाजी पार्क में रहने वाले बनवारी लाल शर्मा से हुई थी। शादी के करीब 15 साल तक सबकुछ सही चल रहा था। दोनों के 3 बच्चे थे। बनवारी लाल अलवर के एमआईए स्थित एक फैक्ट्री में ऑपरेटर का काम करता था। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी और संतोष लग्जरी लाइफ जीना चाहती थी। वह थोड़ा बहुत ताइक्वांडो भी जानती थी तो उसने अलवर में ही इसकी कोचिंग ली और इसके बाद वह ट्रेनर बन गई।
इस तरह शुरू हुआ अफेयर
वकील सुनील कुमार ने बताया कि संतोष 2014 में अलवर के साहब जोहड़ा के एक ताइक्वांडो कोच के कॉन्टैक्ट में आई थी। वहां से बच्चों को ताइक्वांडो की ट्रेनिंग देने लगी।
इस दौरान वह कई कॉम्पिटिशन में बच्चों को लेकर अलवर से बाहर जाने लगी। एक टूर्नामेंट के दौरान उदयपुर में उसकी दोस्ती हनुमान से हुई। तब हनुमान सीकर के एक दोस्त के साथ BPED की ट्रेनिंग कर रहा था। हनुमान अविवाहित था और संतोष से 10 साल छोटा भी। दोनों के बीच धीरे-धीरे नजदीकियां बढ़ने लगी। हनुमान कई बार मालाखेड़ा गुजूकी (अलवर) में अपने दोस्त कपिल के कमरे पर संतोष को लेकर जाता था।
यही पर हत्या में शामिल कपिल और दीपक से संतोष की मुलाकात हुई। हनुमान और संतोष दो-ढाई साल तक चोरी छिपे मिलते रहे। दोनों कई बार राजस्थान से बाहर भी मिले। इसी दौरान दोनों के अफेयर के बारे में संतोष के पति बनवारी और बेटे मोहित को पता चल गया।
संतोष को पसंद नहीं थी पति और बेटे की रोक-टोक
संतोष की करतूताें का पता चलने पर पति और बेटा दोनों रोक-टोक करने लगे। उसे ट्रेनिंग के लिए भी बाहर जाने से रोकने लगे। इसी बात से संतोष परेशान होने लगी। उसने ये सारी बात हनुमान को बताई। दोनों को लगने लग गया था कि बनवारी और मोहित दोनों को मिलने नहीं देंगे।
पति और बेटे को पसंद तक नहीं करती थी, घूमना-फिरना पसंद था
गरीबी के कारण संतोष अपने पति बनवारी को पसंद तक नहीं करती थी। यहां तक कि अपने बेटों से भी उसे लगाव नहीं था। वह लग्जरी लाइफ जीना चाहती थी। कई बार हनुमान के साथ कई-कई दिनों तक घर से बाहर भी रही थी।
1 साल पहले प्लानिंग, मर्डर से दो महीने पहले खरीदी फर्जी सिम
2016 में हनुमान ने संतोष के साथ मिलकर मर्डर की साजिश रच ली थी। सबकुछ पहले से तय हो गया था कि बनवारी और मोहित को कैसे ठिकाने लगाना है।
हत्याकांड के बाद खुद को बचाने के लिए क्या तर्क देने है, कहां से और कैसे फरार होना है। और, यहां तक कि गला काटने के लिए छुरा और चाकू कहां से आएंगे। दोनों की इस प्लानिंग में गुजूकी निवासी दीपक व दीपक के मामा का लड़का कपिल भी शामिल थे।
हत्या से करीब 2 महीने पहले अगस्त 2017 में ही हनुमान ने फर्जी आई से दो सिम खरीद ली थी। इसमेंं एक सिम हनुमान के पास और दूसरी सिम संतोष के पास थी। दोनों इन्हीं सिमकार्ड का इस्तेमाल करते थे ताकि किसी को उनकी प्लानिंग के बारे में पता नहीं चले।
जानवरों को काटने वाला छुरा ऑनलाइन मंगवाया
संतोष और हनुमान ने पूरी प्लानिंग बना ली थी कि दोनों को कैसे ठिकाने लगाना है। हत्या के लिए हनुमान ने 30 सितंबर 2017 को ऑनलाइन शॉपिग वेबसाइट से 1260 रुपए में जानवरों का काटने वाला छुरा मंगवाया था। छुरा करीब 31 सेमी लंबा और 4 सेमी चौड़ा था।
यह छुरा एक तरफ से धारदार था और दूसरी तरफ से कांटेनुमा स्ट्रक्वर। इसके अलावा इनके शरीर को छलनी करने के लिए अलवर के केड़लगंज से चाकू खरीदा गया था। पुलिस को मौके से कोई सुराग नहीं मिले इसके लिए गल्वज खरीदे गए थे।
इस हत्याकांड के दो दिन पहले ही हनुमान अलवर आ गया था। संतोष और हनुमान ने मिलकर रूट भी तय कर लिया था कि हत्याकांड के बाद कौन, कहां से और कैसे फरार होगा।
और, तय हुआ कि 2 अक्टूबर रात 1 बजे बनवारी और मोहित की हत्या कर दी जाएगी।
गले काटने से पहले रायते में डाली नींद की गोलियां
पुलिस जांच में सामने आया था कि दोनों ने प्लानिंग की थी कि मर्डर से पहले पूरे परिवार को नींद की गोलियां देनी हैं, ताकि कोई आवाज नहीं करे। इसके लिए हनुमान ने ही संतोष को नींद की गोलियां दी थीं। ये गोलियां हनुमान ने अपने साथ BPED कर रहे सीकर के दोस्त से मंगाई थी। संतोष ने इन दवाओं को सिलपट्टे पर चटनी के साथ पीसा और फिर रायता में मिलाकर परिवार को खिलाया था। यह गोलियां पीसते हुए संतोष की छोटी बहन कविता ने देख लिया था। उसने पूछा भी था कि ये क्या पीस रही हो। लेकिन, संतोष ने उसे फटकार कर चुप कर दिया था। संतोष परिवार में किसी को ज्यादा बोलने भी नहीं देती थी। इस कारण बहन कुछ नहीं बोल सकी। न ज्यादा समझ सकी। नींद की गोली के कारण छोटी बहन व उसका बेटा भी नहीं जाग पाए थे।
रात 1 बजे मर्डर, सीढ़ियों में खड़ी देख रही थी संतोष
मर्डर वाली रात संतोष लगातार हनुमान से फोन के जरिए कॉन्टैक्ट में थी। वह एक-एक मिनट की अपडेट हनुमान को बता रही थी। मर्डर से पहले रात करीब 9 बजकर 44 मिनट पर संतोष ने हनुमान से फोन पर बात की थी और बताया था कि नींद की गोली डाल रायते में दी है और सब सो गए हैं।
इसके बाद हनुमान रात करीब 10 बजे वहां पहुंचा। संतोष ने हनुमान को वापस जाने को कहा और रात 1 बजे बुलाया। रात 1 बजे हनुमान, दीपक और कपिल संतोष के मकान पर पहुंचे। यहां संतोष ने मैन गेट खोला और हनुमान को बताया कि बनवारी लाल शर्मा (45), बेटा मोहित (17), हैप्पी (15) अज्जू (12) और भतीजे निक्की (10) नीचे वाले कमरे में सो रहे हैं।
संतोष ने सबसे पहले अपने इशारा करके बताया कि पति कहां सो रहा है। संतोष के इशारा करते ही हनुमान ने सबसे पहले पति बनवारी लाल का गला काटा, बाकी साथियों ने चाकू से शरीर को छलनी कर दिया। तब तक बनवारी की मौत हाे चुकी थी।
मोहित की तबीयत खराब होने की वजह से उसने रायता नहीं खाया था। मर्डर के दौरान उसकी आंख खुल गई। वह चारपाई से उठता उससे पहले उसका भी गला काट दिया।
पति और बेटे की आंखों के सामने हत्या हो रही थी, गला काटा जा रहा था और संतोष ये सबकुछ सीढ़ियों में खड़े होकर देख रही थी।
बरामदे में संतोष के दो छोटे बेटे व भतीजा सो रहे थे। हत्या के बाद बरामदे में आते समय तीनोंं बच्चों पर हनुमान का पैर पड़ गया और वे भी जागने लगे। इस पर हनुमान ने इन तीनों का भी गला काट मौत के घाट उतार दिया। बाकी दोनों साथियों ने पांचों के शवों पर चाकूओं के इतने वार किए कि मौके पर ही मौत हो गई।
मर्डर के बाद कमरे में बैठी रही, सुबह होते ही चिल्लाने लगी
पुलिस जांच में सामने आया कि संतोष और हनुमान ने केवल बनवारी लाल और बेटे मोहित को ही मारने का प्लान बनाया था,लेकिन, जब तीनों बच्चे जागे तो उनके भी गले काट दिए गए। घटनाक्रम के दौरान संतोष की छोटी बहन कविता का छोटा बेटा ऊपर की मंजिल पर था। ऐसा दावा किया जा रहा है कि यदि वे भी उस दिन इस कमरे में होते तो इन्हें भी मौत के घाट उतार दिया जाता।
मर्डर के बाद करीब 6 घंटे तक संतोष शवों के पास ही बैठी रही। सुबह 6 बजते ही उसने चिल्लाना शुरू किया और मर्डर का सारा आरोप अपने ससुराल पक्ष के लोगों पर डाल दिया।
मर्डर के बाद संतोष की स्कूटी से निकले
मर्डर के बाद तीनों आरोपी संतोष की स्कूटी लेकर निकले। इन्हें भागने में संतोष ने मदद की थी और तीन हजार रुपए दिए थे।
तीनों ने संतोष की स्कूटी को रेलवे स्टेशन के पास सुनसान जगह पर छोड़ दिया गया। ऑटो में बैठकर अलवर से राजगढ़ गए। यहां से बांदीकुई होते हुए जयपुर आए। जयपुर से हनुमान उदयपुर पहुंच गया। इधर, उसके दो साथी गुजुकी आ गए।
इधर, इस हत्याकांड की जानकारी पुलिस को मिली तो मौके पर पहुंची। शवों को देख पुलिस अधिकारी भी हैरान हो गए। संतोष ने ससुरालवालों पर आरोप लगया कि जमीन विवाद में पूरे परिवार को मार दिया गया।
पुलिस ने परिवार से पूछताछ की और संतोष के कॉल डिटेल खंगाली तो वहां से हनुमान के साथ दीपक और कपिल के बारे में सुराग मिला।
इन्हीं कॉल डिटेल से पुलिस दूसरे दिन ही हनुमान तक पहुंची और उसकी निशानदेही पर दीपक और कपिल को पकड़ लिया गया। पूछताछ की तो सारा घटनाक्रम सामने आया। हनुमान की गिरफ्तारी के बाद संतोष ये कहती रही कि वह बेकसूर है और हनुमान ने क्यों पूरे परिवार को मारा है ये उससे ही पूछाे।
हनुमान के कमरे पर खून के कपड़े मिले
हनुमान के उदयपुर के कमरे पर खून से सने कपड़े बैग में मिले थे। वहीं चाकू राजगढ़ के पास पड़ा मिला था। 7 मोबाइल भी बरामद हुए थे। इनमें वही नंबर मिले, जिनसे वे आपस में बात करते थे। मोबाइल नंबर व लोकेशन के आधार पर पुलिस हत्या के खुलासे तक पहुंची थी। बाद में स्कूटी भी मिली थी। मर्डर करने के बाद मंडी मोड़ पहुंचकर हाथ व चाकू को पानी की टंकी पर धोया था।