झुंझुनूं : झुंझुनूं के खेतड़ी और उदयपुरवाटी की पहाड़ियों से चोरी छिपे खेजड़ी के जंगलों को साफ किया जा रहा है। हरे पेड़ों की अवैध कटाई होती है। रात में गाड़ियां लोड होती हैं और कच्चे रास्तों से हरियाणा सप्लाई होती हैं। ये सिलसिला लंबे समय से चल रहा है। वन विभाग कार्रवाई की बात तो करता है, लेकिन साथ ही ये भी कहता है कि तस्कर अवेयर हो गए हैं।
झुंझुनूं में खेतड़ी-उदयपुरवाटी पहाड़ी एरिया में खेजड़ी के जंगल हैं। हरे पेड़ों को काटने पर पाबंदी के बावजूद इलाके में कटाई जारी है। तस्करी का यह काम लगभग रोजाना रात के अंधेरे में हो रहा है। जंगल के एरिया से 20 से 30 गाड़ियां कच्चे रास्तों से हरियाणा पहुंच रही हैं।
रात में धड़ल्ले से लकड़ी लेकर निकला ट्रक
दैनिक भास्कर की टीम ने उदयपुरवाटी से रात 8 बजे लकड़ियां लेकर निकले एक ट्रक का सुल्ताना से पीछा किया। रात 10 बजे ट्रक चिड़ावा की ओर निकला। ट्रक में लकड़ियां लदी थीं। इस दौरान रास्ते में सुल्ताना चौकी पड़ी, चिड़ावा थाना भी पड़ा। यहां से 18 किलोमीटर कच्चे रास्ते चलकर ट्रक हरियाणा सीमा में प्रवेश कर गया।
लकड़ी तस्करों ने ऐसे कई रूट बना रखे हैं। चनाना चौकी और पिलानी थाना के सामने से भी लकड़ियों की तस्करी हो रही है। ऐसे कई रास्ते हैं। जो सुल्ताना से चिड़ावा, चिड़ावा से पिलानी, चिड़ावा से सिंघाना होते हुए कच्चे रास्तों से हरियाणा तक पहुंच रहे हैं।
डीएफओ बोले- तस्कर काफी अवेयर हो गए हैं
इसे लेकर हमने झुंझुनूं डीएफओ (डिवीज़नल फोरेस्ट ऑफिसर) राजेंद्र हुड्डा से बात की। सीधे सवाल पूछा – सुल्ताना होते हुए कई गाड़ियां निकलती हैं, आप क्या कार्रवाई कर रहे हैं। इस पर डीएफओ ने कहा- हम कार्रवाई करते रहे हैं। सुल्ताना से चिड़ावा और लुहारू बॉर्डर तक हरियाणा में गाड़ियां जाती हैं।
उन्होंने कहा- हमने बॉर्डर इलाके के वन क्षेत्र अधिकारी, चिड़ावा को पाबंद कर रखा है। जब भी हमें तस्करी की सूचना मिलती है हम कार्रवाई करते हैं। जयपुर से फ्लाइंग बुलाकर भी कार्रवाई करते हैं। पुलिस और अधीनस्थ स्टाफ की हेल्प भी लेते हैं।
डीएफओ ने कहा- वन अपराधी काफी अवेयर हो गए हैं। उन्हें हमारे व्हीकल का पता लग जाता है। इसलिए अचानक कार्रवाई करनी पड़ती है, इस दौरान हम किसी को बिना बताए कार्रवाई करते हैं। वन अपराधियों के तस्करी के ट्रक को एस्कॉर्ट करते हुए आगे पीछे गाड़ियां चलती हैं। ऐसे में पुलिस की हेल्प लेते हैं।
रूट के बारे में पूछने पर डीएफओ ने कहा- वन अपराधियों का रूट फिक्स नहीं है। हम हाईवे पर सिक्योरिटी टाइट करते हैं तो ये कच्चे रास्तों से निकल जाते हैं। हमने कच्चे रास्तों पर कई गाड़ियां पकड़ी हैं। तस्करों ने मेन हाईवे से गुजरना छोड़ दिया है। यह प्रभावी कार्रवाई का ही नतीजा है कि ये लोग रूट चेंज कर रहे हैं। आने वाले वक्त में अभियान चलाकर कार्रवाई करेंगे।
एसपी बोले- ये काम वन विभाग का
झुंझुनूं एसपी मृदुल कच्छावा से हमने लकड़ियों की तस्करी को लेकर सवाल किया। उन्होंने कहा- ये काम वन विभाग का है। वन विभाग को तस्करी रोकने के लिए जो साधन और जाप्ता चाहिए वह हम उन्हें प्रोवाइड कराते हैं। पहले भी तस्करों के खिलाफ चिड़ावा सूरजगढ़ थाने ने प्रभावी कार्रवाई की थी। विशेष अभियान चलाकर वन विभाग के साथ तालमेल बैठाकर कार्रवाई करेंगे।
लकड़ी लोड़िंग के काम से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि तस्करी की लकड़ियों को आरा मशीनों तक पहुंचाया जाता है। ट्रक की पेट्रोलिंग करते हुए वाहन आगे-आगे चलते हैं। पेट्रोलिंग करने वाले हर गाड़ी से 500-700 रुपए लेते हैं।
जानकारी के अनुसार यह सब प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है। तस्कर मंथली पहुंचा रहे हैं। इसीलिए चौकियों और थानों के सामने से तस्करों की गाड़ियां बेधड़क निकल जाती हैं। अंधेरा होते ही पिकअप, ट्रैक्टर ट्रॉली में भरकर लाखों की लकड़ी हरियाणा की आरा मशीनों पर पहुंचा दी जाती है। शाम 7.30 से सुबह 6 बजे तक तस्करी चलती है। इस बीच 2 थाने और 5 चौकियां पड़ती हैं।
3 महीने में बदलते हैं रूट
जानकारी के मुताबिक लकड़ी तस्कर प्रशासन से बचने के लिए हर 3 महीने में रूट बदलते हैं। पहले झुंझुनूं के गुढ़ा से चिड़ावा होते हुए पिलानी रास्ता था। जिसमें डुलानिया, पिपली से कच्चे रास्ते होते हुए तस्कर हरियाणा में पहुंचते थे। फरवरी-मार्च में इन दिनों में तस्करों ने अपना रूट बदला। अब उदयपुरवाटी, गुढ़ा, बालाजी चौकी, सुल्ताना चौकी, चनाना चौकी, गाड़ाखेड़ा व पिलोद होते हुए हरियाणा में प्रवेश कर रहे हैं।
हरियाणा में लकड़ियों का अच्छा भाव
जानकारी के मुताबिक तस्कर लकड़ियों को चोरी छुपे हरियाणा के सिंघानी इलाके में लगने वाली लकड़ी मंडी में बेचते हैं। राजस्थान के मुकाबले हरियाणा की मंडियों में भाव में 5 से 6 रुपए प्रति किलो ज्यादा मिलता है। हरियाणा से अच्छे दामों पर लकड़ी दिल्ली के होटलों और ढाबों पर सप्लाई होती है।
खेतड़ी, गुढ़ा, उदयपुरवाटी के जंगल में यह काम बडे़ पैमाने पर चल रहा है। इलाके के लोगों को पैसों का लालच देकर लकड़ी माफिया उन्हें भी लकड़ी कटाई में खपा रहे हैं। डीएफओ राजेंद्र हुडा ने बताया कि साल 2022 में हरी लकड़ियों से भरी 17 गाड़ियों को जब्त किया था। वन विभाग ने पुलिस से मिलकर तस्करों पर निगाह रखने के लिये चेक पोस्ट और नाके भी बनाए हैं।