झुंझुनूं-खेतड़ी : प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा नए जिले घोषणा के साथ ही अब विरोध के स्वर उठने लगे हैं। नीमकाथाना को जिला घोषित कर खेतड़ी विधानसभा को नीमकाथाना में शामिल होने की घोषणा पर रविवार को लोयल में ग्रामीणों ने विरोध सभा का आयोजन किया गया। इस दौरान ग्रामीणों ने 2 अप्रेल को चारावास में जनसभा का आयोजन विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। लोयल में खेतड़ी के पूर्व प्रधान बजरंग सिंह की अध्यक्षता में विरोध सभा का आयोजन कर खेतड़ी को नीमकाथाना मे शामिल नहीं करने की मांग की है।
बैठक के दौरान नीमकाथाना जिला बनाने की घोषणा में खेतड़ी तहसील का शामिल करने पर आक्रोश जाहिर करते हुए ऐतिहासिक दृष्टि से खेतड़ी को जिला घोषित करने की मांग की। पूर्व प्रधान बजरंग सिंह ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि नीमकाथाना को जिला घोषित करके क्षेत्र की जनता के साथ घोर अन्याय किया है।
ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाए तो खेतड़ी जयपुर के बाद दूसरी सबसे बड़ी रियासत हुआ करती थी, लेकिन राजनीतिक उपेक्षा का शिकार होने के कारण खेतड़ी को दूसरे जिले में शामिल किया जा रहा है। नीमकाथाना में शामिल किए जाने से खेतड़ी के क्षेत्र का विकास पूर्ण रूप से नहीं हो पाएगा तथा यहां की पृष्ठभूमि भी खत्म हो जाएगी। प्रस्तावित जिले की ग्राम पंचायतों की रायशुमारी करके जिला प्रस्तावित करना चाहिए था। सभा में सर्वसम्मति से तय किया कि ग्राम सभाओं का आयोजन करके नीमकाथाना की बजाय झुंझुंनूं जिले में रखने का प्रस्ताव पारित किया जाएगा।
नीमकाथाना में शामिल नहीं होने वाली ग्राम पंचायतों से संपर्क कर 2 अप्रैल को चारावास ग्राम में बड़ी जनसभा का आयोजन करने का निर्णय लिया। इस मौके पर अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव रामचंद्र कुलहरि, जिला उपाध्यक्ष इंद्राज सिंह चारावास, इंकलाबी नौजवान सभा के जिला संयोजक रविंद्र पायल, लोयल सरपंच महेंद्र काजला, मानोता जाटान सरपंच बहादुर मल, पूर्व सरपंच कुंभाराम, हवलदार रोतास काजला, अमरसिंह चाहर, होशियार सिंह, सुभाष, मुकेश बगङिया बङाऊ, राजेन्द्र सिंह जसरापुर, गोकूलचंद, सुबेदार शीशराम, हवलदार हंसराम, रोहतास, उम्मेद सिंह, सुमेर सिंह, सुबेदार अजयपाल सहित अनेक लोग मौजूद थे।