झुंझुनूं : देश की रक्षा के लिए वे सेना में शामिल हुए। अपनी जवानी सरहद की रक्षा में लगा दी। जब जान देने का वक्त आया तो मां भारती के लाडलों ने न अपने बच्चों की तरफ देखा और न ही पत्नी व बूढ़े माता-पिता की तरफ। अपनी माटी का फर्ज निभाते हुए वे अमर हो गए। लेकिन सरकारी अधिकारी ऐसे शहीदों के परिजन को चक्कर कटवाने को मजबूर कर रहे हैं। वे शहीदों के नाम पर सरकारी स्कूलों व अस्पतालों का नामकरण नहीं कर रहे। पूरे राजस्थान में ऐसे 28 मामले तीन साल से अटके हुए हैं। कहीं फाइल कलक्टर के कमरे धूल फांक रही है तो कहीं मामले को शिक्षा विभाग ने अटका रखा है। सर्वाधिक मामले झुंझुनूं, अलवर, भरतपुर, सीकर व नागौर के लम्बित हैं।
इनकी फाइल अटकी
- शहीद जिला
- छत्रपाल सिंह झुंझुनूं
- विक्रम सिंह झुंझुनूं
- कुलदीप सिंह झुंझुनूं
- अजय कुमार झुंझुनूं
- राजेन्द्र प्रसाद झुंझुनूं
- सत्यपाल झुंझुनूं
- रोहिताश यादव अलवर
- अजीत सिंह अलवर
- कालू सिंह अलवरशहीद जिला
- दयाराम गुर्जर अलवर
- प्रदीप कुमार अलवर
- राकेश कुमार भरतपुर
- राजेन्द्र गुर्जर भरतपुर
- देवेन्द्रसिंह भरतपुर
- कैलाश गुर्जर करौली
- शिव नारायण मीणा करौली
- वीरेन्द्र सिंह करौली
- हेमेन्द्र गोदारा नागौर
- रामेश्वर लाल नागौर
- मनोहर सिंह नागौर
- बजरंग लाल नागौर
- दीपचंद वर्मा सीकर
- भगवानाराम सीकर
- प्रभूसिंह सीकर
- रामपाल गुर्जर सीकर
- दाताराम जयपुर
- संकल्प यादव जयपुर
- राजेन्द्र मीणा दौसा
इनका कहना है : जिला कलक्टर व राजस्व विभाग की शिथिलता के कारण शहीदों के नाम से सरकारी भवनों का नामकरण नहीं हो पा रहा। जल्द ही नामकरण करवाया जाएगा।
–राजेंद्र सिंह गुढ़ा, सैनिक कल्याण राज्य मंत्री, राजस्थान सरकार