झुंझुनूं-खेतड़ी : पूरे देश भर में होलिका दहन को लेकर अलग-अलग विचार विमर्श और भ्रांतियां हो रही थी, जिसे होलिका दहन के साथ समाप्त कर दिया गया तथा होलिका दहन के बाद महिलाएं ने दहन की प्रचंड अग्नि को शीतलता प्रदान करने के लिए माता शीतला के दरबार में धोक लगाकर सुख शांति की कामना की। पंडित सुनील शर्मा ने बताया कि पूरे देश भर में होलिका दहन को लेकर अलग-अलग विचार लोगों के मन में आ रहे थे, जिसे होलिका दहन के साथ शांत कर दिया गया।
उन्होंने बताया कि प्रदोष काल में भद्रा सहित होलिका दहन किया गया है। वही भद्रा समाप्ति के पश्चात ब्रह्म मुहूर्त में होलिका दहन सुबह 5:14 के बाद हुआ। कई स्थानों शाम को ही होलिका दहन किया गया है। वहीं कई स्थानों सुबह होलिका दहन किया गया। पंडित सुनील ने बताया कि होलिका दहन को लेकर शास्त्रों में प्रमाण मिलता है कि धर्म सिंधु के अनुसार भद्रा सहित और भद्रा रहित दोनों ही मुहूर्त में होलिका दहन किया जा सकता है। ऐसे में अपनी सभी बुराइयों और कुरीतियों का त्याग कर होलिका दहन कर मंगल कामना करनी चाहिए। भक्त प्रह्लाद की पूजा करनी चाहिए।
आज से ठीक 8 दिन बाद शीतला माता पर्व होगा जो पूरे देश भर में ठंडे पकवान बनाकर खाए मनाया जाएगा। वहीं नव विवाहिताएं गणगौर की पूजा आरंभ करेंगी। इसके अलावा केसीसी के सनातन धर्म समिति के सौजंय से सोमवार देर शाम को सनातन धर्म मंदिर परिसर के सामने होलिका दहन हुआ। केसीसी कार्यपालक निदेशक श्री कुमार व सुमा नायर की मुख्य यजमानी में पंडित सुमन तिवाड़ी ने विधिवत रूप से पूजा अर्चना कर शाम 6 बजकर 35 मिनट पर होलिका दहन कर दिया।
पंडित सुमन तिवाड़ी ने बताया कि परदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद अगले ढाई घंटे में भद्रा के रहते पूजा की होलिका दहन भद्रा दोष खत्म होने के बाद गोधुलि बेला का समय शाम 6.24 से 6.48 तक होलीका का दहन किया गया। उन्होंने बताया कि होलिका दहन का मुहूर्त रात 12.40 से सुबह 5.56 के बीच भी रहेगा। केसीसी टाउनशीप में कई जगह होलिका दहन किया गया।