स्क्वाड्रन लीडर अवनी चतुर्वेदी ने भारत और जापान के बीच हयाकुरी एयर बेस पर हो रहे युद्धाभ्यास वीर गार्जियन 2023 में सुखोई फाइटर प्लेन उड़ाया। स्क्वाड्रन लीडर अवनी चतुर्वेदी का कहना है कि लड़ाकू विमान उड़ाना रोमांचक है और आसमान उन युवाओं की सीमा है, जो सेना में अपना करियर बनाना चाहते हैं। सुखोई-30MKI पायलट अवनी चतुर्वेदी इंडियन एयरफोर्स के उस दल की हिस्सा रहीं, जिन्होंने 12 जनवरी से 26 जनवरी तक हयाकुरी के जापानी एयरबेस में जापान एयर सेल्फ डिफेंस फोर्स के साथ 16-दिवसीय मेगा एयर कॉम्बैट अभ्यास में भाग लिया है।
भारतीय वायु सेना में फाइटर एयरक्राफ्ट उड़ाना बहुत रोमांचक
अवनी ने कहा कि एक्सरसाइज ‘वीर गार्जियन-2023’ भारतीय वायुसेना और जेएसडीएफ के बीच पहला युद्धाभ्यास था, जिसमें एयर कॉम्बैट मैन्यूरिंग इंस्ट्रक्शन और एयर डिफेंस मिशन पर फोकस रखकर प्रैक्टिस की गई। मैं सभी युवाओं और एयरफोर्स में आने के इच्छुक लड़के-लड़कियों को कहना चाहूंगी कि आसमान आपकी सीमा है। भारतीय वायु सेना में फाइटर एयरक्राफ्ट उड़ाना बहुत रोमांचक है और यह आपके लिए एक शानदार करियर का मौका है। मैं तैयारी कर रहे सभी युवाओं से कहना चाहूंगी कि अपनी नजर लक्ष्य पर रखो और दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ इसे पूरा करने में जुट जाओ।
भारत-जापान वायुसेनाओं का एक-दूसरे से सीखने का युद्धाभ्यास रहा
अवनी चतुर्वेदी ने कहा, “इस अभ्यास ने हमें एक-दूसरे से सीखने का एक बड़ा अवसर दिया है। एक-दूसरे की वर्किंग के तौर तरीकों, प्लानिंग और प्रोसेस को अच्छे अभ्यास के रूप में समझने का मौका मिला। यह आपस में एक दूसरे से सीखने का अभ्यास रहा।”
जून 2016 में एयरफोर्स से हुई थीं शामिल
कंप्यूटर साइंस में बीटेक, स्क्वाड्रन लीडर चतुर्वेदी जून 2016 में भारतीय वायुसेना में शामिल होने वाली पहली तीन महिला लड़ाकू पायलटों में से एक थीं। अन्य दो महिला पायलट भावना कांत और मोहना सिंह थीं।
पहली बार विदेशी वायुसेना सैन्य अभ्यास का हिस्सा बनी महिला फाइटर पायलट
वायुसेना अधिकारियों के अनुसार अब तक भारतीय वायुसेना में महिला फाइटर पायलटों ने देश के भीतर हवाई अभ्यास में भाग लिया था, लेकिन यह पहली बार है, जब उनमें से एक विदेश में सैन्य अभ्यास का हिस्सा बनीं। फरवरी 2018 में, मध्य प्रदेश की रहने वाली चतुर्वेदी अकेले लड़ाकू विमान उड़ाने वाली पहली भारतीय महिला पायलट बनीं हैं, जब उन्होंने मिग-21 बाइसन उड़ाया। उन्होंने भारतीय वायुसेना के जामनगर बेस से उड़ान भरी।
जापान में हुआ वीर गार्जियन युद्धाभ्यास
जापान में “वीर गार्जियन” युद्धाभ्यास अभ्यास में भारत ने सुखोई-30MKI विमान, एक IL-78 फ्यूल भरने वाला विमान और दो C-17 ग्लोबमास्टर रणनीतिक एयरलिफ्ट ट्रांसपोर्ट विमान तैनात किए थे।
F-2 और F-15 विमानों के साथ अभ्यास में लिया भाग
अभ्यास के दौरान दोनों देशों की वायु सेनाएं कई सिम्युलेटेड एरियल हवाई परिदृश्यों में जटिल और बड़े हवाई युद्धाभ्यास में शामिल हुईं। अधिकारियों ने कहा कि आईएएफ और जेएएसडीएफ ने एयर डिफेंस मिशन में नज़र आने वाले और नज़र से बाहर की रेंज सेटिंग्स दोनों तरह के हालातों में लड़ाकू युद्धाभ्यास और वायु-रक्षा मिशन पर प्रैक्टिस की। एक दूसरे के लड़ाकू विमान उड़ाने के तौर तरीके समझने के लिए दोनों देशों के वायु सेना पायलटों ने एक दूसरे के लड़ाकू विमानों में भी उड़ान भरी।
अवनी चतुर्वेदी – फोटो
सरकार और रक्षा मंत्रालय ने पिछले जब एक्सपेरिमेंटल बेसिस पर महिलाओं के लिए लड़ाकू स्ट्रीम खोलने का फैसला किया था, तो एक साल से भी कम समय में चतुर्वेदी, कांत और सिंह को 2016 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया। पिछले साल 2022 में भारतीय रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायुसेना में महिला लड़ाकू पायलटों को शामिल करने के लिए चलाई गई प्रायोगिक योजना को स्थायी रूप में बदलने का फैसला लिया। इससे पहले 2020 में नौसेना ने डोर्नियर समुद्री विमान पर महिला पायलटों के अपने पहले बैच को तैनात करने की घोषणा कर दी थी।
कौन हैं अवनी चतुर्वेदी ?
अवनी चतुर्वेदी मूल रूप से मध्यप्रदेश के रहने वाली हैं। घर पर प्यार से सभी उन्हें बुलबुल बुलाते हैं। उनका परिवार मूलत: सतना जिले के कोथिकंचन गांव का रहने वाला है, इसके बाद वे रीवा आकर बस गए। बचपन में ही अवनी हवाई जहाज और फाइटर प्लेन से खेलती थीं और मां सविता चतुर्वेदी से कहा करती थीं कि एक दिन मैं भी कल्पना चावला की तरह आपका नाम रोशन करुंगी। उनकी मां के मुताबिक जब दुर्घटना में कल्पना चावला का निधन हो गया था, तो हम घर में इसकी चर्चा कर रहे थे। तब अवनी महज़ 10 साल की थीं। वो बोलीं कि आप चिंता मत कीजिए, मैं भी कल्पना चावला की तरह बनूंगी। बड़ी होकर घर की बुलबुल फाइटर प्लेन उड़ाने लगी, यह उनके परिवार के लिए गर्व की बात है।
अवनी का करियर
भारतीय वायुसेना ने अवनी चतुर्वेदी जून 2016 में लड़ाकू स्क्वाड्रन में शामिल हुईं । 2018 में अकेले मिग 21 फाइटर प्लेन उड़ाने वाली महिला फाइटर पायलटों में शामिल हो गईं। अवनी फिलहाल सुखोई 30 एमकेआई फाइटर प्लेन उड़ाती हैं। अवनी के पिता दिनकर तिवारी इंजीनियर के तौर पर बाणसागर परियोजना में देवलोंद में पोस्टेड थे। अवनी और उनके बड़े भाई नीरभ्र की पढ़ाई वहीं आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में हिंदी मीडियम से हुई। स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने राजस्थान के टोंक निवाई की वनस्थली विद्यापीठ यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया, इसके बाद वह भारतीय वायु सेना में चुनी गईं। उनकी ट्रेनिंग हैदराबाद एयरफोर्स एकेडमी में हुई।