जयपुर : बीजेपी नेताओं का कहना है कि जिन मुगलों ने देश और उसकी संस्कृति पर हमला किया, उनके नाम से टेंट का नाम रखना गलत है। विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि जेएलएफ आयोजकों के इस कदम से बहुत सारे भारतीयों की भावनाएं आहत हुई हैं। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में कई सालों से चल रहा है। देश-दुनिया के साहित्य और इतिहास में रुचि रखने वाले लोग इस मंच पर अपनी राय साझा करते हैं। हमने हमेशा उनका सम्मान किया, लेकिन एक टेंट का नाम ‘मुगल’ रख कर उन्होंने देश के बहुत सारे लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।
अच्छा होता एपीजे कलाम या महाराणा प्रताप का नाम रखा जाता
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ‘अच्छा होता मुगल टेंट का नाम पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखा जाता।’ उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ बोले कि ‘मुगल की जगह महाराणा प्रताप का नाम भी लिखा जा सकता था।’
मुगल नाम देकर किस मानसिकता को बढ़ावा देने की कोशिश ?
बीजेपी विधायक और प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने कहा-जेएलएफ जयपुर में हो रहा है, लेकिन आयोजकों को जानकारी नहीं है कि फेस्टिवल के आधार पर स्थलों का नाम देना हमारा कर्तव्य है। मुगल नाम देकर वो किस मानसिकता को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं? आयोजकों को कम से कम इस भूमि की ऐतिहासिक संस्कृति पर विचार करना चाहिए था, इसलिए उन्हें आत्मनिरीक्षण करना चाहिए।
कंट्रोवर्सी क्रिएट करना चाहते हैं, कोई बदलाव नहीं होगा
मुगल टेंट विवाद पर जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के प्रोड्यूसर और ऑर्गेनाइजर संजॉय रॉय ने मीडिया के सवालों के जवाब में कहा कि मुगल टेंट का यह नाम डिग्गी पैलेस से ही चला आ रहा है। इसे बदलने को कहने वाले कॉन्ट्रोवर्सी क्रिएट करना चाहते हैं। जिसे कॉन्ट्रोवर्सी करनी है वह किसी भी चीज़ पर कर सकता है।इसके बाद कुछ लोग कहेंगे कि दरबार हॉल का नाम भी बदल दिया जाए। जेएलएफ फेस्टिवल जयपुर में पिछले 16 साल से हो रहा है। मुगल टेंट का नाम उसके आर्किटेक्चर डिजाइन की वजह से रखा गया है, क्योंकि उस टेंट की डिजाइन वैसी ही दिखती है। यह फेस्टिवल जैसा है, वैसा ही चलेगा, इसमें कोई बदलाव नहीं होगा।