नई दिल्ली : भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) ने खेल मंत्रालय को पत्र लिखकर जोर देकर कहा है कि दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शनकारियों को गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने ‘निजी हित में या अनुचित दबाव में या किसी बड़ी साजिश के तहत स्पष्ट रूप से काम किया है।’ WFI के प्रमुख ने कहा कि ये आरोप बदनाम करने के मकसद से लगाए गए हैं।
प्रमुख द्वारा विरोध प्रदर्शन के समय पर भी सवाल उठाए गए। उन्होंने कहा, ‘यह भी ध्यान देने योग्य होगा कि WFI के प्रबंधन के लिए अगला चुनाव भी वर्ष 2023 के निकट भविष्य में होने वाला है।’
पत्र में प्रदर्शनकारियों पर ‘निहित स्वार्थ के साथ एक गहरी और बड़ी साजिश’ का हिस्सा होने का आरोप लगाया गया है।
पत्र में कहीं गई ये बातें
पत्र में कहा गया, ‘आन्दोलनकारियों/पहलवानों द्वारा धरने पर बैठ कर और प्रेस कांफ्रेंस कर अपने आरोप को हवा देना निश्चित रूप से निहित स्वार्थों की एक गहरी और बड़ी साजिश का हिस्सा है, या तो निहित स्वार्थ के लिए कुछ कमजोर पहलवानों पर दबाव डालकर या डब्ल्यूएफआई या उसके अध्यक्ष या कोचों के प्रबंधन को बदनाम करके खुद के लिए जमीन हासिल करने का मकसद है।’
महासंघ ने यौन उत्पीड़न के आरोपों को ‘दुर्भावनापूर्ण और निराधार’ बताते हुए स्वीकार करने से इनकार कर दिया। बताया गया कि डब्ल्यूएफआई की यौन उत्पीड़न समिति के बारे में जानकारी डब्ल्यूएफआई की वेबसाइट पर उपलब्ध है और कोई भी पीड़ित व्यक्ति या पहलवान समिति से संपर्क कर सकता है।
यौन उत्पीड़न का एक भी आरोप स्वीकार नहीं
पत्र में कहा गया, ‘यौन उत्पीड़न का एक भी आरोप स्वीकार नहीं किया गया है, न ही कभी इस पर ध्यान दिया गया है और न ही पाया गया है, न ही अब तक शिकायत की गई है, न ही डब्ल्यूएफआई की यौन उत्पीड़न समिति को इसकी सूचना दी गई है। इसलिए, इस आशय के आरोप समान रूप से दुर्भावनापूर्ण और निराधार हैं, इस मामले में कोई सच्चाई नहीं है सिवाय मीडिया के माध्यम से WFI के वर्तमान प्रबंधन की प्रतिष्ठा और साथ ही WFI के मौजूदा अध्यक्ष को आसान लक्ष्य बनाने के लिए ऐसा हो रहा है।’
डब्ल्यूएफआई ने कहा कि यह बोर्ड संविधान के अनुसार एक निर्वाचित निकाय द्वारा प्रबंधित किया जाता है और इसलिए, अध्यक्ष सहित किसी एक व्यक्ति द्वारा डब्ल्यूएफआई की मनमानी और कुप्रबंधन की कोई गुंजाइश नहीं है।