झुंझुनूं : राजस्थान में भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले पर पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने सीएम गहलोत और सरकार को एक बार फिर झुंझुनूं के गुढ़ा के सम्मेलन में घेरा। सीएम गहलोत के मंत्री,अफसरों को क्लीन चिट देने पर पायलट ने कहा- ये कहा जा रहा है कोई अफसर जिम्मेदार नहीं है। लेकिन पेपर तिजोरी में बंद होता है, बंद पेपर बाहर बच्चों तक कैसे पहुंच गया, यह तो जादूगरी हो गई। पायलट बोले- ऐसा सम्भव ही नहीं है कि कोई अफसर जिम्मेदार नहीं है। कोई ना कोई तो पेपर लीक के लिए जिम्मेदार होगा।
लाखों बच्चे ठगा हुआ महसूस करते हैं, उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा
इसके बाद झुंझुनूं में प्रेस वार्ता के दौरान सचिन पायलट ने अपने बयान पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा- मैंने कहा ये बहुत गम्भीर विषय है। पक्ष-विपक्ष जो भी हो, हमारे इतने सारे नौजवान हैं, उनका विश्वास व्यवस्था में कायम रहे ये सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। लाखों बच्चे अगर अपने आप को ठगा हुआ महसूस करते हैं या उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा है। वो सोचते हैं कि हम किस बेसिस पर विश्वास करें, वो बहुत बड़ा इश्यू है। वो सिर्फ एक व्यक्ति, पार्टी, सरकार की बात नहीं है। शिक्षित बेरोजगार की पीड़ा और ज्यादा है, उन्हें हम कैसे कॉन्फिडेंस देंगे कि रोजगार के अवसर पैदा होंगे यह बहुत बड़ा इश्यू है। हमेशा जो भी काम हो, पारदर्शिता से होना चाहिए और संतोष जनक होना चाहिए।
सचिन पायलट ने सम्मेलन में बड़ी संख्या में रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स को राजनीतिक नियुक्तियां देने पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा- बहुत से लोगों को राजनीतिक नियुक्तियां दी गईं। लेकिन जिन लोगों ने सरकार बनाने में खून पसीना बहाया है, उनका अनुपात सुधारने की जरूरत है। प्रदेश में बहुत से ऊंचे अधिकारी हैं, जो हमारी सरकार में काम करते हैं। लेकिन उन्हें फर्क नहीं पड़ता है कि कांग्रेस का राज है या बीजेपी का राज है। अफसर तो राज्य की नौकरी करते हैं। ऐसे बड़े अफसरों को मौका देना है तो भले ही दें, लेकिन कांग्रेस के कार्यकर्ता का भी अनुपात बेहतर होना चाहिए। बड़े बड़े अफसर शाम 5 बजे रिटायर होते हैं तो रात 12 बजे उनकी नियुक्ति हो जाती है। लेकिन अफसरों की जगह कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पद मिलते, तो वह अच्छा होता। हमें तो उसको ठीक करना होगा।
प्रेसवार्ता में पायलट ने इस पर भी स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि इतनी बड़ी सरकार है बहुत नियुक्तियां होती हैं। इसमें हर तरह के लोग हैं। कुछ एकेडमिक्स से हैं, कुछ साइंस से, कुछ प्रशासनिक अधिकारी, ब्यूरोक्रेसी, ज्यूडिशियरी से और कुछ पॉलिटिकल अपॉइंटमेंट से हैं। मैंने यह कहा जो भी हम करें उसमें अनुपात अच्छा होना चाहिए। ज्यादा जगह उन्हें देनी चाहिए जिन्होंने पार्टी के लिए काम किया है। चाहे वो किसी के भी समर्थक हों। ऐसा नहीं है सरकारी नौकरी से रिटायर होने वालों को पद पोस्ट नहीं दें। लेकिन ऐसा भी नहीं होना चाहिए कि ब्यूरोक्रेट्स का पलड़ा रिटायर होने पर कार्यकर्ताओं के मुकाबले भारी रहे।