आंकड़े भी बताते हैं कि भाजपा को बहुत कम मुस्लिम वोट मिलते हैं। ऐसे में पीएम मोदी का ये बयान सियासी गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ये पासमांदा और बोहरा मुसलमान हैं कौन, जिन्हें पीएम मोदी पार्टी से जोड़ने के लिए कह रहे? इनके आने से भाजपा को कितना फायदा होगा? आइए समझते हैं…
बोहरा मुसलमान कौन हैं?
यूं तो मुसलमानों को दो हिस्सों में बांटा गया है। शिया और सुन्नी। लेकिन इनके अलावा इस्लाम को मानने वाले 72 और फिरके हैं। इन्हीं में से एक बोहरा मुस्लिम होते हैं। बोहरा मुसलमान शिया और सुन्नी दोनों होते हैं। देश में 25 लाख से ज्यादा बोहरा मुसलमानों की आबादी है। ये मुसलमान काफी पढ़े लिखे होते हैं। इनकी पहचान समृद्ध, संभ्रांत समुदाय के तौर पर होती है। बोहरा समुदाय के ज्यादातर मुसलमान व्यापारी होते हैं। भारत में ज्यादातर दाऊदी बोहरा हैं। ये महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में बसते हैं। पाकिस्तान के सिंध प्रांत के अलावा ब्रिटेन, अमेरिका, दुबई, ईराक, यमन और सऊदी अरब में भी इनकी काफी संख्या है। आंकड़े बताते हैं कि गुजरात में ज्यादातर दाऊदी बोहरा समुदाय भाजपा को वोट देते रहे हैं।
भारत में रहने वाले मुसलमानों में 15 फीसदी उच्च वर्ग के माने जाते हैं। जिन्हें अशरफ कहते हैं। इनके अलावा बाकि 85 फीसदी अरजाल, अजलाफ मुस्लिम पिछड़े हैं। इन्हें पसमांदा कहा जाता है। आंकड़े बताते हैं कि पसमांदा मुसलमानों की हालत समाज में बहुत अच्छी नहीं है। ऐसे मुसलमान आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक हर तरह से पिछड़े और दबे हुए हैं।

पसमांदा मूल रूप से फारसी से लिया गया शब्द है। इसका मतलब होता है, वो लोग जो पीछे छूट गए हैं, दबाए गए या सताए हुए हैं। भारत में पसमांदा आंदोलन 100 साल पुराना है। पिछली सदी के दूसरे दशक में एक मुस्लिम पसमांदा आंदोलन खड़ा हुआ था। इसके बाद 90 के दशक में भी पसमांदा मुसलमानों के हक में दो बड़े संगठन खड़े हुए थे। इनमें ऑल इंडिया यूनाइटेड मुस्लिम मोर्चा, जिनके नेता एजाज अली थे। दूसरे पटना के अली अनवर थे, जो ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महज नाम के संगठन का नेतृत्व कर रहे थे। ये दोनों संगठन देशभर में पसमांदा मुस्लिमों के तमाम छोटे संगठनों की अगुआई करते हैं। हालांकि कि दोनों को ही मुस्लिम धार्मिक नेता गैर इस्लामी करार देते हैं। पसमांदा मुस्लिमों के तमाम छोटे संगठन उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में ज्यादा मिल जाएंगे।

इसे समझने के लिए हमने मुस्लिम राजनीति की समझ रखने वाले प्रो. मुश्ताक से बात की। उन्होंने कहा, ‘भारत में जिस तरह से हिंदुओं में अलग-अलग जातियों का असर है, वैसा ही मुसलमानों में भी है। हिंदुओं में तो जाति के आधार पर वोट बंट जाते हैं, लेकिन मुसलमानों में सब एकजुट होकर किसी भी दल को वोट कर देते हैं। यूपी में सपा और बसपा, बिहार में आरजेडी और जेडीयू, पश्चिम बंगाल में टीएमसी, महाराष्ट्र में एनसीपी के खाते में मुसलमान वोट पड़ते हैं। इसी तरह दक्षिण भारत में भी भाजपा के खिलाफ मजबूती से खड़ी होने वाली पार्टी को मुसलमानों का वोट जाता है।’
