भीलवाड़ा : अपने ही आश्रम में नाबालिग से यौन शोषण के मामले में पुलिस ने भीलवाड़ा के हनुमान मंदिर के महंत सरजूदास महाराज को गिरफ्तार किया है। पॉक्सो एक्ट में केस दर्ज होने और सबूत मिलने पर महंत को 8 थानों की पुलिस ने बुधवार को उसके आश्रम से पकड़ा। उसे बुधवार को ही कोर्ट में पेश कर 5 दिन के रिमांड पर लिया है। महंत को उसी एएसपी ने पकड़ा, जिसने आसाराम को गिरफ्तार किया था। भीलवाड़ा के घोड़ास डांग के हनुमान मंदिर के इस महंत के पास महाराष्ट्र, यूपी समेत 4 राज्यों के 5 आश्रमों को चलाने की जिम्मेदारी है।
महंत की तबीयत बिगड़ी
पुलिस ने महंत सरजुदास से यौन शोषण मामले में पूछताछ की जा रही थी। इस दौरान महंत की तबीयत बिगड़ गई है। जिसके चलते उसे हॉस्पिटल ले जाया गया है। बताया जा रहा है महंत ने कुछ खा लिया है। इसके बाद ही महंत की तबीयत बिगड़ी है।
नाबालिग की मां एसिड अटैक का मामला करवाया दर्ज
महंत पर नाबालिग की मां ने एसिड अटैक का आरोप भी लगाया था। हालांकि, इसमें आरोपी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले थे। दरअसल, मां-बेटी दोनों ने आरोपी के खिलाफ मांडल (भीलवाड़ा) थाने में अलग-अलग केस दर्ज कराए थे। पुलिस ने बताया कि मां ने एसिड अटैक को लेकर महंत के खिलाफ 6 दिसंबर को शिकायत दी थी। वहीं, बेटी ने 18 दिसंबर के यौन शोषण की रिपोर्ट दर्ज करवाई।
महंत को कर लिया गिरफ्तार
एएसपी चंचल मिश्रा ने बताया कि मांडल थाने में दर्ज एक पोक्सो मामले में घोड़ास में डांग के हनुमान मंदिर के प्रमुख महंत सरजुदास को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्हें गिरफ्तार करने के बाद पूछताछ के दौरान उसके पास मिले सामान की लिस्ट तैयार की जा रही थी। इस दौरान उनमें से महंत ने कुछ बीच जा लिए। पुलिस ने सावधानी रखते हुए महंत को हॉस्पिटल लेकर आ गई। यहां डॉक्टरों ने महंत को बिल्कुल स्वस्थ्य बताया है। जिसके बाद महंत को गिरफ्तार कर लिया गया है।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) चंचल मिश्रा ने बताया कि सरजूदास के खिलाफ मांडल थाने में मामला दर्ज होने के बाद से ही पुलिस सक्रिय हो गई थी। पुलिस ने आश्रम में काम करने वाले कई लोगों और नाबालिग के साथ रहने वाले बच्चों से पूछताछ की थी। पुलिस ने जलगांव (महाराष्ट्र) स्थित आश्रम में रहने वाले एक युवक से भी इस मामले में पूछताछ की थी। जिसे नाबालिग ने महंत की ओर से किए यौन शोषण के बारे में बताया था।
पूछताछ में पुलिस को डराने की कोशिश
एएसपी ने बताया कि पुलिस ने सावधानी बरतते हुए जांच को दो बार क्रॉस चेक किया था। पुख्ता सबूत मिलने के बाद बुधवार को महंत को गिरफ्तार किया गया था। एएसपी ने बताया कि महंत को पुर थाने लाकर पूछताछ की गई थी। इस दौरान उसने एक बीज मुंह में रख लिया था।
महंत ने बताया कि ये सिर्फ सर्दी से बचाव के लिए बीज खाया है। लेकिन पुलिस अनहोनी की आशंका में उसे हॉस्पिटल लेकर गई और जांच करवाई। फिलहाल उसकी हालत सही है। एएसपी चंचल मिश्रा ने ही आसाराम को भी पकड़ा था।
महंत बोला, फंसाने की कोशिश
मामले में महंत सरजूदास महाराज ने कहा कि उस पर लगाए आरोप झूठे हैं। मां-बेटी से आरोप लगवाया जा रहा है। हमारा उनसे कोई लेना-देना नहीं है। न ही कोई बातचीत है। इससे धर्म पर आंच आएगी। ये मंदिर के लिए अच्छा नहीं है। इसमें हमारा कोई रोल नहीं है। प्रशासन को जांच करनी चाहिए। जो दोषी हो उसे दंड दिया जाना चाहिए।
आश्रम में ही काम करती थी मां-बेटी
नाबालिग और उसकी मां डांग का हनुमान मंदिर में ही काम करती थीं। पीड़िता के पिता ने दो शादी की थी। दूसरी शादी के बाद पीड़िता की मां गांव में ही अपनी बेटी के साथ रहने लगी थी। इस दौरान वे डांग का हनुमान मंदिर में काम करने लगी। पीड़िता भी अपनी मां के साथ आश्रम जाती थी। महंत ने पीड़िता की मां को गांव में एक घर भी बनवाकर दिया था। करीब एक साल पहले पीड़िता की मां ने आश्रम में काम करना छोड़ दिया था।
गुरू की मौत के बाद गद्दी पर बैठे
भीलवाड़ा के घोड़ास गांव में डांग का हनुमान मंदिर के पहले महंत गोविंद गुरू थे। उनकी मौत के बाद संत रामदास आश्रम की गद्दी पर बैठे थे। साल 2007 में संत रामदास की मौत के बाद सरजूदास को डांग का हनुमान आश्रम की गद्दी पर बैठाया गया था।
सरजूदास बचपन से ही संत रामदास के साथ रहने लग गए थे। सरजूदास की उम्र करीब 17 साल थी। तब उन्हें डांग का हनुमान मंदिर आश्रम से महाराष्ट्र जलगांव में स्थित आश्रम में भेज दिया गया था। उसके बाद 2007 में संत रामदास की मौत के बाद सरजूदास को डांग का हनुमान मंदिर सहित अन्य आश्रम की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। अभी सरजूदास के पास भीलवाड़ा के दो आश्रम के साथ, महाराष्ट्र के जलगांव, यूपी के अयोध्या व उत्तराखंड के बद्रीनाथ में स्थित आश्रम की जिम्मेदारी है।
3 साल पहले विवादों में आया महंत
महंत सरजूदास महाराज तीन साल पहले पहली बार विवादों में आया था। महंत ने करेड़ा थाना क्षेत्र में स्थित चम्पा बाग चारभुजा नाथ मंदिर की जमीन पर कुछ ग्रामीणों के कब्जा होने की शिकायत की थी। वहां से उनका कब्जा हटवाया था। जिसको लेकर महंत के खिलाफ करेड़ा थाने में मामला दर्ज करवाया गया था। मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है। इसके बाद से सरजूदास महाराज के भक्तों में भी दो फाड़ हो गए थे और अंदर ही अंदर उसका विरोध शुरू हो गया था।