Gautam Adani: दुनिया के जाने-जाने उद्योगपति गौतम अदाणी लगातार विवादों में हैं। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से अदाणी की दौलत आधी से भी कम हो गई है। हर रोज अदाणी समूह के शेयर्स में गिरावट हो रही है। अदाणी की नेटवर्थ में दस दिन में करीब 65 अरब डॉलर की कमी आ चुकी है। वह रईसों की लिस्ट में फिसलकर टॉप 15 से भी बाहर हो गए हैं।
दो दिन पहले भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी देश की सभी बैंकों से अदाणी समूह को लेकर जानकारी मांगी थी। RBI ने पूछा था कि किस बैंक ने अदाणी समूह को कितना कर्ज दिया है और किस आधार पर दिया है? अब तक दो बैंकों ने आरबीआई के साथ जानकारी साझा की है। इसमें भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और पंजाब नेशनल बैंक (PNB) शामिल हैं। आइए जानते हैं आखिर अदाणी समूह को किस बैंक ने कितना कर्ज दिया है? समूह पर कुल कितना कर्ज है? क्या इसका असर बैंकों की सेहत पर भी हो सकता है?
देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI ने शुक्रवार को कहा कि अदाणी समूह में उसका कुल एक्सपोजर 27 हजार करोड़ रुपये का है। जो उसकी पूंजी का 0.88 फीसदी ही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक अदाणी समूह की कंपनियों को 2.6 बिलियन डॉलर यानी करीब 21 हजार करोड़ रुपये का कर्ज दिया है। एसबीआई द्वारा दिए गए कर्ज में इसकी विदेशी इकाइयों में 200 मिलियन डॉलर शामिल है। SBI के अध्यक्ष दिनेश कुमार खारा ने ब्लूमबर्ग को बताया कि अदाणी समूह की सभी कंपनियां लोन की सारी किश्त समय पर चुका रहीं हैं। बैंक ने अब तक जो कुछ भी उधार दिया है, उससे फिलहाल कोई दिक्कत नहीं है।
वैश्विक ब्रोकरेज फर्म CSLA के मुताबिक, अदाणी समूह पर कुल दो लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। बीते तीन साल में ही अदाणी समूह पर कर्जे की रकम दोगुनी हो गई है। कुल कर्जे में भारतीय बैंकों की हिस्सेदारी 40 फीसदी से भी कम यानी 80 हजार करोड़ से भी कम है। इसमें भी प्राइवेट बैंकों से लिया गया कर्ज का प्रतिशत 10 फीसदी से भी कम है। वैश्विक फर्म जेफरीज के मुताबिक, बैंकों द्वारा दिया गया कर्ज तय सीमा का भीतर ही है।
अदाणी समूह को लेकर हो रहे विवाद के बीच, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त सचिव टीवी सोमनाथन और DIPAM सेक्रेटरी तुहिन कांत पांडेय तक का बयान सामने आ चुका है। सभी ने इस मुद्दे पर बयान देकर लोगों को भरोसा दिलाया कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है, LIC और SBI जैसे सरकारी बैंक और वित्तीय संस्थान पूरी तरह सुरक्षित हैं। इसके साथ ही SBI और बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB) जैसे सरकारी बैंकों के टॉप मैनेजमेंट ने भी इस मुद्दे अपना पक्ष रखकर बाजार में फैली बेचैनी को कम करने की कोशिश की है।