राजस्थान (जयपुर) : राजस्थान में गुलाबी नगरी के नाम से मशहूर जयपुर की स्थापना 18 नवंबर 1727 में की गई थी। आमेर के राजा जयसिंह द्वितीय ने इस शहर का निर्माण करवाया गया। इस शहर की बसावट और वास्तु, प्रसिद्ध वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य के सिद्धांतों के अनुरूप की गई थी। आज यह शहर 295 साल का हो गया है यानी आज के गुलाबी नगरी जयपुर का स्थापना दिवस है।
1876 में प्रिंस ऑफ वेल्स ने भारत का दौरा किया। उनके स्वागत के लिए महाराजा रामसिंह ने पूरे शहर को गुलाबी रंग में रंगवा दिया, इसके बाद से इसे गुलाबी नगरी के नाम से जाना जाने लगा। अपने रंग-बिरंगे रत्नों और आभूषणों के लिए प्रसिद्ध, राजस्थान की राजधानी जयपुर पर्यटन का बड़ा केंद्र है। करीब 100 साल पहले जयपुर को लेकर एक कहावत कही जाती थी कि यदि आपने जयपुर नहीं देखा तो संसार में आकर क्या किया? ऐसे हम यहां शहर के 10 प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में जानते हैं जो बेहद ही खास है।

आमेर महल
आमेर महल
जयपुर से 11 किमी दूरी आमेर किला यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है। यह एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इस किले की बनावट में हिंदू और मुगल शैली का सुंदर मिश्रण देखने को मिलता है। साल 1592 में राजा मानसिंह प्रथम ने दुश्मनों से मुकाबला और बचाव करने के लिए इस महल को बनवाया था। महल का अतीत सात सदी पुराना है।
जयपुर से 11 किमी दूरी आमेर किला यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है। यह एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इस किले की बनावट में हिंदू और मुगल शैली का सुंदर मिश्रण देखने को मिलता है। साल 1592 में राजा मानसिंह प्रथम ने दुश्मनों से मुकाबला और बचाव करने के लिए इस महल को बनवाया था। महल का अतीत सात सदी पुराना है।

सिटी पैलेस
सिटी पैलेस
परकोटे वाले शहर के बीच स्थित इस पैलेस का निर्माण महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने कराया था। इसमें मुबारक महल, महारानी का महल और कई अन्य छोटे महल सहित चौक-चौबारे हैं। मुबारक महल में अब महाराजा मानसिंह का संग्रहालय बना दिया गया है। जिसमें शाही पोशाकें, पश्मीना शॉल, बनारसी साड़ियां, रेशमी वस्त्र, जयपुर के सांगानेर प्रिंटेड कपड़े और अन्य बहुमूल्य रत्न जड़ित कपड़े रखे हुए हैं। महाराजा सवाई माधोसिंह प्रथम और महारानियों के वस्त्रों का संग्रह भी यहां देखा जा सकता है।
परकोटे वाले शहर के बीच स्थित इस पैलेस का निर्माण महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने कराया था। इसमें मुबारक महल, महारानी का महल और कई अन्य छोटे महल सहित चौक-चौबारे हैं। मुबारक महल में अब महाराजा मानसिंह का संग्रहालय बना दिया गया है। जिसमें शाही पोशाकें, पश्मीना शॉल, बनारसी साड़ियां, रेशमी वस्त्र, जयपुर के सांगानेर प्रिंटेड कपड़े और अन्य बहुमूल्य रत्न जड़ित कपड़े रखे हुए हैं। महाराजा सवाई माधोसिंह प्रथम और महारानियों के वस्त्रों का संग्रह भी यहां देखा जा सकता है।

जंतर-मंतर
जंतर-मंतर
यह जयपुर की खगोलीय वेधशाला है। महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने पांच वेधशालाओं का निर्माण कराया था, जिसमें से यह सबसे बड़ी है। इसे जंतर-मंतर के नाम से जाना जाता है। इसका नाम यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में शामिल है। इसमें बनाए गए यंत्रों से समय को मापने, सूर्य की गति व कक्षाओं का निरीक्षण और आकाशीय पिंडों के संबंध में जानकारी दी जाती है। पर्यटकों को वेधशाला की जानकारी देने के लिए यहां विशेषज्ञ मौजूद हैं।
यह जयपुर की खगोलीय वेधशाला है। महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने पांच वेधशालाओं का निर्माण कराया था, जिसमें से यह सबसे बड़ी है। इसे जंतर-मंतर के नाम से जाना जाता है। इसका नाम यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में शामिल है। इसमें बनाए गए यंत्रों से समय को मापने, सूर्य की गति व कक्षाओं का निरीक्षण और आकाशीय पिंडों के संबंध में जानकारी दी जाती है। पर्यटकों को वेधशाला की जानकारी देने के लिए यहां विशेषज्ञ मौजूद हैं।

हवा महल
हवा महल
साल 1799 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने पांच मंजिला हवा महल का निर्माण कराया था। इसका डिजाइन वास्तुकार लालचंद उस्ता ने तैयार किया था। इसकी दीवारें डेढ़ फीट चौड़ी हैं और इसमें 953 सुंदर आकर्षक छोटे-छोटे कई झरोखे हैं। जिनके कारण गर्मियों में भी यह महल वातानुकूलित रहता है। महारानियां अंदर बैठकर शहर में होने वाले मेले-त्यौहार और जुलूस को आसानी से देख सकें, इसलिए इस महल का निर्माण कराया गया था।
साल 1799 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने पांच मंजिला हवा महल का निर्माण कराया था। इसका डिजाइन वास्तुकार लालचंद उस्ता ने तैयार किया था। इसकी दीवारें डेढ़ फीट चौड़ी हैं और इसमें 953 सुंदर आकर्षक छोटे-छोटे कई झरोखे हैं। जिनके कारण गर्मियों में भी यह महल वातानुकूलित रहता है। महारानियां अंदर बैठकर शहर में होने वाले मेले-त्यौहार और जुलूस को आसानी से देख सकें, इसलिए इस महल का निर्माण कराया गया था।

अल्बर्ट हॉल
अल्बर्ट हॉल (सेंट्रल म्यूजियम)
साल 1876 में प्रिंस ऑफ वेल्स ने इसकी आधारशिला रखी थी। इसका नाम लंदन के अल्बर्ट संग्रहालय के नाम पर रखा गया था। स्विंटन जैकब ने इसका डिजाइन तैयार किया और इंडो-सार्सेनिक स्थापत्य शैली के आधार पर इसका निर्माण करवाया गया। यहां जयपुर कला विद्यालय, कोटा, बूंदी, किशनगढ़ और उदयपुर शैली के लघु चित्रों का बड़ा संग्रह है। धातु की वस्तुएं, लकड़ी के शिल्प, मूर्तियां, हथियार, बहुमूल्य पत्थर, हाथी दांत का सामान भी यहां पर्यटकों के देखने के लिए रखा गया है।
साल 1876 में प्रिंस ऑफ वेल्स ने इसकी आधारशिला रखी थी। इसका नाम लंदन के अल्बर्ट संग्रहालय के नाम पर रखा गया था। स्विंटन जैकब ने इसका डिजाइन तैयार किया और इंडो-सार्सेनिक स्थापत्य शैली के आधार पर इसका निर्माण करवाया गया। यहां जयपुर कला विद्यालय, कोटा, बूंदी, किशनगढ़ और उदयपुर शैली के लघु चित्रों का बड़ा संग्रह है। धातु की वस्तुएं, लकड़ी के शिल्प, मूर्तियां, हथियार, बहुमूल्य पत्थर, हाथी दांत का सामान भी यहां पर्यटकों के देखने के लिए रखा गया है।

नाहरगढ़ क़िला
नाहरगढ़ क़िला
यहां से जयपुर शहर का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। साल 1734 में महाराजा जयसिंह ने इस किले का निर्माण कराया था। नाहरगढ़ यानि शेर का किला, इसलिए इसे शहर का पहरेदार भी माना जाता था। इस किले में बने माधवेंद्र भवन को गर्मी के दिनों में महाराजा के निवास के रूप में काम में लिया जाता था।
यहां से जयपुर शहर का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। साल 1734 में महाराजा जयसिंह ने इस किले का निर्माण कराया था। नाहरगढ़ यानि शेर का किला, इसलिए इसे शहर का पहरेदार भी माना जाता था। इस किले में बने माधवेंद्र भवन को गर्मी के दिनों में महाराजा के निवास के रूप में काम में लिया जाता था।

जयगढ़ फोर्ट
जयगढ़ फोर्ट
महाराजा जयसिंह द्वितीय ने आमेर की सुरक्षा के लिए 1726 में इस किले को बनवाया था। इसमें बने शस्त्रागार, अनूठा शस्त्र संग्रहालय, तोप बनाने का कारखाना और विश्व की सबसे बड़ी तोप जयवाण को देखने के लिए हजारों पर्यटक आते हैं। बताया जाता है कि जब इस तोप को चलाया गया था तब शहर से 35 किमी दूर एक तालाब जैसा गड्ढा बन गया था। इस तोप का वजन 50 टन और लंबाई 31 फीट 3 इंच है। इसके 8 मीटर लंबे बैरल में एक बार 100 किलो गन पाउडर भरा जाता था।
महाराजा जयसिंह द्वितीय ने आमेर की सुरक्षा के लिए 1726 में इस किले को बनवाया था। इसमें बने शस्त्रागार, अनूठा शस्त्र संग्रहालय, तोप बनाने का कारखाना और विश्व की सबसे बड़ी तोप जयवाण को देखने के लिए हजारों पर्यटक आते हैं। बताया जाता है कि जब इस तोप को चलाया गया था तब शहर से 35 किमी दूर एक तालाब जैसा गड्ढा बन गया था। इस तोप का वजन 50 टन और लंबाई 31 फीट 3 इंच है। इसके 8 मीटर लंबे बैरल में एक बार 100 किलो गन पाउडर भरा जाता था।

जल महल
जल महल
यह मानसागर झील के बीच में बना है। दूर से देखने पर ऐसा लगता है कि जैसे यह पानी में तैर रहा हो। महाराजा जयसिंह द्वितीय ने 18वीं सदी में इसे बनवाया था। इसे रोमांटिक महल के नाम से भी जाना जाता है। राजा अपनी रानी के साथ इस महल में खास वक्त बिताने आते थे। इसके चारों कोनों पर बुर्जियां और छतरियां बनी हैं।
यह मानसागर झील के बीच में बना है। दूर से देखने पर ऐसा लगता है कि जैसे यह पानी में तैर रहा हो। महाराजा जयसिंह द्वितीय ने 18वीं सदी में इसे बनवाया था। इसे रोमांटिक महल के नाम से भी जाना जाता है। राजा अपनी रानी के साथ इस महल में खास वक्त बिताने आते थे। इसके चारों कोनों पर बुर्जियां और छतरियां बनी हैं।

जयपुर वैक्स म्यूजियम
वैक्स म्यूजियम
अरावली की तलहटी में शहर का यह वैक्स संग्रहालय है। इसे एंटरटेनमेंट 7 वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड ने बनाया है। 30 प्रसिद्ध व्यक्तियों की मोम प्रतिमाओं को संग्रहालय में रखा गया है। जिसमें अमिताभ बच्चन, महात्मा गांधी, भगत सिंह, रवींद्र नाथ टैगोर, अल्बर्ट आइंस्टीन, माइकल जैक्सन, सवाई जयसिंह द्वितीय, महारानी गायत्री देवी और भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय नेतृत्व के कई प्रमुख व्यक्तियों की मोम प्रतिमाएं शामिल हैं। यहां 10 फिट लंबी बुलेट, गति-गामिनी, प्रसिद्ध पर्यटन मोटर बाइक भी है।
अरावली की तलहटी में शहर का यह वैक्स संग्रहालय है। इसे एंटरटेनमेंट 7 वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड ने बनाया है। 30 प्रसिद्ध व्यक्तियों की मोम प्रतिमाओं को संग्रहालय में रखा गया है। जिसमें अमिताभ बच्चन, महात्मा गांधी, भगत सिंह, रवींद्र नाथ टैगोर, अल्बर्ट आइंस्टीन, माइकल जैक्सन, सवाई जयसिंह द्वितीय, महारानी गायत्री देवी और भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय नेतृत्व के कई प्रमुख व्यक्तियों की मोम प्रतिमाएं शामिल हैं। यहां 10 फिट लंबी बुलेट, गति-गामिनी, प्रसिद्ध पर्यटन मोटर बाइक भी है।

अमर जवान ज्योति
अमर जवान ज्योति
यह राजस्थान के शहीदों को समर्पित एक स्मारक है। यह नए विधानसभा भवन के पास स्थित है। इसके चारों कोनों में ज्योति प्रज्जवलित हैं। शाम के समय अमर जवान ज्येाति रंगों की आकर्षक छटा बिखेरती है। यह पर्यटकों की एक पंसदीदा जगहों में से एक है।
यह राजस्थान के शहीदों को समर्पित एक स्मारक है। यह नए विधानसभा भवन के पास स्थित है। इसके चारों कोनों में ज्योति प्रज्जवलित हैं। शाम के समय अमर जवान ज्येाति रंगों की आकर्षक छटा बिखेरती है। यह पर्यटकों की एक पंसदीदा जगहों में से एक है।





