भुट्टो के मर्डर के 14 साल:आज भी राज है बेनजीर की हत्या, 144 गवाह, 10 जज, हत्यारों का सुराग नहीं

पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की 27 दिसंबर, 2007 की शाम हत्या कर दी गई थी। भुट्टो की मौत को पूरे 14 साल बीत गए, लेकिन पाकिस्तान का सिस्टम अब तक हत्यारों को सजा नहीं दिला पाया। पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या से जुड़ा मामला अभी भी लाहौर हाईकोर्ट में लंबित है। यह सवाल जस का तस बना हुआ है कि हत्या के पीछे किसका हाथ है, किसके कहने पर भुट्टो को मारा गया। इन 14 सालों में अटकलबाजियों के सिवाय कुछ हाथ नहीं लगा।

बेनजीर भुट्टो किसी भी मुस्लिम देश की कमान संभालने वाली पहली महिला थीं। बेनजीर भुट्टो हत्या की शाम रावलपिंडी से एक चुनावी रैली संबोधित कर के लौट रही थीं। तभी हमलावर बेनजीर की कार के पास आया और उनको गोली मार दी। बाद में उसने खुद को भी उड़ा लिया। भुट्टो के साथ उनकी पार्टी के 20 कार्यकर्ताओं की भी जान गई थी और 71 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। बेनजीर भुट्टो दो बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद पर रहीं। पहली बार साल 1988 से 1990 तक और दूसरी बार साल 1993 से 1996 तक। बेनजीर भुट्टो अपनी मौत के वक्त तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के लिए प्रचार कर रहीं थीं।

16 आरोपियों में से सिर्फ 8 की हुई गिरफ्तारी
इस हाई-प्रोफाइल केस को सुलझाने के लिए पुलिस ज्वाइंट इन्वेस्टीगेशन टीम (जेआईटी), द फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एफआईए), द यूनाइटेड नेशनस (यूएन) और स्कॉटलैंड यार्ड चार बार पूछताछ की। हालांकि, पूछताछ और जांच का कोई नतीजा नहीं निकला। इसकी वजह थी कि भुट्टो परिवार ने मामले को विशेष आतंकवाद विरोधी अदालत (एटीसी) में आगे नहीं बढ़ाया।

भुट्टो हत्याकांड में 16 लोगों को आरोपी बनाया गया। 355 बार पेशी हुई। 10 जज बदले और 114 लोगों ने गवाही दी, लेकिन आरोपियों में से केवल 8 को ही गिरफ्तार किया गया। हमले का मुख्य आरोपी तालिबान कमांडर बैतुल्लाह महसूद अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया। 5 अन्य आरोपी नादिर खान उर्फ कारी, नसरुल्ला, अब्दुल्ल्ला उर्फ सद्दाम, इकरामुल्लाह, फैज मोहम्मद कास्कत भी अलग-अलग मुठभेड़ में मार दिए गए।

आरोप-चुनाव से पहले भुट्टो को मरवाना चाहते थे मुशर्रफ
बेनजीर भुट्टो पर हमला करने वाले आत्मघाती हमलावर की पहचान सईद ब्लाकेल के तौर पर हुई, जिसने सुसाइड बम से खुद को उड़ा लिया था। ऐसे आरोप भी लगे कि तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ खुद चुनाव से पहले बेनजीर को मरवाना चाहते थे। मुशर्रफ, शहर के पूर्व पुलिस अधिकारी (सीपीओ) सऊद अजीज और अधीक्षक (एसपी) रावल खुर्रम शहजाद को भी गिरफ्तार किया था। साल 2013 में एक पाकिस्तानी अदालत में मुशर्रफ के खिलाफ आरोप भी तय हुए, लेकिन 2016 में मुशर्रफ पाकिस्तान छोड़कर भाग गए। तब से निर्वासन में रह रहे हैं। 31 अगस्त, 2017 को अदालत ने पांच आरोपियों को बरी कर दिया। साथ ही मुशर्रफ भगोड़ा घोषित कर दिया।

पहले सजा फिर रिहा कर दिया प्रमोशन
एटीसी ने पुलिस अधिकारी सऊद अजीज और एसपी खुर्रम शहजाद को सुरक्षा को भंग करने और सबूत मिटाने के लिए दोषी ठहराया। दोनों 17 साल की जेल और 10-10 लाख रुपये का जुर्माना भरने की सजा सुनाई। तीन महीने बाद ही लाहौर हाईकोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया और दोनों आरोपियों को बरी कर दिया। सीपीओ अब रिटायर हो चुके हैं और एसपी को प्रमोशन देकर डीआईजी बना दिया गया है।

पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी दी मामले को चुनौती
बेनजीर के पति और पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने बरी किए गए 5 आरोपियों के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की। इसमें कहा गया है कि दोनों पुलिसकर्मियों- सऊद अजीज और खुर्रम शहजाद की सजा बढ़ाने और मुशर्रफ के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की। एफआईए ने भी पांचों आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ अपील दायर की। बता दें कि पांच में से दो आरोपी आरोपी रशीद अहमद और हसनैन गुल कई आरोपों में अभी भी रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद हैं।

शक की सुई पति पर भी आई थी..
बेनजीर भुट्टो की मौत के बाद पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सरकार बनी। बेनजीर के पति आसिफ अली जरदारी देश के राष्ट्रपति बने, लेकिन वह भी बेनजीर के हत्यारों को बेनकाब करने में नाकाम रहे। ऐसे में शक की सुई जरदारी की तरफ भी जाती है। इन अटकलों ने तब जोर पकड़ा, जब जरदारी के वरिष्ठ सहयोगी बिलाल शेख 2013 में कराची में एक आत्मघाती हमले में मारे गए। जब बेनजीर भुट्टो 2007 में निर्वासन के बाद लौटी थीं, तब शेख ही उनकी सुरक्षा के इंचार्ज थे।

अगले साल फरवरी में हो सकती है सुनवाई
भुट्टो हत्याकांड में आरोपी और अभियोगी की अपील लाहौर हाईकोर्ट की रावलपिंडी पीठ में चार साल से लंबित हैं। फरवरी, 2022 में अंतिम हफ्ते में इस पर सुनवाई होने की उम्मीद है। हालांकि, इस पर अभी भी कुछ कहना मुश्किल हैं कि मामले में फैसला कब तक आएगा।

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