उदयपुर : हेलिकॉप्टर क्रैश में शहीद मेजर मुस्तफा सुपुर्द-ए-खाक:आखिरी बार बेटे का चेहरा देखा तो ताबूत से लिपट गई मां, मंगेतर बेसुध

उदयपुर : अरुणाचल में शहीद हुए पायलट मेजर मुस्तफा जकीउद्दीन बोहरा को सैन्य सम्मान के साथ उदयपुर में रविवार देर रात सुपुर्द-ए-खाक खाक किया गया। आर्मी के जवानों ने 3 राउंड फायर कर शहीद को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इसके बाद शहीद मुस्तफा के पिता को तिरंगा सौंपा गया।

शहीद मुस्तफा की पार्थिव देह रविवार शाम 6 बजे उदयपुर पहुंची थी। डबोक एयरपोर्ट पर शहीद की पार्थिव देह पहुंचते ही माहौल गमगीन हो गया। शहीद की देह को सेना के ट्रक में ही लाया गया। मां ने अंतिम बार अपने बेटे के चेहरे को देखा तो ताबूत से लिपट गईं। उधर, नीचे खड़ी मंगेतर इतनी बेसुध हो गई कि मुंह से आवाज भी नहीं निकल पाई। इशारों में सेना के जवानों से बस एक बार देख लेने की गुजारिश करती रहीं। जब अपने बेटे का चेहरा देखने मां नीचे उतरी तो उनसे लिपटकर रोने लगीं।

उदयपुर के डबोक एयरपोर्ट से सैन्य प्रोटोकॉल के तहत खांजीपीर स्थित कब्रिस्तान के लिए रवाना किया गया। एयरपोर्ट पर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी, वल्लभनगर विधायक प्रीति शक्तावत के साथ कई लोगों ने मुस्तफा बोहरा अमर रहे के नारों के साथ विदा किया। इस दौरान एयरपोर्ट के बाहर मौजूद सेना के जवानों के साथ मेजर मुस्तफा के परिजन और अन्य लोगों ने नम आंखों से विदाई दी।

शहीद मुस्तफा को उदयपुर के खांजीपीर कब्रिस्तान में रविवार रात करीब 10.30 बजे सैन्य सम्मान के साथ सुपुर्द-ए-खाक किया। पिता व परिजनों को सैन्य अधिकारियों ने तिरंगा सौंपा तो वे फफक पड़े।
शहीद मुस्तफा को उदयपुर के खांजीपीर कब्रिस्तान में रविवार रात करीब 10.30 बजे सैन्य सम्मान के साथ सुपुर्द-ए-खाक किया। पिता व परिजनों को सैन्य अधिकारियों ने तिरंगा सौंपा तो वे फफक पड़े।

अरुणाचल प्रदेश के तूतिंग हेडक्वार्टर से 25 किमी दूर उनका एडवांस्ड लाइट आर्मी हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें 4 जवान शहीद हो गए थे। इसमें झुंझुंनूं के रोहिताश और हनुमानगढ़ के मेजर विकास भी थे। मेजर मुस्तफा मूल रूप से उदयपुर के वल्लभनगर तहसील में खेरोदा गांव के रहने वाले हैं। हालांकि परिवार शहर में हाथीपोल चौराहा के पास रहता है।

पार्थिव देह देखने की जिद करती शहीद की मंगेतर (ब्लू स्कार्फ में)। शहीद बेटे को अंतिम बार देखने के बाद फूट-फूटकर रोती मां।
पार्थिव देह देखने की जिद करती शहीद की मंगेतर (ब्लू स्कार्फ में)। शहीद बेटे को अंतिम बार देखने के बाद फूट-फूटकर रोती मां।

एयरपोर्ट के बाहर मौजूद सेना के जवानों के साथ मेजर मुस्तफा के परिजन और अन्य लोगों ने नम आंखों से विदाई दी। रात 8.30 बजे के करीब खांजीपीर कब्रिस्तान के सामने लुकमानी मस्जिद में शहीद मुस्तफा को आर्मी ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया।

शहीद मुस्तफा को सुपुर्द-ए-खाक करने से पहले छोटी बहन अल्फिया अपने भाई की तस्वीर लिए नजर आई। वह सैन्य अधिकारियों से एक ही बात कह रही थी- मुझे मेरे भाई से मिला दो।
शहीद मुस्तफा को सुपुर्द-ए-खाक करने से पहले छोटी बहन अल्फिया अपने भाई की तस्वीर लिए नजर आई। वह सैन्य अधिकारियों से एक ही बात कह रही थी- मुझे मेरे भाई से मिला दो।

रात 9 बजे के करीब जनाजा की नमाज पढ़ी गई। शहीद की छोटी बहन अल्फिला ने भाई की तस्वीर को सीने से लगा रखा था। वह लगातार रो रही थी और आर्मी के जवानों से कह रही थी- मुझे मेरे भाई से मिला दो। लुकमान मस्जिद से शहीद का जनाजा खांजीपीर कब्रिस्तान ले जाया गया। रात 10.30 बजे के करीब सैन्य सम्मान के साथ मुस्तफा को सुपुर्द-ए-खाक किया गया।

मुस्तफा की मंगेतर (नीले स्कार्फ में) का भी रो-रोकर बुरा हाल था। शहीद मुस्तफा की छोटी बहन अल्फिया (सफेद स्कार्फ में) एक बार भाई के अंतिम दर्शन करने की जिद करने लगी। सैन्य अधिकारियों ने उसे संभाला और समझाया।

अरुणाचल प्रदेश में हेलिकॉप्टर क्रैश के दौरान राजस्थान के 4 जवान शहीद हुए थे, जिनमें से उदयपुर के मुस्तफा बोहरा भी एक हैं। अरुणाचल प्रदेश के तूतिंग हेडक्वार्टर से 25 किमी दूर उनका एडवांस्ड लाइट आर्मी हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें देश के 4 जवान शहीद हो गए थे। हेलिकॉप्टर में झुंझुनूं के रोहिताश और हनुमानगढ़ के मेजर विकास भी थे। मेजर मुस्तफा मूल रूप से उदयपुर के वल्लभनगर तहसील में खेरोदा गांव के रहने वाले थे।

शहीद का पार्थिव शरीर जैसे ही डबोक एयरपोर्ट पर पहुंचा। वहां मौजूद माता पिता, परिवार, रिश्तेदार, राजनीतिक व सामाजिक लोगों ने सैन्य वाहन पर फूल बरसाकर शहीद मुस्तफा अमर रहें के नारे लगाए।
अंतिम विदाई में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी, वल्लभनगर विधायक प्रीति शक्तावत के साथ कई लोगों ने मुस्तफा बोहरा अमर रहे के नारे लगाए।
अंतिम विदाई में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी, वल्लभनगर विधायक प्रीति शक्तावत के साथ कई लोगों ने मुस्तफा बोहरा अमर रहे के नारे लगाए।

होनहार स्टूडेंट रहे मुस्तफा, किताबों में बहुत रुचि रखते थे

मुस्तफा के पिता जलीउद्दीन बोहरा कुवैत में प्रिंटिंग से जुड़ी जॉब करते हैं। वे सूचना मिलने पर शनिवार को उदयपुर पहुंच गए थे। उनका परिवार पिछले 7 सालों से उदयपुर की अजंता गली में एक मकान में किराए पर रह रहा है। मुस्तफा की मां फातिमा बोहरा हाउस वाइफ हैं। छोटी बहन एलेफिया डेन्टिस्ट की पढ़ाई कर रही हैं। मुस्तफा के बड़े पापा आबिद अली के अनुसार मुस्तफा बचपन से होनहार स्टूडेंट रहे थे। उन्हें किताबों में बहुत रुचि थी। सेना में भर्ती होने के लिए उन्होंने रात-दिन तैयारी की। 9 साल पहले एनडीए एग्जाम के जरिए मुस्तफा का सिलेक्शन हुआ था। इसके बाद उन्हें आर्मी में जॉइनिंग मिली थी।

रात 10.30 बजे के करीब शहीद मुस्तफा को सुपुर्दे खाक किया गया। मुस्तफा को जानने वाले हर व्यक्ति ने यही कहा कि वे बहुत होनहार और डीसेंट व्यक्ति थे।
रात 10.30 बजे के करीब शहीद मुस्तफा को सुपुर्दे खाक किया गया। मुस्तफा को जानने वाले हर व्यक्ति ने यही कहा कि वे बहुत होनहार और डीसेंट व्यक्ति थे।

दादा के बाद अब पोता भी शहीद : वीरांगना को पता नहीं पति की शहादत का
झुंझुनूं का पोसाना गांव। आबादी 4 हजार के करीब। गांव में दीपावली का जोश था। हर घर में दीपोत्सव की तैयारियां चल रही थीं। कोई घर में रंग-रोगन कर रहा था तो कोई सजावट के काम में जुटा था। बच्चे नए कपड़ों-मिठाइयों की मनुहार कर रहे थे। महिलाएं भी तैयारियों में लगी थीं। इस बीच खबर मिली कि अरुणाचल प्रदेश में हेलिकॉप्टर क्रैश में गांव का बेटा रोहिताश्व शहीद हो गया। दीपावली की चमक फीकी हो गई। घरों की सजावट छोड़कर अब गांव के लाेग श्मशान और शहीद स्मारक की सफाई में जुटे हैं।

खैरवा की ढाणी के अंकेश ने कहा- गांव के शहीद भाई रोहिताश की सोमवार को तिरंगा यात्रा निकाली जानी है..इसलिए गांव के लोग अपने-अपने घरों की सफाई छोड़कर श्मशान, शहीद स्मारक व गलियों की सफाई कर रहे हैं। गांव में अब दीपावली का कोई माहौल नहीं है। पूरा गांव इस गम में शहीद के परिवार के साथ शामिल है। गांव वाले अब रोहिताश्व का पार्थिव शरीर आने का इंतजार कर रहे हैं।

अंकेश ने बताया कि गांव में अब दीपावली का कोई माहौल नहीं है। जहां से तिरंगा यात्रा गांव में एंट्री करेगी वहां तक साफ-सफाई कर रहे हैं।
अंकेश ने बताया कि गांव में अब दीपावली का कोई माहौल नहीं है। जहां से तिरंगा यात्रा गांव में एंट्री करेगी वहां तक साफ-सफाई कर रहे हैं।

परिवार में दूसरे शहीद
रोहिताश्व खैरवा अपने परिवार में दूसरे शहीद हुए हैं। रोहिताश्व के ताऊ दयानंद खैरवा ने बताया कि परिवार के लिए यह दर्द इसलिए भी बड़ा है क्योंकि रोहिताश्व के दादा ग्रेनेडियर बालाराम ने 11 सितंबर 1967 में देश के लिए शहादत दी थी। बालाराम रोहिताश्व के दादा पिरथाराम के सगे भाई थे। वे 27 नवंबर 1962 को भर्ती हुए थे। दयानंद खैरवा ने बताया कि बचपन से ही रोहिताश्व अपने दादा की शहादत की कहानियां सुनता था। उसे सेना में जाने का क्रेज था।

पत्नी को पता नहीं पति शहीद हो गए
सरपंच प्रतिनिधि अमित ढेवा ने बताया कि हादसे के बाद जवान घंटों लापता रहे। दुर्घटना स्थल सड़क से काफी दूर होने से सर्च अभियान में समय लगा। शनिवार को रोहिताश्व समेत अन्य जवानों के शव मिले। अमित ढेवा ने सेना सूत्रों के हवाले से बताया कि रविवार को पार्थिव देह जयपुर पहुंचेगी। वहां से रात तक गुढ़ागौड़जी थाने पहुंचेगी। सोमवार सुबह साढ़े 8 बजे गुढ़ागौड़जी से खैरवा ढाणी तक तिरंगा यात्रा निकाली जाएगी और सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी।

उन्होंने बताया कि परिवार को दुर्घटना की जानकारी मिल गई थी, लेकिन शहीद होने की बात उनसे छ़ुपाई जा रही है। वीरांगना सुभिता देवी बार-बार बात कराने के लिए बोल रही है।

शहीद रोहिताश्व खैरवा और उनकी पत्नी सुभिता। सुभिता को पति के शहीद होने का अभी तक पता नहीं चला।
शहीद रोहिताश्व खैरवा और उनकी पत्नी सुभिता। सुभिता को पति के शहीद होने का अभी तक पता नहीं चला।

रोहिताश्व अपने गांव के छठे शहीद
गांव में रोहिताश्व छटे शहीद हुए हैं। पोसाना में श्मशान के पास अमर शहीद स्मारक बना हुआ है। जहां शहादत देने वाले शहीद सेडूराम मेचू, शहीद जोधाराम महला, शहीद बोहितराम ढेवा, शहीद बालाराम खैरवा व शहीद धर्मपाल सिंह ढेवा की प्रतिमाएं लगी हैं। जहां दादा का अंतिम संस्कार किया गया था, अब उसी जगह पोते का अंतिम संस्कार किया जाएगा।

सेना के जवानों ने दोनों पायलट को अस्पताल पहुंचाया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।

देश पर विपदा आई तो झुंझुनूं आगे रहा
BJP के जिलाध्यक्ष पवन मावड़िया ने कहा कि देश में कहीं भी शहादत होती है तो झुंझुनूं जिले का नाम उससे अछूता नहीं रहता। सीमा और देश की रक्षा में झुंझुनूं जिले के जवान हमेशा आगे रहते हैं। पोसाना गांव के शहीद रोहिताश्व ने वीरगति पाई। वे गांव के छठे शहीद हैं। बस स्टैंड पर ही देश के लिए गांव के जवानों का जज्बा उन प्रतिमाओं में नजर आता है। एक तरफ दुख भी है कि उस परिवार और वीरांगना पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है। दूसरी तरफ गर्व भी है कि गांव का लाल देश के लिए शहीद हुआ।

बता दें कि अरुणाचल प्रदेश में शुक्रवार को टूटिंग हेडक्वार्टर से 25 किलोमीटर दूर सिंगिंग गांव के पास सेना का हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था। हादसे में रोहिताश्व समेत 5 जवान शहीद हो गए थे। जहां हादसा हुआ वह एरिया सड़क मार्ग से कनेक्टेड नहीं था। इसलिए मौके तक पहुंचने में सेना को वक्त लगा। रुद्र सेना का अटैक हेलिकॉप्टर है। इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ( HAL) ने भारतीय सेना के लिए बनाया है। यह हल्के ध्रुव हेलिकॉप्टर का वेपन सिस्टम इंटीग्रेटेड (WSI) Mk-IV संस्करण है।

 

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