नेफोवा 2016 से लगातार विभिन्न मंचों पर लिफ्ट अधिनियम बनाने की मांग करती रही है। दुर्घटनाओं के बाद कई बार शांतिपूर्ण प्रदर्शन भी हुए। माननीय मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान भी इसकी मांग रखी गई और ज्ञापन दिया गया। जेवर विधायक माननीय धीरेन्द्र सिंह ने नेफोवा की याचिका भी सदन में रखी, जिसके बात इस अधिनियम को पास करवाने में सरकार की तरफ से गंभीर प्रयास हुए। इस बीच लगातार पत्राचार और मुलाकातों का दौर नेफोवा और माननीय विधायक धीरेन्द्र सिंह द्वारा जारी रहा।
अंततः आज लिफ्ट और एस्केलेटर अधिनियम सदन के पटल पर रखा गया है। इस अधिनियम के आने के बाद उत्तर प्रदेश में बिल्डर बिना अनुमति के लिफ्ट नहीं लगा सकेंगे। लिफ्ट दुर्घटना के लिए बिल्डर, मेंटेनेंस एजेंसी के साथ लिफ्ट लगाने और बनाने वाली कंपनी भी जिम्मेदार होगी।
दुर्घटना की स्थिति में आपातकालीन सेवा, समयबद्ध सुचना और फंसे लोगों को निकालने का उपाय। लिफ्ट की मरम्मत समयबद्ध तरीके से ससमय करने का प्रावधान है। ऑटो रेस्क्यू डिवाइस और उसकी बैटरी, केबल रोप की टेंसाइल स्ट्रेंथ, इत्यादि के सम्बन्ध बने नियमों का पालन करना होगा।
जिम्मेदारी तय होने से निश्चित रूप से रखरखाव का स्तर सुधरेगा। घटिया गुणवत्ता वाले लिफ्ट लगाने से बिल्डर बचेंगे। मेंटेनेंस और रिपेयर के लिए उचित कॉन्ट्रैक्ट दिए जायेंगे। कई मामलों में अभी केवल निरीक्षण का ही कॉन्ट्रैक्ट दिया जाता है और सस्ते पुर्जे लगा दिए जाते हैं, अधिनियम आने के बाद इस तरह की हरकतें बंद होंगी।
एक निश्चित समय सीमा के भीतर ख़राब लिफ्ट को ठीक करना होगा। दुर्घटना की स्थिति में पीड़ित व्यक्तियों को उचित जायेगा। लापरवाही की स्थिति में बिल्डर और रखरखाव एजेंसी के विरुद्ध क़ानूनी कार्यवाही भी की जा सकेगी।
नेफोवा समस्त फ्लैट खरीददारों की ओर से, और समस्त नागरिकों की ओर से जो मॉल, अस्पताल, कार्यालय इत्यादि स्थानों पर दुर्घटना के शिकार होते हैं या असुरक्षित महसूस करते हैं, उन सबकी तरफ से लिफ्ट अधिनियम लाने हेतु सरकार का धन्यवाद व्यक्त करती है। अधिनियम आने की ख़ुशी में हाईराइज सोइटियों में जश्न का माहौल है।
BY: JANHIT TIMES