जयपुर : ट्रांसजेंडर्स को लेकर समाज में बड़ा बदलाव आ रहा है। ट्रांसजेंडर्स को विरोध का सबसे पहले सामना अपने परिवार में करना होता था, क्योंकि उन्हें समाज का हिस्सा नहीं मना जाता था। लेकिन अब आत्मनिर्भर बनकर वे परिवार को आगे बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। जयपुर में रह रहे ऐसे ही कुछ ट्रांसजेंडर हैं जो अपनी मेहनत की कमाई हर महीने पिता के अकाउंट में ट्रांसफर करती हैं।
जानिए कैसे बदल गई है इनकी जिंदगी इस रिपोर्ट में-
बदलाव की 3 कहानी; पिता को हर माह भेजती हैं सैलरी, पढ़ाई के साथ सीखा मेंहदी लगाना और कुकिंग
जयपुर की अनन्या शर्मा ने बताया, ‘15 साल की उम्र में स्कूल टीचर्स ने मुझसे गलत हरकतें करने की कोशिश कीं। साथ पढ़ने वाले बच्चे भी टॉर्चर करते थे। पिता को मेरे रहन-सहन से नफरत थी। साल 2016-17 में माता-पिता ने संसार को छोड़ दिया, लेकिन मैं रुकी नहीं। मैंने डांस और कई स्किल्स के दम पर अपनी अलग पहचान बनाई। जिसके कारण आज मेरे भाई-बहन मेरा साहस बढ़ाते हैं।’
अजमेर के एक छोटे से गांव में जन्मे लक्की को बचपन से लड़कियों की तरह काम करना और रहना पसंद था। परिवार उन्हें दूल्हा बनाना चाहता था, लेकिन लक्की ने दुल्हन बनने का सपना देखा और शादी के लिए इनकार कर दिया। जयपुर आकर लक्की ने पढ़ाई के साथ कई कंपनियों में नौकरी की। उनकी मेहनत देख मां और परिवार ने समर्थन देना शुरू किया।
उत्तर प्रदेश, बरेली से 23 साल की मुस्कान। बचपन से ही समाज के ताने सुने। सेक्सुअल हेरेसमेंट की भी शिकार हुईं। कहती हैं, ‘पिता को मेरे रहने का तरीका नापसंद था। एक बार तो उन्होंने मेरा मुंह ताकिए से दबाकर मुझे मारने की कोशिश की थी, पर नाकाम रहे। इसके बाद मैं अपनी मां का आशीर्वाद लेकर जयपुर आ गई। 4 दिन स्टेशन पर बिना पैसों के भूखा रहना पड़ा। एक महिला ने कुछ पैसे देकर मुझे गरिमा गृह पहुंचाया। यहां मैंने मेकअप का कोर्स किया। अब मेहंदी लगाना, खाना बनाना और पढ़ाई भी करती हूं। मैंने जब अपनी मेहनत की कमाई पिता को भेजी तो उन्होंने मुझे समझना शुरू किया। मेरी लगन को देख अब वे मुझे बेटी मानने लगे हैं। मैं जो कमाती हूं उन पैसों को अपने पिता के अकाउंट में ट्रांसफर कर देती हूं।’
गरिमा गृह ने बदला जीवन
इन ट्रांसजेंडर्स का जीवन गरिमा गृह ने बदला। इसकी शुरुआत साल 2021 में हुई थी। इस शेल्टर होम की संस्थापक पुष्पा माई हैं। पुष्पा ने बताया कि इस संस्था को शुरू करने का उद्देश्य उन ट्रांसजेंडर्स को एक जगह देनी थी, जिन्हें समाज और उनका परिवार स्वीकार नहीं करता। उन्हें गरिमा गृह स्वीकार करता है। इसके अलावा पुष्पा माई ने बताया कई ट्रांसजेंडर्स सड़क और ट्रेनों पर पैसे मांगते हुए नजर आते हैं, लेकिन कई ट्रांसजेंडर्स ऐसे भी होते जिन्हें यह करना पंसद नहीं होता। वे तो कुछ स्किल सीखकर समाज में मिसाल बनना चाहते हैं। इसलिए इस शेल्टर होम में ट्रांसजेंडर्स को घर जैसी रहने की सुविधा के साथ एजुकेशन, कम्प्यूटर ट्रेनिंग, पार्लर ट्रेनिंग सहित अन्य सुविधाएं भी दी जाती हैं।