जोधपुर : भंवरी देवी की लाश ठिकाने लाने वाले 1 लाख रुपए के इनामी हिस्ट्रीशीटर और हार्डकोर क्रिमिनल विशनाराम जांगू को आखिरकार शनिवार को गिरफ्तार कर लिया गया। दो साल पहले जमानत पर बाहर आने के बाद से विशनाराम पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ था। 15 साल पहले तक जमीनों पर कब्जे करने वाला विशनाराम उस वक्त चर्चा में आया, जब चर्चित भंवरी देवी हत्याकांड से उसका नाम जुड़ा। विशनाराम ने अपना क्रिमिनल रिकॉर्ड हटाने की शर्त पर आज से करीब 12 साल पहले भंवरी देवी की हत्या के बाद लाश ठिकाने लगाई थी।
इस केस में 10 साल की जेल काटने के बाद उसे 2 साल पहले ही जमानत मिली थी। महज दो साल में उसने 0029 नाम से 100 से ज्यादा बदमाशों की गैंग बना ली, जिसमें ज्यादातर नाबालिग थे। सस्ते ड्रग्स बेचकर और सामाजिक कार्यों में दान देकर विशनाराम ने गांववालों के बीच रॉबिनहुड की छवि बना रखी थी। यही वजह है कि शनिवार से पहले पांच बार उसकी पुलिस से मुठभेड़ हुई, लेकिन हर बार वो गैंग के लोगों ओर गांववालों की मदद से फरार हो जाता था।
इस बार विशनाराम की खुद की एक गलती और बरसात के कारण पुलिस की गिरफ्त में आ गया।
पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
महज दो साल में 100 से ज्यादा बदमाशों की गैंग
विशनाराम ने नई गैंग में अपने पुराने दोस्त और जोधपुर जिले के टॉप अपराधियों में शामिल अनिल मांजू, ओमप्रकाश जांगू (46 मामले दर्ज), कैलाश जाखड़( 46 केस), अशोक जांगू ( 43 केस) उरजाराम जाट ( 27 केस ) और श्रवण विश्नोई को साथ लिया।
सभी आरोपी मुख्य रूप से एमडी, अफीम, डोडा-पोस्त की तस्करी से जुड़े थे। गैंगस्टर विशनाराम के खिलाफ 68 मामले दर्ज हैं। जेल से बाहर आने के बाद महज दो साल में उसके खिलाफ 14 मामले दर्ज हुए। उसके खिलाफ 11 अगस्त को 1 लाख रुपए का इनाम भी घोषित हुआ था।
- सोशल मीडिया पर लग्जरी लाइफ के वीडियो : पुलिस से बचने के लिए उसे हर गांव में मुखबिर रखना था और गैंग को बढ़ाना था। गैंग में नए मेंबर जोड़ने के लिए उसने सोशल मीडिया को हथियार बनाया। कई फेसबुक पेज बनाए। इन पेज पर रोज उसकी लग्जरी कारों, स्टंट और हथियारों के वीडियो अपलोड किए जाते। इन वीडियोज ने कई नाबालिगों को प्रभावित किया और वे विशनाराम को सोशल मीडिया पर फॉलो करने लगे और उसकी गैंग से जुड़ गए।
- समाज के कार्यक्रमों में पोस्टर-होर्डिंग : विशनाराम समाज के हर शादी समारोह और बड़े कार्यक्रम में भाग लेता और वहां नाबालिगों-युवाओं से मिलता। उसके आने से पहले कार्यक्रम स्थल पर स्वागत के लिए बड़े-बड़े बैनर और होर्डिंग लगाए जाते थे। हर कार्यक्रम में उसकी एंट्री कारों के काफिले के साथ वीआईपी गेस्ट की तरह होती थी, जो युवाओं को प्रभावित करती थी। विशनाराम ने अपनी गैंग में ज्यादातर नाबालिगों को रखा ताकि पकड़े भी जाएं तो जल्दी जेल से बाहर आ जाएंगे।
- कई युवाओं को ड्रग्स का एडिक्ट बनाया : विशनाराम का गैंग एमडी, अफीम, डोडा-पोस्त की तस्करी करके करोड़ों रुपए कमा रहा था। गैंग ने जोधपुर, फलोदी, बाड़मेर, जैसलमेर, पाली, सांचौर, जालोर, नागौर सहित 10 जिलों में अफीम और एमडी सप्लाई का नेटवर्क बना लिया था। इसी ड्रग्स का इस्तेमाल विशनाराम ने नाबालिगों को अपनी गैंग में शामिल करने में लिया। युवाओं को ड्रग्स का एडिक्ट बनाया। फिर वे सिर्फ ड्रग के लिए गैंग में काम करते थे।
हर बार पुलिस मुठभेड़ में बच निकलता
गैंगस्टर विशनाराम की पांच बार पुलिस से मुठभेड़ हुई, लेकिन हर बार बच निकला। इसी साल 17 मार्च 2023 को पुलिस को विशनाराम के बाप थाना क्षेत्र के खिदरत गांव में आने की सूचना मिली। पुलिस ने उसे घेरा तो वो अपनी कार से पुलिस की गाड़ी को टक्कर मारकर फरार हो गया। 20 जून को पुलिस ने उसे फिर घेरा। उसने अपनी कार से पुलिस की गाड़ी को टक्कर मारी। टक्कर इतनी तेज थी कि कार के एयरबैग खुल गए। इसके बाद विशनाराम ने पुलिस पर 12 राउंड फायर किए। पुलिस ने जवाबी फायर करते हुए विशनाराम की कार के टायर पर गोली मारी। टायर फटने के बाद भी विशनाराम और उसका साथी श्रवण विश्नोई गाड़ी को भगाते रहे। रास्ते में विशनाराम गाड़ी से छुपकर निकल गया, लेकिन पुलिस को लगा कि वो गाड़ी में ही है। आगे जाकर पुलिस ने जब उसके साथी श्रवण विश्नोई को पकड़ा तब पता लगा कि वो फरार हो गया।
पुलिस से बचने के लिए ऐसे आम लोगों को बनाया अपना हथियार
- रेत के टीलों को छिपने का ठिकाना : फलोदी के जालोड़ा में रेत के टीलों को विशनाराम ने छिपने का ठिकाना बनाया। विशनाराम जालोड़ा, कालू पाबूजी, खारा और पीलवार गांव में हर दिन अपने छुपने का ठिकाना बदलता रहता था। टीलों के कारण दूर से ही पुलिस की गाड़ियां आते हुए दिख जाती थीं और विशनाराम अलर्ट हो जाता था।
- गांव वालों को सस्ती ड्रग्स से अपने साथ मिलाया : विशनाराम गांव के लोगों को सस्ती रेट में अफीम, एमडी और डोडा पोस्त बेचता था। इसे छोटे तस्कर और गांव वाले उसके लिए मुखबिरी करने और पुलिस से भिड़ने का तैयार रहते थे। गांव के युवा उसके लिए पुलिस की रेकी करते थे।
- पुलिस आती तो खेतों के गेट बंद कर देते थे : पुलिस पीछे होती तो विशनाराम खेतों और फार्महाउस में स्थित घरों में छिपता था। जहां जाने के लिए पुलिस को खेतों के कच्चे रास्तों से होकर निकलना पड़ता। यहां जानवरों से फसल बचाने के लिए किसान रास्तों पर नाके की तरह लकड़ी के गेट बनाकर रखते हैं। पुलिस जब विशनाराम का पीछा करती थी तो उसके साथी यह गेट बंद कर देते। पुलिसकर्मी गाड़ी से उतरकर जब तक गेट खोलते, विशनाराम फरार हो जाता था।
ऐसे पकड़ा पुलिस ने गैंगस्टर को
- एक पोस्टर से गैंग का नेटवर्क तोड़ा : विशनाराम ने समाज के एक बड़े कार्यक्रम में अपनी पूरी गैंग और समर्थकों के नाम और फोटो के साथ बड़ा होर्डिंग लगवाया था। पुलिस ने इसी होर्डिंग में लगे नाम और फोटो की लिस्ट बनाई। लिस्ट बनाने के पुलिस ने इन सभी पर नजर रखना शुरू किया। गैंग के सदस्य या उन्हें सपोर्ट करने वाले थे। पुलिस ने जब लिस्ट की पड़ताल की तो पूरी गैंग के नेटवर्क का पता लग गया। इसके बाद पुलिस ने एक-एक करके सभी को पकड़ना शुरू कर दिया।
- गैंग की मूवमेंट से पता लगा विशनाराम का ठिकाना : पुलिस ने विशनाराम को पकड़ने के लिए टेक्निकल इंटेलिजेंस की मदद ली। विशनाराम और उसकी पूरी गैंग पर नजर रखने पर पता लगा कि विशनाराम की मूवमेंट दयाकौर गांव और पीलवा गांव के ओरण के पास है। विशनाराम यहां पर खेतों में स्थित मकानों में बार-बार अपनी जगह बदलता रहता था। 19 अगस्त को जब हेड कॉन्स्टेबल चिमनाराम और एएसआई अमानाराम को विशनाराम के ठिकाने का पता लग गया तो उन्होंने पुलिस अधिकारियों की सूचना दी।
- चार थानों की पुलिस ने घेरा तो टक्कर मारकर भागने लगा : जोधपुर ग्रामीण एसपी धर्मेंद्र सिंह के निर्देशन में 50 से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने दयाकौर और पीलवा गांव की घेराबंदी कर दी। पुलिस ने सभी कच्चे रास्तों पर नाके लगाकर विशनाराम के आने का इंतजार कर रही थी। तभी स्कॉर्पियों में सवार विशनाराम को पुलिस की गाड़ियां नजर आ गईं। विशनाराम ने भागने के लिए अपनी गाड़ी से लोहावट एसचओ की गाड़ी को टक्कर मारी, लेकिन भोजासर और लोहावट थाने की जीप ने उसे घेर लिया। विशनाराम ने दूसरी बार पुलिस की गाड़ी को टक्कर मारी, लेकिन मोड़ पर उसकी स्कॉर्पियो पलट गई। विशनाराम भागने लगा तो खेत की बाड़ के पास पत्थरों की पटि्टयों पर गिर गया और पुलिस ने उसे पकड़ लिया। पुलिस ने बताया कि गिरफ्त में लिया तो विशनाराम हाथ जोड़कर भीख मांगने लगा- साहब मारना मत, अब मैं कहीं नहीं भागूंगा।
- बारिश के कारण गैंग वाले इस बचा नहीं सके : पुलिस जब भी विशनाराम को पकड़ने जाती, हर बार गांव वाले और उसकी गैंग इसमें उसकी मदद करते थे। इस बार जब पुलिस विशनाराम को पकड़ने गई तो वहां बारिश हो रही थी। बारिश के कारण गांव के सभी लोग घरों में थे, खेतों में भी कोई नहीं था। यहीं कारण था कि इस पर विशनाराम को खेतों में गाड़ी भगाते समय रास्ता बंद करने के लिए कोई मदद नहीं मिल पाई। लोगों को पता लगा तब तक पुलिस विशनाराम को पकड़ कर ले गई।
कैसे भूमाफिया से बना गैंगस्टर
लोहावटा थाना क्षेत्र के जालोड़ा गांव में रहने वाला विशनाराम करीब 15 साल पहले जमीन पर कब्जे का काम करता था। उस समय भोपालगढ़ और फलोदी क्षेत्र में काफी सोलर कंपनियों को जमीन चाहिए थी। विशनाराम और उसके साथी कैलाश जाखड़ ने एक कंपनी को करोड़ों की जमीन दिलाने का झांसा दिया।
जमीनों के फर्जी दस्तावेज बनाकर करोड़ों रुपए हड़पने का प्रयास किया। जब जमीन के दस्तावेजों की जांच की तो सच सामने आए गया। विशनाराम के खिलाफ धोखाधड़ी के 40 से ज्यादा मामले दर्ज हो गए थे। वो लोहावट थाने का हिस्ट्रीशीटर बन गया था।
रिकॉर्ड हटवाने के लिए लाश ठिकाने लगाई
वर्ष 2011 में राजस्थान की राजनीति में तब भूचाल आया जब एक नर्स भंवरी की हत्या के मामले में तब मंत्री रहे महिपाल मदेरणा और विधायक मलखान विश्नोई का नाम सामने आया था। मामले की जांच सीबीआई की दी गई। जांच में पता लगा कि भंवरी की हत्या के बाद लाश ठिकाने लगाने का काम हिस्ट्रीशीटर विशनाराम को दिया गया था।
विशनाराम विश्नोई ने यह काम इस शर्त पर किया था कि उसके खिलाफ दर्ज सभी मामलों से उसका नाम बाहर निकाल कर उसका रिकॉर्ड साफ कर दिया जाएगा। शर्त के अनुसार विशनाराम ने कैलाश जाखड़ के साथ मिलकर भंवरी की लाश को जालोड़ा में नहर के पास जलाया और राख को नहर में बहा दिया।
बाद में सीबीआई ने एफबीआई की मदद से नहर से भंवरी देवी के दांत और कुछ हड्डियों के अवशेष निकाल कर डीएनए सैंपल लिए थे। इसके बाद विशनाराम और कैलाश जाखड़ को जेल भेज दिया गया। उसने फरार होने के लिए हाईकोर्ट परिसर में भी फायरिंग कराई। इस बार विशनाराम भाग नहीं पाया, लेकिन कैलाश जाखड़ फरार हो गया। हालांकि बाद में पुलिस ने कैलाश जाखड़ को भी गिरफ्तार कर लिया।