जोधपुर : बेटी का इलाज कराने MDM जा रहे थे, डेडबॉडी पहुंचीं:30 दिन में परिवार की 3 पीढ़ियां खत्म; 6 बहनों का अकेला भाई था

जोधपुर : जोधपुर के ग्रामीण इलाके खेड़ापा के चटालिया गांव में सोमवार सुबह 5.45 बजे हुए भीषण सड़क हादसे में माता-पिता, बेटे की दर्दनाक मौत हो गई। बेटी और भांजा गंभीर रूप से घायल हो गए। नागौर से यह परिवार बेटी का इलाज कराने सोमवार सुबह जल्दी घर से इस उम्मीद में निकला था कि सुबह 8 बजे ही जोधपुर के MDM हॉस्पिटल में पहुंच जाएंगे।

परिवार MDM हॉस्पिटल तो पहुंचा लेकिन 3 की डेडबॉडी पहुंची और 2 मरणासन्न हालत में पहुंचे।

खेड़ापा थाना अधिकारी ओमप्रकाश ने बताया- ये हादसा जोधपुर-नागौर नेशनल हाईवे-62 पर उस वक्त हुआ जब ओवरटेक के चक्कर में कार और स्लीपर बस आमने-सामने हो गए। जबरदस्त भिड़ंत में कार चला रहे रामकरण (55) समेत उसकी पत्नी चंदूड़ी (52) और बेटे रामनिवास (21) की मौके पर ही मौत हो गई।

जिस बेटी मोनिका का इलाज कराना था वह लहूलुहान हो गई। भांजा कमल किशोर पुत्र जैसाराम भी बुरी तरह घायल हुआ। मोनिका और कमल किशोर को एंबुलेंस से मथुरादास माथुर हॉस्पिटल पहुंचाया गया।

रामकरण जाट बुगालियों की ढाणी, गिगलिया नागौर का रहने वाला था। गिगलिया सरपंच प्रेमा राम छरंग ने बताया- वह खेती किसानी करता था। एक साथ 3 लोगों की मौत की सूचना सुबह गांव में पहुंची को कोहराम मच गया। पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। जिसने भी हादसे की खबर सुनी, नागौर से 200 किमी दूर जोधपुर एमडीएम हॉस्पिटल की मॉर्च्युरी पहुंच गया।

गिगलिया गांव के कई लोग एमडीएम मॉर्च्युरी के बाहर जमा थे। छरंग ने कहा- विश्वास नहीं हो रहा कि रामकरण अब नहीं रहा।

जोधपुर में मथुरादास माथुर हॉस्पिटल के बाहर नागौर से आए परिजन व ग्रामीण
जोधपुर में मथुरादास माथुर हॉस्पिटल के बाहर नागौर से आए परिजन व ग्रामीण

जोधपुर में भी रामकरण के रिश्तेदार थे, वे भी हॉस्पिटल पहुंच गए। रिश्तेदारों को चिंता इस बात की थी कि रामकरण की दिमागी रूप से बीमार बेटी की देखभाल अब कौन करेगा। रामकरण के घर में अब बड़ा बेटा भागूराम (23) और मोनिका ही बचे हैं।

रामकरण का छोटा बेटा रामनिवास भी हादसे में नहीं बचा। वह मकराणा तहसील के मंगलाना काॅलेज से बीए प्रथम वर्ष में था। बड़ा बेटा भागूराम खेती संभालता है। रामकरण खुद 6 बहनों का इकलौता भाई था। सभी बहनों को वह खूब चाहता था।

रामनिवास मकराना में बीए फर्स्ट ईयर का स्टूडेंट था। बहन मोनिका के लिए इलाज के लिए हमेशा तत्पर रहता था।
रामनिवास मकराना में बीए फर्स्ट ईयर का स्टूडेंट था। बहन मोनिका के लिए इलाज के लिए हमेशा तत्पर रहता था।

सरपंच और रामकरण के दोस्त प्रेमाराम छरंग ने बताया- इस राखी पर बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने आने वाली थीं। राखी को लेकर उनमें उत्साह था। सभी इंतजार कर रही थीं कि राखी पर अपने भाई रामकरण से मिलेंगी। लेकिन एक हादसे ने सारी खुशियां छीन लीं।

अहमदाबाद से रविवार को ही लौटा था

रामकरण की बेटी मोनिका (22) के ब्रेन में प्रॉब्लम थी। रामकरण ने बेटी का कई हॉस्पिटलों में इलाज कराया था। लेकिन कोई खास सुधार नहीं हुआ। वह उसके इलाज के लिए अहमदाबाद (गुजरात) भी लेकर गया था। जहां पिछले डेढ़ महीने से मोनिका का इलाज चल रहा था। इलाज के बाद भी बेटी की तबीयत में सुधार नहीं आया तो रामकरण को एक परिचित ने जोधपुर के मथुरादास माथुर हाॅस्पिटल में इलाज कराने की सलाह दी। उसकी बात मानकर रविवार की रात ही रामकरण बेटी को अहमदाबाद से अपने गांव बुगालियों की ढाणी गिगलिया (नागौर) पहुंचा था।

पूरा परिवार रविवार रात 9 बजे घर पहुंचा था। अगले दिन सोमवार को सुबह जल्दी जोधपुर के मथुरादास माथुर हाॅस्पिटल के लिए निकलना था। जोधपुर में एक रिश्तेदार ने डॉक्टर से सोमवार सुबह का अपॉइंटमेंट भी ले लिया था। नागौर से जोधपुर की दूरी करीब 200 किलोमीटर है। मथुरादास माथुर हाॅस्पिटल में ओपीडी सुबह 8 बजे शुरू होती है। इसलिए नागौर से भांजे कमल किशोर की कार में रामकरण, उसकी पत्नी चंदूड़ी, बेटा रामनिवास, बेटी मोनिका और भांजा कमल किशोर सोमवार सुबह 4 बजे निकल गए। कार को रामकरण ड्राइव कर रहा था।

जोधपुर में निशुल्क इलाज का था भरोसा

किसान परिवार से जुड़े रामकरण की आर्थिक स्थिति सामान्य थी। अहमदाबाद में इलाज पर काफी खर्च हो चुका था। जोधपुर में फ्री और बेहतर इलाज की उम्मीद थी। परिचित ने रामकरण को बताया कि सोमवार को स्पेशलिस्ट डॉक्टर बैठते हैं। आजकल दिल्ली-मुंबई से भी इलाज कराने मरीज जोधपुर आते हैं और ठीक होकर जाते हैं। यह सुन रामकरण को बेटी के स्वस्थ होने की आशा बंधी।

सोमवार सुबह 5.45 बजे जोधपुर से 65 किलोमीटर पहले खेड़ापा थाना इलाके के चटालिया गांव में लक्ष्मी ट्रैवल्स एजेंसी की बस से रामकरण की कार आमने-सामने भिड़ गई। कार चकनाचूर हो गई। परिवार के पांचों सदस्य कार में ही पिचक गए। मौके पर ज्यादा खून बहने से रामकरण, चंदूड़ी और रामनिवास ने दम तोड़ दिया।

पिता रामकरण के पास वाली फ्रंट सीट पर रामनिवास बैठा था। शवों को मशक्कत से बाहर निकाला गया।
पिता रामकरण के पास वाली फ्रंट सीट पर रामनिवास बैठा था। शवों को मशक्कत से बाहर निकाला गया।

हादसे से अफरा-तफरी मच गई। स्थानीय लोगों और राहगीरों ने खेड़ापा पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने लोगों की मदद से कार में फंसे घायलों को निकाला। मोनिका और कमल की सांसें चल रही थीं। उन्हें एंबुलेंस से मथुरादास माथुर हॉस्पिटल पहुंचाया गया। मोनिका और कमल की हालत खतरे से बाहर है।

एक महीने में खत्म हो गई 3 पीढ़ियां

एक माह पहले ही जुलाई में रामकरण के पिता कुनीराम जाट का निधन हुआ था। वे 15 साल से पैरालिसिस के शिकार थे। चल फिर नहीं सकते थे। चारपाई पर लेटे पिता की रामकरण ने खूब सेवा की थी। पिता के निधन के वक्त रामकरण अहमदाबाद में बेटी का इलाज करा रहा था। पिता के निधन की खबर सुन वह नागौर आया। तब बेटी के पास परिवार के कुछ लोग रहे। सामाजिक कर्म पूरे कर रामकरण फिर अहमदाबाद पहुंचा और बेटी का इलाज जारी रखा। हादसे से एक दिन पहले रविवार को परिवार अहमदाबाद से लौटा था।

गांव से सरपंच पहुंचे जोधपुर, बोले- सरकार कराए इलाज

बुगालियों की ढाणी, गिगलिया के सरपंच प्रेमा राम छरंग ने बताया कि रामकरण उनका मित्र भी था। परिवार के 3 लोगों की सूचना मिलते ही गांव से कई लोग जोधपुर पहुंच गए। परिजनों को सांत्वना दी। रामकरण व्यवहार कुशल था। सभी से प्रेम भाव रखता था। खेती किसानी से ही परिवार का गुजारा होता था।

रामकरण की बेटी की दिमागी हालत ठीक नहीं है। सरकार से निवेदन है कि उसका फ्री इलाज कराया जाए और परिवार को आर्थिक मदद दी जाए।

रामकरण के चचेरे भाई किस्तूराम ने खेड़ापा थाने में दुर्घटना का मामला दर्ज कराया। सोमवार दोपहर पोस्टमॉर्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिए गए। सोमवार शाम ही गांव में तीनों शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया।

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